आयुर्वेद में कैंसर के लिए एक आशा की किरण

आयुर्वेद में कैंसर के लिए एक आशा की किरण, इसके साथ-साथ मर्म चिकित्सा भी कैंसर में लाभकारी साबित हो सकती है। इस प्रकार उपयुक्त चिकित्सा सिद्धांतों का पालन करके कैंसर बीमारी में क्वालिटी आफ लाइफ को सुधारा जा सकता है, जिससे व्यक्ति खुशहाल जीवन जी सकता है। #डॉ. बिपिन चंद्रा
कैंसर आज एक महामारी का रूप ले चुका है। पहले भी यह बीमारी होती थी, लेकिन उस समय इन्वेस्टिगेशन के प्रॉपर साधन न होने की वजह से बीमारी का पता नहीं चल पाता था और व्यक्ति लंबी बीमारी के बाद शरीर छोड़ देता था तो लोग कहते थे कि बीमार थे। लेकिन हो सकता है कि वह कैंसर ही रहा होगा। लेकिन पहले की तुलना में आज कैंसर बहुत तेजी से आम जनमानस में हो रहा है।
आज का खान-पान बदल चुका है। केमिकल युक्त खाना ,अल्कोहल ,स्मोकिंग, तंबाकू का सेवन कैंसर का बहुत बड़ा कारण है। अनियंत्रित कोशिका विभाजन को कैंसर कहा जाता है। कैंसर कोशिकाओं में डीएनए में उत्परिवर्तन के कारण होता है। सही समय पर यदि बीमारी का पता चल जाए तो बीमारी काफी हद तक ठीक हो जाती है। इसके लिए निम्न लक्षणों की अनदेखी नहीं करनी चाहिए और समय पर इन्वेस्टिगेशन करना चाहिए।
- जोखिम कारक- पारिवारिक इतिहास, वंशानुक्रम और आनुवंशिकी कुछ बचपन के कैंसर में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
- सामान्य जोखिम कारक- वृद्धावस्था, धूम्रपान, शराब, पारिवारिक इतिहास, मोटापा, विशिष्ट रसायन, कुछ प्रकार के वायरल संक्रमण, विकिरण के संपर्क में।
- सबसे आम कैंसर- फेफड़े, स्तन, बृहदान्त्र, प्रोस्टेट, पेट, त्वचा, मस्तिष्क, गर्भाशय ग्रीवा, गर्भाशय।
- कुछ दुर्लभ कैंसर- पैन्सेरा, हड्डी इत्यादि। कैंसर दुनिया भर में मौत का एक प्रमुख कारण है।
- लक्षण- थकान, गांठ या गाढ़ापन का क्षेत्र जो त्वचा के नीचे महसूस किया जा सकता है, वजन घटना, त्वचा में बदलाव, कटोरे या ब्लेडर की आदतों में बदलाव, लगातार खांसी या सांस लेने में परेशानी, असामान्य रक्तस्राव या निर्वहन, अपच या निगलने में कठिनाई।
कैंसर आज ला इलाज बीमारी बन चुका है प्राइमरी स्टेज में तो हर कैंसर की सर्जरी एक बेस्ट ऑप्शन है यदि समय पर सर्जरी हो जाती है तो व्यक्ति इस घातक बीमारी से बच सकता है लेकिन मैलिगनेंट होने की वजह से इस बीमारी का कुछ समय बाद पुनर उत्पत्ति हो जाती है फिर कीमोथेरेपी और रेडियोथैरेपी की जाती है। लेकिन चाहे सर्जरी हो या कीमोथेरेपी या रेडियोथैरेपी, इम्यूनोथेरेपी सब लाइफ़स्पेन को बढ़ाने के लिए किया जाता है। लेकिन परमानेंट क्योर अभी तक कैंसर का नहीं मिल पाया है।
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आयुर्वेद में कैंसर के लिए एक आशा की किरण देखी जा सकती है क्योंकि आयुर्वेद का प्रयोजन स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के विकारों का प्रसमन करना है। इसका पहला वाला पार्ट स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना इस प्रयोजन को कैंसर के परिपेक्ष में फॉलो करना चाहिए। कैंसर हो ही ना इसके लिए निम्न सावधानियां रखनी चाहिए- अल्कोहल, स्मोकिंग और तंबाकू को बिल्कुल जीवन में नहीं लेना चाहिए।
केमिकल युक्त खाना ना खाना, ऑर्गेनिक फूड को ही सेवन करना चाहिए। हर व्यक्ति को प्रत्येक साल अपनी बॉडी का टोटल चेकअप करना चाहिए। सारे लैबोरेट्री इन्वेस्टिगेशन करने चाहिए और अल्ट्रासाउंड भी करना चाहिए एंड एवरी थर्ड ईयर स्क्रीनिंग टेस्ट करने चाहिए जैसे सीटी स्कैन एमआरआई इट्स किसी भी अंग और सिस्टम से रिलेटेड कोई प्रॉब्लम हो तो अच्छे सेंटर पर पहले उस ऑर्गन एंड सिस्टम से रिलेटेड सारे इन्वेस्टिगेशन प्रॉपर करने चाहिए।
लापरवाही कभी नहीं करनी चाहिए। इन उपयुक्त सावधानियां को रखने से हम कहीं हद तक इस जानलेवा बीमारी के दुष्परिणामों से बच सकते हैं। यदि किसी व्यक्ति को कैंसर डायग्नोज हो गया है तो उसे प्रॉपर इन्वेस्टिगेशन के साथ प्रॉपर ट्रीटमेंट करना चाहिए और मानसिक रूप से भी मजबूत बनना चाहिए। क्योंकि अधिकांश केसेस में यह देखा जाता है कि इस बीमारी के नाम से ही व्यक्ति बहुत डर जाता है या घबरा जाता है।
जिससे हमारे ब्रेन में जो हैप्पी हार्मोन होते हैं जैसे डोपामिन, ऑक्सीटोसिन, एंडोर्फिन और सेरोटोनिन का प्रॉपर सेक्रेशन नहीं हो पाता है जिससे हीलिंग प्रॉपर नहीं हो पाती है और बीमारी ज्यादा बढ़ जाती है। कैंसर का यदि स्टार्टिंग फेज में पता चल जाता है तो सर्जरी सक्सेसफुल ट्रीटमेंट है और उसके बाद आयुर्वेदिक चिकित्सा इसमें दे सकते हैं।
आयुर्वेद में निम्न औषधीया कैंसर में गुणकारी साबित होती है- कांचनार गूगल, हीरक भस्म, वृद्धि वाटिका वटी, हरिद्रा, थूने र, गोमूत्र, गेहूं का ज्वारा आदि औषधीया कैंसर सेल्स की ग्रोथ को रोकते हैं। क्योंकि कैंसर में इम्यूनिटी कम हो जाती है इसलिए इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए गिलोय, आंवला, मुलेठी, हरिद्रा, अश्वगंधा आदि औषधीयो का प्रयोग बेहतर है। खाने में हाई प्रोटीन डाइट लेनी चाहिए जैसे अंडा, पनीर, दूध, ड्राई फ्रूट आदि।
डिब्बे बंद चीजों या प्रिजर्वेटिव युक्त चीज नहीं खानी चाहिए। ताजे फल खाने चाहिए लेकिन फल ज्यादा मीठे ना हो। ऑर्गेनिक सब्जियां खानी चाहिए । मीठा (शुगर) नहीं लेना चाहिए। उपर्युक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा के साथ-साथ कुछ योग प्राणायाम भी कैंसर में बेहद लाभकारी है जैसे अनुलोम विलोम प्राणायाम, भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम करने से कैंसर में लाभ मिलता है।
इसके साथ-साथ मर्म चिकित्सा भी कैंसर में लाभकारी साबित हो सकती है। इस प्रकार उपयुक्त चिकित्सा सिद्धांतों का पालन करके कैंसर बीमारी में क्वालिटी आफ लाइफ को सुधारा जा सकता है, जिससे व्यक्ति खुशहाल जीवन जी सकता है।
#डॉ. बिपिन चंद्रा, बीएएमएस, एसआरएफ (आयुर्वेद), आयुर्वेदिक चिकित्सक और न्यूरो संयुक्त सलाहकार
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