
लेखिका: डॉ. पूनम गुजरानी
प्रकाशक: बोधि प्रकाशन, 14, केसर नगर ए, केसर चौराहा, नवजीवन हास्पिटल के सामने, मुहाना मंडी रोड, मानसरोवर विस्तार, जयपुर 302020, राजस्थान
मूल्य: 249 रुपए
पृष्ठ: 136
समीक्षक: सुनील कुमार माथुर
डॉ. पूनम गुजरानी ने अपने गीत संग्रह रंगमंच है दुनिया को छह भागों में विभाजित किया है: धरा के आगोश में, मोह के धागे, पीड़ा के पहरुए, रिश्तों के रंग, आचमन, रंग तरंग और रंगमंच है दुनिया। इनके सभी गीत वर्तमान समय में प्रासंगिक और प्रेरक हैं। संग्रह के कुछ प्रमुख गीत हैं: सावन कब जायेगा, नयनों में मदिरा छलकाई, कुदरत का कानून, अक्सर कहती रामदुलारी, गुड़िया के पप्पा, लोग कहे बेचारी, पसीने की महक, कर्मवीर, सब ठीक ठाक है।
ये गीत पाठकों का न केवल मनोरंजन करते हैं, बल्कि उन्हें गुनगुनाने पर भी मजबूर करते हैं। प्रत्येक गीत में सच्चाई और संदेश छिपा हुआ है, जो प्रेरक है। डॉ. पूनम गुजरानी की प्रिय विधाएँ गीत और ग़ज़ल हैं। वे दुनिया को रंगमंच कहती हैं और मानवीय जीवन में आ रही गिरावट पर भी अपने गीतों के माध्यम से चिंता व्यक्त करती हैं। इस संग्रह को उन्होंने अपने पिता छत्र मल छाजेड़ को समर्पित किया है। सभी गीत वर्तमान समय में प्रासंगिक हैं और जनमानस को चिंतन-मनन के लिए प्रेरित करते हैं।
डॉ. गुजरानी की कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं और उन्होंने अनेक पुस्तकों का संपादन भी किया है। देश-विदेश की पत्र-पत्रिकाओं में उनकी रचनाएं नियमित रूप से प्रकाशित होती रहती हैं। वे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित हो चुकी हैं। यदि कहा जाए कि पुरस्कार उनके पीछे दौड़ते हैं तो यह अतिशयोक्ति नहीं होगी। पुस्तक की छपाई, गेटअप, मेकअप और कागज की गुणवत्ता उत्तम है। उनकी हर पुस्तक संकलन योग्य है।
सुनील कुमार माथुर
सदस्य, अणुव्रत लेखक मंच (स्वतंत्र लेखक एवं पत्रकार) 33, वर्धमान नगर, शोभावतों की ढाणी, खेमे का कुंआ, पालरोड, जोधपुर, राजस्थान










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