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किलौटा गांव की शादी से लौट रही बरात का वाहन लोहाघाट-चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग पर खाई में गिर गया, जिसमें दूल्हे की बहन, भांजे और रिश्तेदारों समेत पांच लोगों की मौत हो गई। खुशियों का माहौल एक ही पल में मातम में बदल गया, जबकि घायल दूल्हे का भांजा जीवन की जंग लड़ रहा है।
- खाई में गिरे वाहन ने उजाड़ दिया पूरा परिवार
- दूल्हे की बहन व भांजे समेत पांच की मौत, कई घायल
- किलौटा गांव में मातम, खुशियां पलभर में छिन गईं
- घुमावदार मोड़ पर वाहन अनियंत्रित, दर्दनाक हादसा
पिथौरागढ़ | किलौटा गांव में जहां कुछ समय पहले तक ढोल-नगाड़ों और शहनाइयों की मधुर गूंज सुनाई दे रही थी, आज वहां गहरा सन्नाटा पसरा है। शादी की रौनक और आनंद का वातावरण कुछ ही घंटों में भयावह त्रासदी में बदल गया। सेराघाट से पाटी लौटी बरात का वाहन लौटते समय लोहाघाट-चंपावत राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाघधारा के पास अनियंत्रित होकर गहरी खाई में जा गिरा। इस भीषण दुर्घटना में दूल्हे की बड़ी बहन भावना चौबे, छह वर्षीय भांजा प्रियांशु, छोटी बहन के पति प्रकाश चंद्र उनियाल और उनके देवर केवल चंद्र उनियाल समेत पांच लोगों की मौके पर ही मौत हो गई।
दूल्हे का एक और भांजा गंभीर रूप से घायल है और अस्पताल में जीवन-मरण से जूझ रहा है। किलौटा गांव के बबलू पंडा की शादी की तैयारियां कई दिनों से पूरे उत्साह के साथ चल रही थीं। परिवार, रिश्तेदार और ग्रामीण इस शुभ अवसर पर बड़ी संख्या में मौजूद थे। बृहस्पतिवार को दूल्हा-दुल्हन सात फेरे लेकर एक-दूजे के हो गए और देर रात खुशी-खुशी बरात अपने घर की ओर वापस लौट रही थी। किसी को अंदेशा नहीं था कि यह लौटते हुए सफर इतने बड़े दुख का कारण बन जाएगा।
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घुमावदार सड़क पर वाहन अचानक अनियंत्रित हुआ और सीधे खाई में जा गिरा। पल भर में हंसी-खुशी से भरी पूरी बरात मातम में बदल गई। हादसे की सूचना जैसे ही गांव पहुंची, किलौटा में कोहराम मच गया। लोग अविश्वास में डूब गए और हर ओर चीख-पुकार गूंज उठी। दूल्हे का छोटा भाई भाष्कर, जो शादी की तैयारियों में सबसे आगे रहा, उसी वाहन में सवार था और गंभीर रूप से घायल है। वह अस्पताल में जीवन के लिए संघर्ष कर रहा है, जबकि उसे अभी यह तक नहीं पता कि उसके अपने कितने करीबी उससे हमेशा के लिए दूर हो चुके हैं।
भावना चौबे अपने पति सुरेश चौबे और दोनों बेटों के साथ बरात में शामिल हुई थीं। हादसे में भावना और उनके छह वर्षीय बेटे प्रियांशु की मौत ने पूरे परिवार को भीतर तक तोड़ दिया। पांच वर्षीय छोटा बेटा चेतन अपनी मां की गोद में बैठा हुआ था—वह चमत्कारिक रूप से बच गया, लेकिन अभी वह इस त्रासदी के दर्द को समझने की उम्र में भी नहीं है। सुरेश चौबे जिस वाहन में सवार थे, वह पीछे चल रहा था, जिससे उनकी जान बच गई। पत्नी और बेटे की मौत ने उन्हें पूरी तरह से तोड़ कर रख दिया है।
उनका कहना है कि यदि वह भी उसी वाहन में होते, तो शायद आज वह भी अपने प्रियजनों के साथ इस दुनिया को अलविदा कह चुके होते। इस दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों की खुशियों को निगल लिया है। पूरा क्षेत्र शोक और दुख में डूबा है। गांव में हर किसी की आंख नम है और सवाल यह है कि एक उल्लासपूर्ण अवसर आखिर कैसे कुछ ही पलों में भयावह त्रासदी में बदल सकता है।





