
(कार्यालय संवाददाता)
जोधपुर। असली आजादी हमारे श्रेष्ठ कर्मों, परोपकार, ईमानदारी, देश के प्रति राष्ट्र प्रेम की भावना, विचारों और हमारी जीवन शैली में होना चाहिए। यह उद्गार अणुव्रत विश्व भारती सोसायटी व अणुव्रत लेखक मंच द्वारा झूम पर ऑनलाइन आयोजित संगोष्ठी में अणुव्रत लेखक मंच के सदस्य व साहित्यकार सुनील कुमार माथुर ने व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि आजादी की इस वर्षगांठ पर युवा पीढ़ी पश्चिमी सभ्यता और संस्कृति का अंधानुकरण छोड़कर भारतीय सभ्यता और संस्कृति को अपनाएं और तमाम तरह की बुराइयों का त्याग करें तथा नैतिक मूल्यों की रक्षा करते हुए आदर्श संस्कारों को अंगीकार करें। तभी असली आजादी का मकसद पूरा हो पायेगा।
संगोष्ठी में पारस चंद जैन, सपना जैन, डॉ गोकुल क्षत्रिय, सुनील कुमार माथुर, कविता पंत, पुष्पा सिंघी, डॉ राजमती पोकरणा सुराणा, गौरीशंकर, ललिता, डॉ लता अग्रवाल, प्रकाश तातेड सहित 29 साहित्यकारों ने “असली आजादी अपनाएं”, “आजादी का असली अर्थ कभी तक सबने कहां जाना”, “आजादी अभी अधूरी है”, “अरे आगे कदम बढ़ाओ, मिला तुम्हें यह मानव जीवन तो अणुव्रत को अपनाओ” जैसी रचनाओं की सुंदर अभिव्यक्ति कर वाह-वाह लूटी और श्रोताओं का मन मोह लिया।
संगोष्ठी में राजस्थान, गुजरात, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, असम, मुम्बई और कनाडा के साहित्यकारों सहित देश भर से 29 साहित्यकारों ने अपनी-अपनी प्रस्तुतियां देकर भागीदारी निभाई। इस अवसर पर मंच के अध्यक्ष प्रताप सिंह दुगड़, महामंत्री मनोज सिंघवी, प्रभारी उपाध्यक्ष डॉ कुसुम लूनिया व राष्ट्रीय संयोजक जिनेन्द्र कोठारी ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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