
सुनील कुमार माथुर
स्वतंत्र लेखक व पत्रकार, जोधपुर, राजस्थान
वर्षा रानी, तुम्हारे आते ही
पौधों के चेहरे खिल गये,
वे खुशी-खुशी बोले —
“वर्षा रानी, तुम बड़े इंतज़ार के बाद आई।”
भीषण गर्मी के चलते
हर किसी के बुरे हाल थे।
वृक्ष-दादा ने तब कहा था —
“बच्चों (पौधों), वर्षा रानी ज़रूर आयेगी,
वह हमें हरा-भरा कर जायेगी,
वह अपना वायदा ज़रूर निभायेगी।”
नदियों, तालाबों व बाँधों को
वह लबालब कर जायेगी।
हे वर्षा रानी! तुमने आकर
हमें भीषण गर्मी से राहत दिला दी।
समय पर आकर हमें
नया जीवन दान दे दिया।
तुम्हारा आशीर्वाद यूँ ही बना रहे,
यही हमारी तुमसे विनती है।
तुम आती हो तब चारों ओर
हरियाली छा जाती है।
जीवन में उत्साह, उमंग व
नई ऊर्जा का संचार हो जाता है।
तुम्हारे आने से सभी जीव-जन्तु
हर्षित हो जाते हैं।
वर्षा रानी, तुम्हारे आने से
सभी के चेहरे खिल जाते हैं।
Nice poem
Nice poem