
देहरादून। रुड़की के ग्राम खंजरपुर में अवैध रूप से संचालित सर्प विष (Snake Venom) संग्रहण केंद्र के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस प्रकरण में भाजपा सांसद और पीपल फॉर एनिमल्स संस्था की संस्थापक मेनका गांधी ने वन विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने इस मामले में मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और एडीजी विजिलेंस को पत्र लिखकर कठोर कार्रवाई की मांग की है।
मेनका गांधी ने पत्र में कहा कि अवैध केंद्र के संचालन की जानकारी पहले से हरिद्वार वन प्रभाग के अधिकारियों – डीएफओ और एसडीओ – को दी गई थी, लेकिन उन्होंने कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह अवैध गतिविधि लंबे समय तक चलती रही। सांसद ने मांग की है कि डीएफओ और एसडीओ को निलंबित कर विभाग से हटाया जाए और उनकी संपत्ति की जांच भी की जाए।
वन विभाग की कार्रवाई और शासन की प्रतिक्रिया
10 सितंबर को वन विभाग की टीम ने खंजरपुर स्थित सर्प विष केंद्र पर छापा मारा था।
- इस दौरान 70 कोबरा और 16 रसल वाइपर बरामद किए गए।
- जांच में सामने आया कि केंद्र का संचालन दिसंबर 2023 में समाप्त हो चुकी अनुमति के बावजूद अवैध रूप से किया जा रहा था।
- छापेमारी के बाद केंद्र संचालक सारा वेनम और दस्तावेजों के साथ फरार हो गया।
मामले के सामने आने के बाद शासन ने प्रमुख वन संरक्षक (वन्यजीव) से आख्या तलब की है।
भ्रष्टाचार का गंभीर मामला
मेनका गांधी ने इस पूरे मामले को “वन विभाग में गंभीर भ्रष्टाचार का उदाहरण” बताया है। उनका कहना है कि सर्प विष का अवैध कारोबार न केवल वन्यजीव संरक्षण कानून का उल्लंघन है बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संवेदनशील मामला है। इसलिए इसमें उच्च स्तर पर जांच और कठोर दंडात्मक कार्रवाई जरूरी है।
स्थानीय स्तर पर भी इस घटना ने चिंता बढ़ा दी है। ग्रामीणों का कहना है कि सर्प विष केंद्र की गतिविधियों को लेकर संदेह लंबे समय से था, लेकिन विभाग की ओर से ठोस कार्रवाई नहीं की गई। पर्यावरणविदों का मानना है कि यदि इस तरह के मामलों पर सख्ती नहीं बरती गई, तो वन्यजीव संरक्षण और जैव विविधता पर गंभीर असर पड़ सकता है।