
राज शेखर भट्ट
देहरादून। एक तरफ सूत्रों के अनुसार, सितम्बर 2022 में बंशीधर तिवारी जी ने सूचना महानिदेशक का पद संभाला था। वहीं दूसरी तरफ सूचना अधिकार अधिनियम के अनुसार, अब तक जितने मामलों में प्रथम अपील दर्ज की गयी है, वह सभी मामले डीजी साहब के कुर्सी सम्भालने के बाद के ही हैं। क्रमानुसार देखें तो ‘मथुरा पंडित दीन दयाल कामधेनु गौशाला समिति एवं हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ लर्निंग एण्ड लाईवलीहुड’ यह दोनों मामले वर्ष 2022 के ही हैं। जिनके जवाब देने में लोक सूचना अधिकारी जी ने या तो गलत जवाब दिया है, या यह कहकर मना कर दिया है कि ‘वांछित सूचना उपलब्ध नहीं है।’
अब सोचने वाली बात यह है कि क्या विभाग के पास इनसे संबंधित सूचना नहीं है? कहीं ऐसा तो नहीं कि महानिदेशक महोदय द्वारा ही सूचना को बाहर जाने से रोका जा रहा हो। यह तो समय ही बतायेगा कि आखिर सच क्या है और झूठ क्या है, लेकिन अभी तो सूचना विभाग सवालों के घेरे में है। जिनकी पुष्टि कई पत्रकारों ने अपने समाचारों और वीडियो से की है, जिसमें बारामासा और न्यूज लॉन्ड्री का नाम मुख्य है। अभी तक कई समाचार पत्र, न्यूज पोर्टल, न्यूज चैनल और न्यूज एजेंसियों को विभाग के द्वारा या मुख्यमंत्री के द्वारा बड़ी राशि के विज्ञापन देकर गोदी मीडिया बनाया जा चुका है।
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मजे की बात यह भी है कि वही गोदी मीडिया अपने समाचार पत्रों और निजी फेसबुक आईडी के माध्यम से सीएम और महानिदेशक का गुणगान करने में लगे हुये हैं। लेकिन मैंने एक बात यह सुनी है कि अच्छा इनसान वह कहलाता है, जो सभी के लिए अच्छा हो। अब जो गोदी मीडिया की फाईल को ही आगे बढ़ा रहा हो, उसी को 5 लाख, 10 लाख, 15 लाख, 20 लाख के निजी विज्ञापन दे रहा हो या दिलवा रहा हो तो वो अच्छाई की किस कोटि में आता है, यह जनता तय कर लेगी। महानिदेशक महोदय से संबंधित कई पत्रकारों ने यह भी कहा है कि ‘‘विज्ञापन नहीं देते हैं, आवेदन गायब हो रहे हैं, निजी दर के आवेदन को विभागीय बना रहे हैं, इत्यादि…।‘‘
बहरहाल, अभी हमारे साथ-साथ सभी पाठकों को इंतजार करना पड़ेगा। क्योंकि अभी अपील का प्रतिउत्तर आने में समय है। देखना यह भी है कि प्रतिउत्तर सही आता है, दस्तावेज दिये जाते हैं या द्वितीय अपील का सहारा लेना पड़ेगा। सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से उत्तर प्राप्त करने के लिए सूचना आयोग पर भरोसा करना पड़ेगा, जिससे कि उत्तरों की सत्यता सामने आये। हालांकि सितम्बर 2022 में महानिदेशक महोदय कुर्सी पर बैठे, सितम्बर 2022 के 2 मामलों में अपील दर्ज है और सितम्बर 2025 भी जा चुका है।
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