
राज शेखर भट्ट
देहरादून। सूचना एवं लोक सम्पर्क विभाग, जिसकी वाहवाही 25 सालों से होती रही है। वाहवाही में तारीफ हों या बदनामी, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि यह विभाग मुख्यमंत्री साहब का है। जैसा कि पिछली खबर में बताया गया था, साप्ताहिक समाचार पत्र सण्डे पोस्ट में मुख्यमंत्री/महानिदेशक सूचना ने कितना खजाना लुटाया है। कुछ वैसा ही आज का समाचार भी अपनी बात कह रहा है। फर्क सिर्फ इतना है कि पिछला मामला 1 करोड़ था और आज का मामला केवल 40 लाख का है। मुख्यमंत्री महोदय और महानिदेशक महोदय का खजाना सभी के लिए बराबर नहीं खुलता है। किसी को पूरा सागर दे दिया जाता है, किसी को नदी से गुजारा पड़ता है तो किसी दो-चार बूंदें ही प्राप्त होती है। क्या विज्ञापन देने से संबंधित नियमों में यही लिखा है कि किसी को हीरो बना दो और किसी को जीरो ही रहने दो। क्या महानिदेशक महोदय का विवेक का दायरा सीमित है, जो सभी तक नहीं पहुंच पाता।
बहरहाल, आज का समाचार केवल 40 लाख रूपये के विज्ञापन की बात करता है। यदि क्रमानुसार 40 लाख का विवरण निकालें तो सबसे पहला नाम आता है ‘खबर लाये हैं’ समाचार पत्र का, जो देहरादून और टिहरी गढ़वाल से प्रकाशित होता है। सूत्रों के अनुसार देहरादून से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र को सूचना विभाग से जुलाई 2024 से मई 2025 तक लगभग 850000/- (आठ लाख पचास हजार) रूपये के विज्ञापन प्राप्त हुये हैं। दूसरी ओर टिहरी गढ़वाल से प्रकाशित होने वाले समाचार पत्र को सूचना विभाग से फरवरी 2024 से जून 2025 तक लगभग 940000/- (नौ लाख चालीस हजार) के विज्ञापन प्राप्त हुये हैं। कुल मिलाकर देखें तो समाचार पत्र को लगभग 1790000/- (सत्रह लाख नब्बे हजार) रूपये के विज्ञापन सूचना विभाग द्वारा दिये गये हैं।
अब बात आती है ‘पर्वत संकल्प’ समाचार पत्र की। यह समाचार पत्र दैनिक समाचार पत्र है और राजधानी देहरादून से प्रकाशित होता है। इस समाचार पत्र के लिए भी सूचना विभाग ने अपने खजाने के दरवाजे खोले हैं और प्यार बरसाया है। सूत्रों के अनुसार इस समाचार पत्र को फरवरी 2024 से अगस्त 2025 तक 1470000/- (चौदह लाख सत्तर हजार) रूपये के अतिरिक्त विज्ञापन सप्रेम भेंट दिये हैं। इसके विपरीत यदि समाचार पत्र ‘उक्रांद टाइम्स’ की बात करें तो उसे 13 साल में लगभग 1500000/- (पन्द्रह लाख) रूपये के विज्ञापन और अतिरिक्त विज्ञापन प्राप्त हुये हैं। महानिदेशक महोदय का ये कैसा विवेक है, विज्ञापन देने के ये कैसे नियम हैं, जो किसी को सामान्य और किसी को असामान्य स्थिति देते हैं।
सूचना विभाग ने जहां प्रेम बरसाया है, उनमें से एक ‘खबर लाये हैं’, दूसरा ‘पर्वत संकल्प’ और तीसरा नाम है ‘हिमालय गौरव उत्तराखण्ड’, जो एक सांध्य दैनिक समाचार पत्र है और देहरादून से प्रकाशित होता है। इस समाचार पत्र पर भी सूचना विभाग की दिव्य दृष्टि बनी और विभाग से इस समाचार पत्र को भी विज्ञापन देकर बार-बार तोहफे दिये। सूत्रों के अनुसार इस समाचार पत्र को मार्च 2024 से अगस्त 2025 तक लगभग 1750000/- (सत्रह लाख पचास हजार) के विज्ञापन प्राप्त हुये। हमारा सूचना विभाग कितना महान है, इसका दिल बहुत बड़ा है। क्योंकि इस समाचार पत्र को विभाग द्वारा एक ही माह में स्वतंत्रता दिवस के साथ-साथ तीन अतिरिक्त विज्ञापन दिये। काश! यह दिल सबके काम आता, काश ये दिल हमारे काम भी आता।
हालांकि, सूचना विभाग ऐसा विभाग है, जो राज्य के राजा का विभाग है। दिल इतना बड़ा है कि विभागीय दर और निजी दर मिलाकर एक ही माह में तीन विज्ञापन दे दिये। क्या है यह माजरा, ऐसे कौन से नियम है, जो भी हैं जानने योग्य हैं। क्योंकि अगर जान जायेंगे तो सभी समाचार पत्र भी उन्हीं नियमों के अनुसार चलेंगे, तभी होगी बल्ले-बल्ले। बहरहाल, सूचना अधिकार अधिनियम भी चल रहा है और मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल भी हमारे साथ है। इंतजार है जवाब आने का, जवाब आने के बाद पता चलेगा कि आरटीआई का कितना पालन हो रहा है और मुख्यमंत्री समाधान पोर्टल केवल नाम का है या काम का भी है।
तोहफा : सूचना विभाग ने सण्डे पोस्ट को दिये 1 करोड़ के विज्ञापन