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पौड़ी जिले में जल संस्थान की बड़ी लापरवाही सामने आई, जहां 2005 में बंद हो चुके पेयजल कनेक्शन का 15 हजार रुपये का बिल 82 वर्षीय बुजुर्ग को भेज दिया गया। मामला लोक अदालत पहुंचने पर बिल निरस्त हुआ और जल संस्थान को कड़ी फटकार लगी।
- पेयजल योजना खत्म, पाइप लाइन नहीं… फिर भी भेजा गया हजारों का बिल
- जल संस्थान की गलती से परेशान हुआ बुजुर्ग, लोक अदालत में मिला इंसाफ
- 20 साल पहले बंद कनेक्शन का बकाया थोपने का मामला उजागर
- पौड़ी में जल संस्थान की लापरवाही पर अदालत सख्त, बिल तत्काल रद्द
पौड़ी। जिला पौड़ी से एक चौंकाने वाला और प्रशासनिक लापरवाही को उजागर करने वाला मामला सामने आया है, जहां गांव में न तो पेयजल योजना मौजूद है और न ही किसी प्रकार का कनेक्शन, इसके बावजूद जल संस्थान द्वारा 82 वर्षीय बुजुर्ग को 15 हजार रुपये का बकाया बिल भेज दिया गया। यह मामला न केवल व्यवस्था की संवेदनहीनता को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि आम नागरिकों को अपनी ही गलती सुधारवाने के लिए कितनी मशक्कत करनी पड़ती है। यह पूरा प्रकरण जनपद पौड़ी के विकासखंड कल्जीखाल की ग्राम पंचायत ओलना अंतर्गत सुनारसारी गांव का है। इस छोटे से गांव में महज पांच परिवार निवास करते हैं।
यहां पहले धूरा-डुंगरा-ओलन पेयजल योजना के तहत जलापूर्ति होती थी, लेकिन वर्ष 2005 में यह योजना पूरी तरह बंद हो गई। इसके साथ ही गांव से न केवल पाइप लाइन हटा ली गई, बल्कि सभी पेयजल कनेक्शन भी समाप्त कर दिए गए। सुनारसारी गांव निवासी 82 वर्षीय पीतांबर सिंह चौहान ने बताया कि जब कनेक्शन बंद हुआ था, तब उन्होंने जल संस्थान को पूरा भुगतान कर दिया था। इसके बाद वर्षों तक न तो कोई जलापूर्ति हुई और न ही किसी प्रकार का बिल आया। लेकिन अगस्त-सितंबर 2025 में अचानक जल संस्थान पौड़ी द्वारा उनके नाम से 15 हजार रुपये के बकाये का नोटिस तहसील पौड़ी के माध्यम से भेज दिया गया।
इस नोटिस के बाद बुजुर्ग लगातार जल संस्थान के दफ्तरों के चक्कर काटते रहे। उन्होंने अधिकारियों को बताया कि गांव में न तो योजना है और न ही कोई कनेक्शन, फिर यह बकाया कैसे बन सकता है। इसके बावजूद उनकी शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया गया और उनसे बार-बार भुगतान की मांग की जाती रही, जिससे वे मानसिक रूप से बेहद परेशान हो गए। आखिरकार 18 सितंबर को जिला विधिक सेवा प्राधिकरण पौड़ी के पैरा लीगल वॉलंटियर जगमोहन डांगी ने बुजुर्ग की ओर से स्थायी लोक अदालत पौड़ी में वाद दाखिल किया। प्रकरण की पूरी पैरवी भी उनके द्वारा की गई। मामले की सुनवाई स्थायी लोक अदालत पौड़ी के अध्यक्ष एवं जिला जज धर्म सिंह की अदालत में हुई।
सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें और साक्ष्य सामने रखे गए। जल संस्थान प्रशासन पौड़ी ने अदालत में स्वीकार किया कि यह बिल गलती से काटा गया था। इसके बाद अदालत ने 15 हजार रुपये का पूरा बकाया बिल तत्काल प्रभाव से निरस्त करने के आदेश दिए। अदालत ने इस लापरवाही पर जल संस्थान प्रशासन को कड़ी फटकार भी लगाई और स्पष्ट चेतावनी दी कि भविष्य में इस तरह की गलती दोहराई गई तो सख्त कार्रवाई की जाएगी। सुनवाई के दौरान अदालत के सदस्य मयंक शर्मा और अरविंद पुरोहित भी मौजूद रहे।
लोक अदालत के फैसले के बाद बुजुर्ग पीतांबर सिंह चौहान ने राहत की सांस लेते हुए कहा कि उन्हें आखिरकार न्याय मिला है। उन्होंने उम्मीद जताई कि यह मामला जल संस्थान प्रशासन के लिए एक सबक बनेगा, ताकि आगे किसी निर्दोष नागरिक को इस तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।





