
नेता बनो, मगर शिक्षक का अपमान मत करो
डॉ सत्यवान सौरभ
बन जाना नेता, पर विद्या न भूल जाना,
भीड़ में भी सोचने का सलीका संभाल लाना।
नारे लगाना, भाषण देना अच्छी बात है,
पर किताबों की अहमियत दिल में पाल लाना।
चाहे बनो तुम पार्टी के बड़े सेनापति,
या चाटुकारों की टोली के चमकते रत्न,
पर जब स्कूलों की बात चले ज़रा रुक जाना,
ज्ञान के दीप को न अंधेरों में ढकेल जाना।
जिस स्कूल ने तुझे सोचने की राह दिखाई,
आज उसी के बंद होने पर तालियाँ क्यों बजाई?
तू भूल गया, वहाँ चखी थी पहली अक्षर की मिठास,
अब उसी को ताले में देखकर क्यों है खास?
नेता बनो, समाज सुधारो, इसमें बुरा क्या है,
पर शिक्षा की कीमत को मत उतारो मज़ाक में।
एक बच्चा जब स्कूल से दूर होता है,
तो एक सपना तन्हा, अधूरा सोता है।
- संदेश:
नेता बनने से पहले इंसान बनो,
शिक्षा का आदर करना मत भूलो।