
🌟🌟🌟
उत्तराखंड में 1 जनवरी से भूलेख पोर्टल शुरू होने जा रहा है, जिससे नागरिक अपने भूमि अभिलेखों को ऑनलाइन देख और प्राप्त कर सकेंगे। आरसीएमएस पोर्टल 26 जनवरी से लागू होगा, जो राजस्व न्यायालयों में मामलों के डिजिटल निस्तारण की सुविधा देगा।
- उत्तराखंड सरकार का बड़ा कदम, भूलेख पोर्टल से ऑनलाइन होंगे सभी भूमि अभिलेख
- आरसीएमएस पोर्टल भी 26 जनवरी से शुरू, राजस्व न्यायालयों में डिजिटल निस्तारण संभव
- भूमि रिकॉर्ड डिजिटलीकरण से समय और खर्च की बचत, पारदर्शिता बढ़ेगी
- नागरिक अब घर बैठे देख सकेंगे खसरा, खतौनी, नक्शा और स्वामित्व विवरण
देहरादून। उत्तराखंड सरकार ने भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। राज्य के मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने गुरुवार को सचिवालय में एनआईसी, आईटीडीए और राजस्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक कर भूलेख पोर्टल और संबंधित सॉफ़्टवेयर की समीक्षा की।
मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि भूलेख पोर्टल 1 जनवरी 2026 से अनिवार्य रूप से शुरू किया जाए। इसके माध्यम से नागरिक अपनी भूमि का खसरा, खतौनी, नक्शा और स्वामित्व विवरण ऑनलाइन देख सकेंगे, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी, समय और पैसे की बचत होगी, और लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे।
बैठक में यह भी निर्णय लिया गया कि दाखिल-खारिज का स्टेटस अपडेट होते ही संबंधित व्यक्ति को एसएमएस और व्हाट्सएप के माध्यम से तत्काल सूचना मिले। साथ ही, आरओआर (Record of Rights) में किसी भी परिवर्तन के तुरंत सर्वर पर अपडेट होने की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।
मुख्य सचिव ने आरसीएमएस (Revenue Court Management System) पोर्टल को 26 जनवरी 2026 तक लागू करने के निर्देश दिए। इसके माध्यम से राजस्व न्यायालयों में लंबित मामलों का ऑनलाइन पंजीकरण, सुनवाई की तिथि, आदेश और स्थिति डिजिटल रूप से उपलब्ध होगी। इससे मामलों का निस्तारण तेज होगा और नागरिकों को बार-बार न्यायालय आने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
भूलेख पोर्टल के लागू होने के बाद पटवारी और कानूनगो स्तर पर सत्यापन की समय-सीमा साफ्टवेयर में निर्धारित की जाएगी, ताकि मामले अनावश्यक रूप से लंबित न रहें। आईटीडीए को सिस्टम और हार्डवेयर को और मजबूत करने, संचालन सुनिश्चित करने और हितधारकों के लिए प्रशिक्षण की व्यवस्था करने के निर्देश भी दिए गए।
इस पोर्टल और डिजिटल पहल से उत्तराखंड में भूमि रिकॉर्ड प्रबंधन पूरी तरह पारदर्शी, तेज और नागरिक-सुलभ बनेगा, जिससे राज्य में डिजिटलीकरण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर स्थापित होगा।








