
देहरादून। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में एक हृदयविदारक घटना सामने आई है। श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में कार्यरत एक नर्सिंग स्टाफ ने अपने घर में खुद को जहर का इंजेक्शन लगाकर आत्महत्या कर ली। घटना ने इलाके में शोक और सन्नाटा दोनों फैला दिए हैं। मृतक के कमरे से मिले सुसाइड नोट ने पूरे परिवार और जानने वालों को भावुक कर दिया।
घटना का विवरण
यह घटना प्रेमनगर थाना क्षेत्र के कंडोली इलाके की है। मृतक की पहचान 32 वर्षीय अशोक पुत्र प्रकाश चंद, निवासी भद्रकाली, कंडोली के रूप में हुई। अशोक श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में बतौर नर्सिंग स्टाफ कार्यरत था। गुरुवार देर शाम जब परिजन उसे बुलाने उसके कमरे में गए, तो दरवाजा अंदर से बंद था। काफी देर तक आवाज देने के बाद जब दरवाजा तोड़ा गया, तो अशोक बिस्तर पर मृत अवस्था में मिला। उसके बाएं हाथ में कैनुला (इंजेक्शन पाइप) लगा हुआ था और पास ही एक शीशी, दो खाली सिरिंज और एक मोबाइल फोन पड़ा मिला।
पुलिस जांच और बरामदगी
सूचना पर बिधौली चौकी प्रभारी प्रवीण सैनी मौके पर पहुंचे। पुलिस ने घटनास्थल से सुसाइड नोट, सिरिंज, शीशी और मोबाइल फोन बरामद किए। फील्ड यूनिट को बुलाकर फोरेंसिक जांच की गई। शव का पंचनामा भरकर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया। चौकी प्रभारी ने बताया कि सुसाइड नोट में किसी भी व्यक्ति पर आरोप नहीं लगाया गया है। मृतक ने यह स्पष्ट लिखा है कि वह अपनी मर्जी से यह कदम उठा रहा है और इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है। फिलहाल पुलिस ने यूडी केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
सुसाइड नोट में लिखा—”पापा, मैंने आपका दिल दुखाया, माफ करना”
अशोक का सुसाइड नोट बेहद भावुक है। उसने अपने परिवार को संबोधित करते हुए लिखा—
“पापा, मैंने आपका दिल दुखाया है, मुझे माफ करना। मेरी मोटरसाइकिल का ध्यान रखना, उसे आप चलाना। मेरे अकाउंट में जो पैसे हैं, उन्हें बहन की शादी में लगा देना।”
रिपोर्ट के मुताबिक, अशोक ने अपने मोबाइल, बैंक और सोशल मीडिया अकाउंट्स के पासवर्ड भी नोट में लिखे हैं, ताकि परिवार को किसी तरह की दिक्कत न हो। उसने साफ शब्दों में कहा है कि यह उसका स्वयं का निर्णय है और किसी को दोष न दिया जाए।
एक संवेदनशील युवक की चुप पीड़ा
पड़ोसियों और सहकर्मियों के अनुसार, अशोक एक शांत और विनम्र स्वभाव का युवक था। वह अपने काम के प्रति बेहद समर्पित था और कई बार अस्पताल में अतिरिक्त ड्यूटी भी करता था। पुलिस का मानना है कि वह किसी गहरी मानसिक पीड़ा या तनाव में था, लेकिन उसने कभी किसी से इसका जिक्र नहीं किया। अभी तक आत्महत्या के पीछे व्यक्तिगत कारणों की संभावना जताई जा रही है।
अस्पताल प्रशासन और सहकर्मियों में शोक
श्रीमहंत इंदिरेश अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टरों ने इस घटना पर गहरा दुख जताया। सहकर्मियों का कहना है कि अशोक मेहनती और जिम्मेदार नर्स था, जो मरीजों से हमेशा नम्रता से पेश आता था। अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि वे पुलिस जांच में पूरा सहयोग करेंगे और मृतक के परिवार की हर संभव मदद करेंगे।
परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़
अशोक के पिता प्रकाश चंद ने पुलिस को बताया कि उनके बेटे ने कभी किसी परेशानी का जिक्र नहीं किया था। वे समझ नहीं पा रहे कि आखिर उसने ऐसा कदम क्यों उठाया। परिजनों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे हैं। अशोक की मां और बहन का रो-रोकर बुरा हाल है।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चेतावनी
इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य और कार्यस्थल तनाव को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि स्वास्थ्यकर्मी अक्सर दूसरों की जिंदगी बचाने में जुटे रहते हैं, लेकिन खुद अपने भीतर चल रहे तनाव से नहीं निपट पाते। ऐसे मामलों में काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य समर्थन बेहद जरूरी है।
पुलिस की अपील
प्रेमनगर थाना प्रभारी ने जनता से अपील की है कि कोई भी व्यक्ति यदि मानसिक तनाव में हो या आत्मघाती विचार आ रहे हों, तो तुरंत परिवार, मित्रों या हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करें।
आत्महत्या किसी समस्या का समाधान नहीं, बल्कि अस्थायी दर्द का स्थायी अंत है।






