
हल्द्वानी। वन निगम के लौंगिग प्रभाग, पूर्वी हल्द्वानी में संविदा पर तैनात एक कंप्यूटर ऑपरेटर ने महज 26 महीनों की नौकरी में भ्रष्टाचार का ऐसा जाल बिछाया कि पूरा महकमा हैरान रह गया। भ्रष्टाचार, फर्जी उपस्थिति, गलत भुगतान, पासवर्ड बदलने से लेकर सगे भाई को लाभ पहुंचाने तक, अनेक गंभीर आरोपों की पुष्टि के बाद महेंद्र सिंह बिष्ट को तत्काल प्रभाव से बर्खास्त कर दिया गया है और उसे पूरे वन विकास निगम से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है।
धारी ब्लॉक के धानाचूली निवासी महेंद्र सिंह बिष्ट दो साल दो महीने पहले संविदा पर नियुक्त हुआ। नौकरी के शुरुआती दिनों से ही उसने विभाग के कई बड़े अधिकारियों से नजदीकी बढ़ाई और महकमे में ऐसा दबदबा बनाया कि अधिकारी भी उससे असहज महसूस करने लगे। जांच में सामने आया कि महेंद्र ने अपनी चालाकियों से विभाग के कार्यों में कई तरह के अनियमित खेल किए और लाखों के हेरफेर को अंजाम दिया।
फर्जी उपस्थिति और बायोमैट्रिक से खिलवाड़ – जांच में पता चला कि 19, 20 और 21 दिसंबर 2023 और छह मार्च 2024 को महेंद्र बायोमैट्रिक मशीन में अनुपस्थित था, लेकिन उपस्थिति पंजिका में उसने बैक डेट में हस्ताक्षर कर दिए। 26 महीनों में 76 बार उसने सुबह आठ से नौ बजे के बीच उपस्थिति दर्ज तो करवाई, लेकिन उसके बाद पूरे दिन गायब रहा। इतना ही नहीं, सात बार उसने अवकाश स्वीकृत करवाया और फिर भी बायोमैट्रिक में उपस्थिति दर्ज करा दी। विभागीय डाक खुद भेजता था और उसी डाक को डिस्पैच रजिस्टर में स्वयं ही दर्ज कर देता था। जांच में यह भी सामने आया कि कार्यालय का माउस और कीबोर्ड भी वह घर ले गया था।
सगे भाई को दिलाया ठेका और भुगतान – महेंद्र ने अपने भाई अजय बिष्ट के नाम से नंधौर छकाता रेंज में जड़ खुदान कार्य का कोटेशन डलवाया और काम पूरा होने के बाद उसे 2,21,840 रुपये का भुगतान भी करा दिया। जांच में यह बात सामने आई कि कोटेशन में जो हस्तलिपि थी, वह भी महेंद्र की ही प्रतीत होती है।
आरटीआई आने पर बदल दिया पासवर्ड – जब उसके कार्यों पर आरटीआई के तहत जानकारी मांगी गई, तो महेंद्र ने तत्काल आरटीआई पोर्टल के लॉगिन का यूजर आईडी और पासवर्ड ही बदल डाला। बाद में मुख्यालय से पासवर्ड किसी तरह रिकवर किया गया।
वन निगम के खाते से गलत भुगतान – जांच रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि महेंद्र ने सहायक लेखाकार और बैंक कर्मियों की मिलीभगत से आउटसोर्स कर्मियों के मानदेय के 72,775 रुपये की रकम वन निगम के चेक की फोटो कॉपी के आधार पर ही जारी करा दी। वास्तविक चेक भेजे जाने पर दोबारा भुगतान हुआ और फिर गलत भुगतान की राशि वापस लेने में एक माह लग गया।
जांच में सब सामने आया, तुरंत बर्खास्तगी – डीएलएम पूर्वी हल्द्वानी उपेंद्र सिंह बर्तवाल ने बताया कि पदभार ग्रहण करने के बाद कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ लगातार शिकायतें मिल रही थीं। गंभीर आरोपों को देखते हुए जांच कराई गई, जिसमें भ्रष्टाचार, अनियमितता और अनुशासनहीनता के कई प्रमाण मिले।
इसी आधार पर महेंद्र सिंह बिष्ट को तुरंत पद से हटाकर पूरे निगम से ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। मामले से विभाग के अन्य कर्मचारियों और अधिकारियों में भी खौफ का माहौल है, क्योंकि यह मामला प्रशासनिक ढांचे की कमजोरियों को उजागर करता है। हल्द्वानी वन निगम में हुए इस घोटाले ने विभाग की कार्यप्रणाली और संविदा प्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।





