
🌟🌟🌟
ऊधम सिंह नगर के शक्तिफार्म क्षेत्र में कक्षा दसवीं के एक छात्र ने कथित रूप से शिक्षक और विद्यालय प्रबंधन की मानसिक प्रताड़ना से आहत होकर आत्महत्या कर ली। परिजनों ने शिक्षकों पर गंभीर आरोप लगाए हैं, जिससे शिक्षा व्यवस्था की संवेदनशीलता पर सवाल खड़े हो गए हैं।
- नकल का आरोप बना जानलेवा बोझ, 16 वर्षीय छात्र की मौत से उठा सवाल
- विद्यालय की सख्ती या संवेदनहीनता? परिजनों ने शिक्षकों पर लगाए गंभीर आरोप
- शक्तिफार्म में छात्र आत्महत्या कांड, शिक्षा व्यवस्था की भूमिका पर बहस
- गलती की सजा इतनी बड़ी? मां से माफी मंगवाने तक का आरोप
ऊधम सिंह नगर : शक्तिफार्म क्षेत्र में एक निजी विद्यालय में पढ़ने वाले कक्षा दसवीं के छात्र की आत्महत्या ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। परिजनों का आरोप है कि विद्यालय के शिक्षक और प्रबंधन द्वारा की गई मानसिक प्रताड़ना से क्षुब्ध होकर छात्र ने यह कदम उठाया। मामला सामने आने के बाद शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन और मानवीय संवेदनशीलता के बीच संतुलन को लेकर गंभीर सवाल उठने लगे हैं।
शक्तिगढ़ वार्ड निवासी संयासी साना के अनुसार, वह मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हस्तिनापुर का रहने वाला है और पिछले दस वर्षों से शक्तिफार्म में किराए के मकान में रह रहा है। बाजार में उसकी जूस की दुकान है। उसका 16 वर्षीय बेटा नितिन साना क्षेत्र के एक निजी विद्यालय में कक्षा दसवीं का छात्र था। परिजनों का कहना है कि मंगलवार को विद्यालय में आयोजित मासिक परीक्षा के दौरान नितिन को नकल करते हुए पकड़ा गया, जिसके बाद उसे प्रधानाचार्य और अन्य शिक्षकों द्वारा मानसिक रूप से प्रताड़ित किया गया।
आरोप है कि यहीं मामला नहीं रुका। विद्यालय प्रबंधन ने अभिभावकों को बुलाया और नितिन की मां को स्कूल आना पड़ा। परिजनों के अनुसार, विद्यालय परिसर में शिक्षकों ने नितिन को फटकार लगाई, खरी-खोटी सुनाई और उसकी मां को भी सभी के सामने माफी मांगने के लिए विवश किया गया। इस घटना के बाद नितिन पूरी तरह से चुप और उदास हो गया। विद्यालय से लौटने के बाद उसने खुद को कमरे में बंद कर लिया। न उसने किसी से बात की और न ही भोजन किया।
शाम के समय उसकी छोटी बहन जिया जब दुकान से कमरे में पहुंची, तो उसने देखा कि नितिन का शव फर्श पर पड़ा हुआ है। सूचना मिलते ही परिजन मौके पर पहुंचे और उसे डॉक्टर के पास ले जाया गया, लेकिन तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। इस दुखद घटना के बाद परिजनों ने बिना पुलिस कार्रवाई के ही अंतिम संस्कार कर दिया। हालांकि, छात्र की मौत के पीछे लगाए गए आरोपों ने कई सवाल छोड़ दिए हैं।
क्या एक शैक्षणिक गलती की सजा इतनी कठोर होनी चाहिए थी? क्या विद्यालयों में अनुशासन के नाम पर बच्चों की मानसिक स्थिति को नजरअंदाज किया जा रहा है? यह घटना न सिर्फ एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था के लिए भी चेतावनी है कि अनुशासन और सुधार के साथ-साथ छात्रों की मानसिक स्थिति और आत्मसम्मान को समझना भी उतना ही जरूरी है।





