
देहरादून – उत्तराखंड में मौसम विभाग के ऑरेंज अलर्ट के बीच सोमवार को पहाड़ से लेकर मैदान तक तेज बारिश का सिलसिला जारी रहा। कई जिलों में भूस्खलन और जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है, जिससे यातायात प्रभावित हुआ है। देहरादून में कई इलाकों में पानी भर गया, वहीं जिला प्रशासन ने स्कूलों को बंद रखने का आदेश जारी किया है। मौसम विज्ञान केंद्र ने बागेश्वर जिले के कुछ हिस्सों में भारी से भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है।
देहरादून, टिहरी, पौड़ी और नैनीताल जिलों के कुछ क्षेत्रों के लिए येलो अलर्ट लागू किया गया है। विभाग के अनुसार, 15 अगस्त तक पूरे प्रदेश में तेज बारिश का दौर जारी रहने की संभावना है। साथ ही, अल्मोड़ा, हरिद्वार, उधम सिंह नगर, पौड़ी गढ़वाल और नैनीताल जिलों में भूस्खलन का खतरा है। अगले तीन घंटों के लिए बारिश का रेड अलर्ट भी जारी किया गया है। श्रीनगर में अलकनंदा नदी का जलस्तर बढ़कर घाटों के किनारों तक पहुंच गया है। लोगों को नदी किनारे जाने से मना किया गया है।
प्रमुख मार्ग बंद, यातायात प्रभावित
- केदारनाथ हाईवे – रुद्रप्रयाग के जवाड़ी बाईपास पर भारी भूस्खलन के कारण दोनों ओर से यातायात बंद है। मलबा हटाने में कई दिन लगने का अनुमान है।
- नैनीताल हाईवे – गढ़वाल को कुमाऊं से जोड़ने वाला यह मार्ग कर्णप्रयाग के पास जखेड़ में भूस्खलन से बाधित है। वहीं उमटा के पास मलबा और बोल्डर आने से मार्ग देर रात बंद हुआ, जिसे सुबह खोला गया। मलबे में एक टैक्सी फंस गई थी, हालांकि सवारियों को सुरक्षित निकाल लिया गया।
- बदरीनाथ हाईवे – पीपलकोटी के भनेर पानी में रविवार शाम पांच बजे से मार्ग बंद था, जिसे सोमवार सुबह साढ़े सात बजे खोल दिया गया। इससे फंसे करीब 1000 यात्रियों को गंतव्य की ओर रवाना किया गया।
यमुनोत्री पैदल मार्ग पर खतरा
जानकीचट्टी-यमुनोत्री पैदल मार्ग पर घिडिका क्षेत्र में अचानक भूस्खलन हुआ, जिसमें लोग बाल-बाल बच गए। चट्टानों और मलबे के कारण मार्ग बंद है। हाल ही में इसी स्थान पर पत्थरों की चपेट में आने से एक खच्चर की मौत हो गई थी। देहरादून में लगातार बारिश से रिस्पना नदी का जलस्तर बढ़ गया है, खासकर दीपनगर रेलवे पुल के नीचे का क्षेत्र प्रभावित है। इससे स्थानीय लोगों की आवाजाही में दिक्कतें आ रही हैं। कई निचले इलाकों में पानी भरने से घरों और दुकानों में पानी घुस गया है।
प्रशासन की अपील
राज्य प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे मौसम विभाग के अलर्ट का पालन करें, भूस्खलन प्रभावित इलाकों में जाने से बचें और नदियों-नालों के किनारे न जाएं। सभी जिला मुख्यालयों पर आपदा प्रबंधन टीमें अलर्ट मोड पर हैं और संवेदनशील मार्गों पर निगरानी बढ़ा दी गई है।