वन निगम के डीएलएम सहित आठ के खिलाफ कार्रवाई शुरू
वन निगम के डीएलएम सहित आठ के खिलाफ कार्रवाई शुरू, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि यह सब कुछ सरकार के संरक्षण में हुआ है। यदि ऐसा नहीं है तो सरकार इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे।
देहरादून। उत्तरकाशी जिले के पुरोला टोंस वन प्रभाग में बेशकीमती देवदार के हरे पेड़ काटे जाने के मामले में वन विकास निगम के तत्कालीन डीएलएम रामकुमार सहित आठ अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू हो गई है। प्रबंध निदेशक केएम राव ने क्षेत्रीय प्रबंधन टिहरी को संबंधित अधिकारी-कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई करते हुए तत्काल रिपोर्ट मांगी है। इस संबंध में प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक की संस्तुति के बाद एपीसीसीएफ प्रशासन बीपी गुप्ता ने कार्रवाई के लिए वन निगम के एमडी को पत्र भेजा था।
इस पत्र में कहा गया था कि विभागीय जांच में टोंस वन प्रभाग की पुरोला तहसील के अंतर्गत सांद्रा रेंज, देवता रेंज और कोटिगाड़ रेंज में बड़ी संख्या में देवदार और कैल के हरे पेड़ाें को काटे जाने की पुष्टि हुई है। इसमें पुरोला में अवैध कटान के लिए वन निगम को जिम्मेदार माना गया है। रिपोर्ट के अनुसार, जिन जगहों पर कटान हुआ, वह जगह सड़क मार्ग से 15 किलोमीटर दूर है और वहां आम जन का आना-जाना नहीं है। फरवरी के अंत तक वहां बर्फ रहती है।
इसके अलावा, वहां सारा अवैध कटान वन निगम को लॉट मिलने के बाद किया गया जिससे अवैध कटान के लिए निगम के तत्कालीन डीएलएम पुरोला रामकुमार, लॉट प्रभारी नरेंद्र रावत, वन उपज रक्षक मोहन सिंह, लॉट प्रभारी सत्येश्वर लोहनी, वन उपज रक्षक मुरकंडी प्रसाद, अनुभाग अधिकारी पदम दास, लाट प्रभारी अजीत कुमार और वन उपज रक्षक विजयपाल को जिम्मेदार बताते हुए उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए कहा था।
एमडी केएम राव ने बताया कि वन मुख्यालय का पत्र मिल गया है, उसके आधार पर क्षेत्रीय प्रबंधक टिहरी को इन सभी के खिलाफ तत्काल कार्रवाई के निर्देश देते हुए रिपोर्ट मांग ली है। वहीं, ठेकेदार के खिलाफ भी कार्रवाई की जा रही है। चीफ गढ़वाल के स्तर से कराई गई जांच में यह बात भी सामने आई है कि वन निगम को लॉट मिलने से पहले वहां अवैध कटान नहीं था।
वन निगम ने कटान के बाद दो साल तक वहां से माल नहीं उठाया। जबकि, हाल के कुछ महीनों में पुराना माल उठान के नाम पर अवैध रूप से काटे गए पेड़ भी वहां से पास किए जा रहे थे। चीफ गढ़वाल नरेश कुमार की जांच रिपोर्ट के बाद प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक के निर्देश पर संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।
इसमें डीएफओ और एसडीओ स्तर के अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए शासन को पत्र लिखा गया है। जबकि, तीनों रेंजों (सांद्रा, देवता और कोटिगाड़) के वन क्षेत्राधिकारियों पर कार्रवाई के लिए मुख्य वन संरक्षक, मानव संसाधन विकास और कार्मिक प्रबंधन को लिखा गया है। पत्र जारी होने के बाद वन विकास निगम तो एक्शन में आ गया है, लेकिन डीएफओ और रेंजरों पर कार्रवाई का इंतजार है।
टोंस वन प्रभाग में हरे पेड़ काटे जाने के मामले में कार्रवाई शुरू हो गई है, लेकिन चकराता में काटे गए देवदार के पेड़ों के मामले में वन विभाग के स्तर से अभी तक जांच समिति तक नहीं बनाई गई है। जबकि, यहां टौंस से कहीं अधिक पेड़ काटे गए हैं। इनकी संख्या एक हजार के आसपास बताई जा रही है।
इस मामले को लेकर वन विभाग की कार्यप्रणाली के साथ ही सरकार पर भी सवाल उठ रहे हैं। आखिर सरकार किसको बचा रही है। चकराता वन प्रभाग के कनासर रेंज में काटे गए देवदार और कैल के सैकड़ों पेड़ों के मामले में बात जांच से आगे नहीं बढ़ पा रही है। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस मामले में सरकार से अपना रुख स्पष्ट करने की मांग की है।
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत का कहना है कि यह सब कुछ सरकार के संरक्षण में हुआ है। यदि ऐसा नहीं है तो सरकार इस मामले की उच्च स्तरीय जांच कराकर दोषियों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करे। उधर, प्रमुख वन संरक्षक अनूप मलिक का कहना है कि मामले में कागजी कार्रवाई पूरी की जा रही है, शीघ्र ही इसके नतीजे सामने आएंगी। वन विभाग इस मामले में भी बड़ी कार्रवाई करेगा, लेकिन चीजों को सही तरीके से करने में थोड़ा वक्त लग रहा है।
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