
🌟🌟🌟
इंडिगो एयरलाइंस के भारी संकट और हजारों उड़ानों के रद्द होने के बीच सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि न्यायालय एयरलाइन नहीं चला सकता। अदालत ने स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार पहले ही स्थिति पर कार्रवाई कर रही है और हस्तक्षेप की तत्काल आवश्यकता नहीं है।
- इंडिगो संकट पर सुप्रीम कोर्ट सख्त: कहा- यह हमारा क्षेत्र नहीं, सरकार कर रही कार्रवाई
- हजारों उड़ानें रद्द, फिर भी तत्काल सुनवाई नहीं—सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम एयरलाइन नहीं चला सकते
- इंडिगो उड़ान संकट पर अदालत का हस्तक्षेप से इनकार, सरकार ने उठाए कदम
- डीजीसीए और केंद्र की पहल पर्याप्त: सुप्रीम कोर्ट ने इंडिगो संकट पर याचिका खारिज की
नई दिल्ली। देश की सबसे बड़ी निजी एयरलाइन इंडिगो पिछले एक सप्ताह से गंभीर परिचालन संकट का सामना कर रही है। भारी संख्या में उड़ानों के अचानक रद्द होने, ओवरबुकिंग, यात्रियों की बढ़ती परेशानियों और हवाई अड्डों पर फैली अफरातफरी के बीच सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को तत्काल सुनवाई की मांग रखी गई। याचिका में कहा गया कि एयरलाइन ने बिना किसी पूर्व सूचना के हजारों उड़ानें रद्द कर दी हैं, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है।
लेकिन इस पर सुनवाई करते हुए भारत के मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत ने स्पष्ट शब्दों में कहा—“हम एयरलाइन नहीं चला सकते।” अदालत ने कहा कि स्थिति गंभीर अवश्य है, लेकिन यह प्रशासनिक और नियामक एजेंसियों के दायरे का विषय है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि केंद्र सरकार संकट का संज्ञान ले चुकी है और ऐसा प्रतीत होता है कि समय पर आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। इंडिगो संकट इस समय देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। एयरलाइन ने तकनीकी और परिचालन समस्याओं का हवाला देते हुए एक सप्ताह में हजारों उड़ानें रद्द कीं, जिससे लाखों यात्री प्रभावित हुए। कई हवाई अड्डों पर यात्री रातभर फंसे रहे। कोर्ट में पेश वकील ने इस स्थिति को “यात्रियों के अधिकारों का सीधा उल्लंघन” बताते हुए कहा कि तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप आवश्यक है।
Government Advertisement
इसी बीच, दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई करने पर सहमति दे दी है, जिसमें इंडिगो पर नियमों के अनियंत्रित उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। याचिका में दावा किया गया है कि एयरलाइन ने लगातार ओवरबुकिंग, बिना सूचना रद्दीकरण, यात्रियों के साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार और डीजीसीए के नियमों की अनदेखी की है, जिसकी वजह से वर्तमान विमानन संकट पैदा हुआ। याचिकाकर्ता ने उच्च न्यायालय से स्वतंत्र न्यायिक जांच की भी मांग की है।
उधर केंद्र और डीजीसीए ने भी हाल के दिनों में एयरलाइन को नोटिस जारी किया है। डीजीसीए ने 650 से अधिक उड़ानें रद्द होने पर इंडिगो को कारण बताओ नोटिस दिया है और स्पष्ट किया है कि यात्रियों के अधिकारों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। केंद्र सरकार ने विभिन्न हवाई अड्डों पर फंसे यात्रियों को भोजन, पानी और बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराने के निर्देश भी जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट कर दिया कि नियामक एजेंसियों और सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदम पर्याप्त प्रतीत होते हैं। अदालत ने कहा कि हालात पर नजर रखी जाएगी, लेकिन फिलहाल न्यायालय हस्तक्षेप नहीं करेगा। एयरलाइन उद्योग से जुड़े विशेषज्ञों का मानना है कि यह संकट न केवल इंडिगो बल्कि पूरे भारतीय विमानन क्षेत्र की संरचनात्मक चुनौतियों को उजागर करता है, जिसे सुधारने के लिए दीर्घकालिक नीति जरूरत होगी।








