
देहरादून। उत्तराखंड में रोजगार का सवाल पूछना दो पीआरडी जवानों को भारी पड़ गया। ऊधम सिंह नगर में मंत्री रेखा आर्या से 300 दिन रोजगार देने के वादे पर सवाल करने पर दोनों जवानों को ड्यूटी से हटा दिया गया है। मामला सामने आने के बाद विभागीय कार्रवाई और सरकार की कार्यप्रणाली को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
जानकारी के अनुसार, 5 अक्तूबर को महिला एवं बाल विकास, खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति, उपभोक्ता मामले और खेल एवं युवा कल्याण मंत्री रेखा आर्या जिला मुख्यालय स्थित फूलसुंगा और ट्रांजिट कैंप में बन रहे 125 करोड़ रुपये की लागत के कामकाजी महिला छात्रावास का निरीक्षण करने पहुंची थीं। इस दौरान मौके पर तैनात पीआरडी जवान बाबू खान (निवासी शहदौरा, किच्छा) और वीरेंद्र (निवासी गदरपुर) ने मंत्री से पूछा कि “मेडम, आपने पीआरडी जवानों को 300 दिन रोजगार देने की बात कही थी, यह रोजगार कब मिलेगा?”
बताया गया कि मंत्री ने सवाल का कोई जवाब नहीं दिया और आगे बढ़ गईं। लेकिन उनके जाने के बाद जिला युवा कल्याण विभाग ने दोनों जवानों को ड्यूटी से हटाने का आदेश जारी कर दिया। अगले दिन जब वे ड्यूटी पर पहुंचे तो उन्हें बताया गया कि उन्हें सेवा से अलग कर दिया गया है। दोनों जवानों का कहना है कि दीपावली से पहले नौकरी से हटाए जाने से उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई है और वे मानसिक रूप से परेशान हैं।
बाबू खान ने बताया कि वह और वीरेंद्र ट्रांजिट कैंप थाने में तैनात थे और मंत्री के काफिले की स्कॉर्ट ड्यूटी भी कर रहे थे। वे कभी-कभी वाहन चालक के रूप में भी कार्य करते थे। दोनों को प्रतिदिन 620 रुपये मानदेय मिलता था और ड्यूटी की अवधि भी सीमित होती थी — कभी दो महीने, कभी छह महीने तक।
तीन साल पहले वर्ष 2022 में मंत्री रेखा आर्या ने पीआरडी जवानों को साल में 300 दिन रोजगार देने की घोषणा की थी, लेकिन अभी तक यह वादा पूरा नहीं हो सका। इसी वादे की याद दिलाने पर दोनों जवानों को हटाने की कार्रवाई की गई।
जिला युवा कल्याण अधिकारी बी.एस. रावत ने कहा कि दोनों जवानों ने वर्दी में रहते हुए प्रोटोकॉल का उल्लंघन किया था, इसलिए नियमानुसार कार्रवाई की गई है। हालांकि, मामले ने सरकार और विभाग की संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब मुख्यमंत्री स्वयं युवाओं से संवाद बढ़ाने की बात कर रहे हैं।







