
एटा | उत्तर प्रदेश के एटा जिले में दिवाली की रात पुलिस की बड़ी लापरवाही सामने आई है। थाना राजा का रामपुर क्षेत्र के गांव अंगदपुर में जुआ खेलते लोगों को पकड़ने गई पुलिस टीम ग्रामीणों के दबाव में आकर जुआरियों को छोड़कर थाने लौट आई। घटना की जानकारी अधिकारियों तक नहीं पहुंचाई गई, लेकिन जब वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो पूरा मामला उजागर हो गया। इस लापरवाही पर एसएसपी श्याम नारायण सिंह ने थाना प्रभारी मुकेश तोमर समेत सात पुलिसकर्मियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया।
जानकारी के मुताबिक, सोमवार रात थाना राजा का रामपुर में तैनात उपनिरीक्षक रूपचंद और वीरपाल पुलिस टीम के साथ गांव अंगदपुर में छापा मारने पहुंचे थे। टीम ने मौके पर कुछ लोगों को जुआ खेलते रंगे हाथों पकड़ लिया। लेकिन गिरफ्तारी की कार्रवाई पूरी होने से पहले ही बड़ी संख्या में ग्रामीण, महिलाएं और पुरुष मौके पर जमा हो गए।
पुलिस से ग्रामीणों की तीखी बहस हुई और माहौल तनावपूर्ण हो गया। ग्रामीणों ने पुलिसकर्मियों को घेर लिया और धमकी दी कि अगर पकड़े गए जुआरियों को तुरंत नहीं छोड़ा गया तो वे सड़क जाम कर देंगे। बढ़ते हंगामे और भीड़ के दबाव में पुलिसकर्मियों ने पकड़े गए सभी लोगों को छोड़ दिया और बिना कोई लिखित रिपोर्ट दर्ज किए थाने लौट आए।
इस पूरे घटनाक्रम का वीडियो मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने बना लिया और शुक्रवार को सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया। वीडियो में ग्रामीणों को पुलिस से बहस करते और सड़क जाम करने की धमकी देते हुए साफ देखा जा सकता है। वीडियो सामने आने के बाद पुलिस विभाग में हड़कंप मच गया।
एसएसपी श्याम नारायण सिंह ने मामले की जांच करवाई, जिसमें पाया गया कि पुलिसकर्मियों ने न केवल भीड़ के दबाव में कानून तोड़ा बल्कि घटना को छुपाने की भी कोशिश की। उन्होंने बताया कि थाना प्रभारी मुकेश तोमर, उपनिरीक्षक रूपचंद और वीरपाल सहित आरक्षी ह्रदयनारायण, बहादुर, अजय और धर्मसिंह को निलंबित कर दिया गया है।
एसएसपी ने कहा, “जो घटना हुई थी, उसे थाने लौटकर जीडी में दर्ज किया जाना चाहिए था। लेकिन पुलिसकर्मियों और थाना प्रभारी ने इसे छुपाने का प्रयास किया। यह गंभीर अनुशासनहीनता है और विभागीय नियमों के विरुद्ध है, इसलिए सभी को निलंबित किया गया है।”
स्थानीय सूत्रों के अनुसार, ग्रामीणों के दबाव में पुलिसकर्मियों का झुकना कानून व्यवस्था की कमजोरी का संकेत है। इससे न केवल अपराधियों का मनोबल बढ़ता है बल्कि पुलिस की साख पर भी प्रश्नचिह्न लग जाता है। विभागीय सूत्रों का कहना है कि संबंधित थाने की कार्यशैली की भी समीक्षा की जाएगी ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।








