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पंकज मिश्रा हत्याकांड के बीच फेसबुक पर वायरल एक पत्र ने सनसनी फैला दी है, जिसमें सत्ता, पुलिस और अवैध वसूली से जुड़े गंभीर आरोप लगाए गए हैं। इस पत्र को अब मृत पत्रकार के मामले से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे जांच का दायरा और गहराता नजर आ रहा है।
- सोशल मीडिया पर डाले गए पत्र में सत्ता, पुलिस और अवैध वसूली के आरोप
- पत्र में मुख्यमंत्री से की गई अपील ने मामले को दिया नया मोड़
- पंकज मिश्रा हत्याकांड की जांच के बीच सामने आया विवादित दस्तावेज
- पुलिस और प्रशासन की भूमिका पर उठे तीखे सवाल
(देवभूमि समाचार)
देहरादून। राजधानी देहरादून में वरिष्ठ पत्रकार पंकज मिश्रा हत्याकांड की जांच के बीच सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक पत्र ने मामले को और अधिक संवेदनशील तथा गंभीर बना दिया है। फेसबुक पर डाले गए इस पत्र में न केवल राज्य की कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए गए हैं, बल्कि पुलिस, सत्ता और कथित अवैध वसूली को लेकर भी बेहद गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अब इस पत्र को पंकज मिश्रा हत्याकांड से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे प्रशासनिक और राजनीतिक हलकों में हलचल तेज हो गई है।
वायरल पत्र में स्वयं को पीड़ित बताने वाले व्यक्ति ने मुख्यमंत्री को संबोधित करते हुए दावा किया है कि राजधानी देहरादून के कई इलाकों में रात के समय अवैध गतिविधियां खुलेआम चल रही हैं और पुलिस की मौजूदगी नाममात्र की है। पत्र में कैनाल रोड से जाखन, राजपुर रोड और आसपास के क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए आरोप लगाया गया है कि यहां बैरियर लगाकर नियमित चेकिंग होती है, लेकिन कई स्थानों पर पुलिस दिखाई नहीं देती। पत्र में आगे दावा किया गया है कि एक प्रभावशाली व्यक्ति के माध्यम से कथित तौर पर करोड़ों रुपये की अवैध वसूली और लेन-देन की बातें कही जा रही हैं।
लेखक ने आरोप लगाया है कि उसे दबाव में आकर भारी रकम देने को कहा गया और इस पूरे तंत्र में सत्ता से जुड़े लोगों के नाम भी लिए गए हैं। हालांकि पत्र में लगाए गए आरोपों की सत्यता की पुष्टि अभी किसी आधिकारिक जांच से नहीं हुई है। इस पत्र को पंकज मिश्रा हत्याकांड से इसलिए जोड़ा जा रहा है क्योंकि मृत पत्रकार के परिजनों का आरोप है कि पंकज मिश्रा कुछ संवेदनशील मुद्दों पर काम कर रहे थे और कुछ प्रभावशाली लोगों से उनका टकराव भी हुआ था। सोशल मीडिया पर वायरल पत्र के सामने आने के बाद यह आशंका और गहराई है कि हत्या के पीछे केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि बड़े और संगठित हित जुड़े हो सकते हैं।
फेसबुक पर यह पत्र सामने आने के बाद पत्रकार संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने निष्पक्ष और उच्चस्तरीय जांच की मांग तेज कर दी है। लोगों का कहना है कि यदि पत्र में लगाए गए आरोपों में जरा भी सच्चाई है, तो यह राज्य की कानून-व्यवस्था और शासन प्रणाली के लिए बेहद गंभीर संकेत हैं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि वायरल पत्र को भी जांच के दायरे में लिया जा रहा है और यह देखा जा रहा है कि इसका पंकज मिश्रा हत्याकांड से कोई प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष संबंध है या नहीं। फिलहाल पुलिस हत्याकांड से जुड़े आरोपियों से पूछताछ, फोरेंसिक साक्ष्य और डिजिटल सबूतों के आधार पर मामले की परतें खोलने में जुटी हुई है।
पत्र से संबंधित फेसबुक का लिंक- https://www.facebook.com/share/p/1JCcmNKMm1/
पंकज मिश्रा की हत्या और अब सामने आए इस पत्र ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या एक पत्रकार की मौत केवल एक आपराधिक घटना थी या इसके पीछे ऐसे तथ्य छिपे हैं, जो सिस्टम के भीतर गहरी सड़ांध की ओर इशारा करते हैं। आने वाले दिनों में जांच की दिशा और निष्कर्ष इस पूरे प्रकरण की असल तस्वीर सामने लाने में निर्णायक साबित होंगे।






