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दिल्ली में बिगड़ती वायु गुणवत्ता के बीच ‘नो PUC, नो फ्यूल’ अभियान के पहले दिन ही हजारों वाहनों पर चालान कर सख्त संदेश दिया गया। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई केवल दंडात्मक नहीं, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और भविष्य की पीढ़ियों की सुरक्षा से जुड़ा कदम है।
- बिना वैध PUC वाले वाहनों पर दिल्ली सरकार का कड़ा प्रहार
- राजधानी की सीमाओं से सैकड़ों नियम उल्लंघन करने वाले वाहन लौटाए गए
- GRAP के तहत वाहनों, ट्रकों और कचरा प्रबंधन पर बढ़ी निगरानी
- प्रदूषण नियंत्रण के लिए सड़क, सीमा और पेट्रोल पंपों पर संयुक्त अभियान
दिल्ली | दिल्ली में लगातार गंभीर होती वायु प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए शुरू किए गए ‘नो पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल, नो फ्यूल’ अभियान के पहले ही दिन प्रशासन ने बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए 3,700 से अधिक वाहनों का चालान किया। पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने जानकारी दी कि पिछले 24 घंटों के भीतर राजधानी की सीमाओं से लगभग 570 ऐसे वाहनों को वापस भेजा गया, जो या तो तय मानकों का पालन नहीं कर रहे थे या गैर-ज़रूरी श्रेणी में आते थे। इस अभियान का उद्देश्य राजधानी में वाहनों से होने वाले उत्सर्जन को नियंत्रित करना और प्रदूषण के स्तर में तत्काल कमी लाना है। घने कोहरे और खराब एयर क्वालिटी के बीच लागू इस अभियान के तहत केवल कार्रवाई ही नहीं, बल्कि निगरानी और व्यवस्थागत सुधार पर भी जोर दिया गया।
बीते 24 घंटों में 61,000 से अधिक पॉल्यूशन अंडर कंट्रोल सर्टिफिकेट जारी किए गए, जिससे यह संकेत मिला कि बड़ी संख्या में वाहन मालिक नियमों का पालन करने के लिए आगे आए हैं। प्रशासन का मानना है कि यह जनभागीदारी भविष्य में प्रदूषण नियंत्रण के प्रयासों को और प्रभावी बना सकती है। दिल्ली की सीमाओं पर भी सख्ती दिखाई दी, जहां लगभग 5,000 वाहनों की जांच की गई। इस दौरान 217 गैर-ज़रूरी ट्रकों को राजधानी में प्रवेश से रोका गया और उन्हें ईस्टर्न तथा वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे की ओर मोड़ दिया गया। साथ ही धूल और कचरा नियंत्रण के लिए 2,300 किलोमीटर सड़कों की मैकेनिकल रोड स्वीपिंग कराई गई, 5,524 किलोमीटर सड़कों पर एंटी-स्मॉग गन का इस्तेमाल किया गया और 132 अवैध कचरा डंपिंग प्वाइंट्स को बंद किया गया।
पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने गुरुवार को दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर और जनपथ सहित कई पेट्रोल पंपों का औचक निरीक्षण भी किया। उन्होंने पंप कर्मचारियों से नियमों का सख्ती से पालन करने के साथ-साथ वाहन चालकों से संयम और विनम्रता के साथ संवाद करने को कहा। उनका कहना था कि पेट्रोल पंप कर्मचारी इस अभियान में पहला संपर्क बिंदु हैं और जनता को यह समझाना जरूरी है कि ये नियम केवल प्रशासनिक आदेश नहीं, बल्कि नागरिकों और उनके बच्चों की सेहत से जुड़े हुए हैं। दिल्ली सरकार ने स्पष्ट किया है कि प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के खिलाफ यह कार्रवाई एक व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसमें सड़क की धूल, औद्योगिक उत्सर्जन, निर्माण एवं विध्वंस कचरा और ट्रैफिक प्रबंधन जैसे पहलू भी शामिल हैं।
अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि आने वाले दिनों में प्रवर्तन और तेज किया जाएगा और वाहन मालिकों से अपील की गई है कि वे जुर्माने और असुविधा से बचने के लिए अपने एमिशन सर्टिफिकेट समय पर अपडेट रखें। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो महीनों में बिना वैध PUC सर्टिफिकेट के वाहन चलाने पर 1.56 लाख से अधिक चालान जारी किए जा चुके हैं। पिछले तीन वर्षों में इस श्रेणी के चालानों की संख्या तीन गुना से भी अधिक बढ़ी है। 2023 में जहां 2.32 लाख चालान दर्ज किए गए थे, वहीं 2024 में यह संख्या 5.98 लाख तक पहुंच गई और 15 दिसंबर 2025 तक यह आंकड़ा 8.22 लाख हो चुका है। इनमें से बड़ी संख्या GRAP अवधि के दौरान जारी की गई, जब नियमों का उल्लंघन करने पर 10,000 रुपये तक का जुर्माना लगाया गया।
इसके अलावा, GRAP-4 के निर्देशों के बावजूद कुछ निजी कार्यालयों द्वारा वर्क फ्रॉम होम के नियमों का पालन न करने पर भी सरकार ने नाराजगी जताई है। मंत्री सिरसा ने स्पष्ट किया कि जो संस्थान कम से कम 50 प्रतिशत कर्मचारियों को घर से काम की अनुमति नहीं देंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है। वहीं निर्माण और विध्वंस कचरे से जुड़े उल्लंघनों पर भी प्रवर्तन एजेंसियों ने सख्त कदम उठाए हैं, जिसके तहत सैकड़ों चालान काटे गए और राजधानी की सीमाओं पर मालवाहक वाहनों की कड़ी निगरानी जारी रखी गई है। दिल्ली सरकार का कहना है कि ये सभी कदम मिलकर राजधानी में प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने और लोगों को स्वच्छ हवा का अधिकार दिलाने की दिशा में एक निर्णायक प्रयास हैं।








