
देहरादून। देहरादून में अधिवक्ताओं की हड़ताल लगातार व्यापक रूप लेती जा रही है और फिलहाल इसके समाप्त होने के कोई संकेत नहीं दिख रहे। चेंबर निर्माण की मांग को लेकर जारी इस आंदोलन के बीच रविवार को बार एसोसिएशन के प्रतिनिधियों ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मुलाकात कर अपनी चिंताएं विस्तार से रखीं। मुख्यमंत्री ने उनकी समस्याओं को गंभीरता से सुनने के बाद जिलाधिकारी को अधिवक्ताओं के साथ संवाद स्थापित कर समाधान खोजने के निर्देश दिए। इसके मद्देनजर सोमवार को डीएम अधिवक्ताओं से औपचारिक बातचीत करेंगे। हालांकि, वकीलों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि केवल आश्वासन के आधार पर आंदोलन वापस नहीं लिया जाएगा।
पिछले छह दिनों से अधिवक्ता लगातार हड़ताल पर हैं और हर दिन हड़ताल का समय आधे घंटे बढ़ाया जा रहा है। सोमवार को हड़ताल शाम तीन बजे तक और मंगलवार को साढ़े तीन बजे तक रहने की घोषणा की गई है। बार एसोसिएशन रणनीति के तहत धीरे-धीरे हड़ताल को पूरे दिन तक ले जाने की तैयारी में है। इसके साथ ही अब रजिस्ट्रार कार्यालयों को बंद कराने की योजना भी बनाई जा रही है, ताकि विरोध को और प्रभावी तरीके से दर्ज कराया जा सके।
अधिवक्ताओं का कहना है कि नए न्यायालय परिसर में चेंबर निर्माण के लिए आवंटित भूमि बेहद कम है, जिससे केवल एक हजार अधिवक्ताओं को ही स्थान मिल पाएगा। जबकि वर्तमान में देहरादून बार एसोसिएशन के अंतर्गत काम करने वाले अधिवक्ताओं की संख्या पांच हजार से ज्यादा है। इसके अलावा पांच हजार से अधिक स्टांप वेंडर, मुंशी और अन्य कर्मी रोजाना कचहरी में मौजूद रहते हैं। हर दिन लगभग 20 से 25 हजार वादकारी और उनके परिजन न्यायालय परिसर में पहुंचते हैं, जिनके बैठने तक की समुचित व्यवस्था नहीं है।
अधिवक्ताओं ने मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपते हुए स्पष्ट किया कि पुराने न्यायालय भवन को दून अस्पताल को आवंटित किए जाने के बाद नई व्यवस्था और अधिक असुविधाजनक हो गई है, क्योंकि यह स्थान अस्पताल से काफी दूर है और इससे अधिवक्ताओं और वादकारियों दोनों को कठिनाई होती है। इसी कारण अधिवक्ता चेंबर निर्माण में सरकार की स्पष्ट और ठोस भूमिका की मांग कर रहे हैं।
शनिवार को बार काउंसिल के आह्वान पर पूरे उत्तराखंड में अधिवक्ता पूरे दिन हड़ताल पर रहे, जिसके चलते किसी भी न्यायालय में कामकाज नहीं हो पाया। वहीं रविवार को राज्यसभा सांसद नरेश बंसल के नेतृत्व में बार एसोसिएशन के अध्यक्ष मनमोहन कंडवाल, सचिव राजबीर सिंह बिष्ट और अन्य पदाधिकारी मुख्यमंत्री से मिले और व्यापक मांगों को उनके समक्ष रखा।
अधिवक्ताओं का रुख स्पष्ट है—जब तक चेंबर निर्माण और अन्य व्यवस्थाओं पर ठोस निर्णय नहीं लिया जाता, तब तक हड़ताल वापस नहीं होगी। अब सभी की निगाहें सोमवार को होने वाली डीएम और अधिवक्ताओं की बातचीत पर टिकी हैं, जहां से समाधान की दिशा में कोई ठोस पहल निकलने की अपेक्षा की जा रही है।





