
देहरादून| प्रदेश में प्रशासनिक क्रियाशीलता और विभागीय समन्वय को नई दिशा देने हेतु मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने सचिव स्तर की समीक्षा बैठक आयोजित की। इस उच्चस्तरीय बैठक में राज्य की विकास परियोजनाओं, तकनीकी नवाचारों, और कार्बन क्रेडिट जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तारपूर्वक चर्चा हुई। विभिन्न विभागों के सचिवों को कई आवश्यक दिशा-निर्देश भी दिए गए।
मुख्य सचिव ने स्पष्ट निर्देश दिए कि सभी विभाग शहरी क्षेत्रों की ऐसी बड़ी परियोजनाओं की सूची तैयार करें, जिनका शीघ्र लोकार्पण या शिलान्यास किया जा सकता है। इसका उद्देश्य यह है कि जनहित से जुड़ी योजनाओं को त्वरित रूप से जनता को समर्पित किया जा सके और विकास की रफ्तार को नई ऊर्जा मिले। बैठक में यह भी निर्देश दिया गया कि भारत सरकार से साझा किए जाने वाले सभी विभागीय प्रकरणों की अद्यतन स्थिति (स्टेटस) तैयार की जाए और समयबद्ध रूप से केंद्र को प्रेषित की जाए, ताकि योजनाओं को केंद्र से आवश्यक सहयोग शीघ्र मिल सके।
आउटपुट इंडिकेटर के माध्यम से विभागीय प्रदर्शन की समीक्षा
मुख्य सचिव ने कहा कि अब समय आ गया है जब विभागीय कार्यों की मात्रात्मक समीक्षा के लिए आउटपुट इंडिकेटर को अपनाया जाए। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रत्येक विभाग अपने कार्यों के प्रदर्शन को मापने के लिए उपयुक्त संकेतक तैयार करे ताकि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके। मुख्य सचिव ने यह भी कहा कि जिन विभागों में नई तकनीक का समावेश या किसी अभिनव प्रयोग के माध्यम से कार्यों में सुधार आया है, उसका तुलनात्मक विवरण तैयार किया जाए। यह अभ्यास न केवल नवाचार को बढ़ावा देगा बल्कि अन्य विभागों के लिए भी अनुकरणीय मॉडल प्रस्तुत करेगा।
वर्क प्लान बनाकर अनुमोदन की प्रक्रिया अनिवार्य
सभी सचिवों को यह निर्देशित किया गया कि वे अपने विभागीय कार्यों का समग्र वर्क प्लान बनाएं और उसे उच्च स्तर से अनुमोदित कराएं, ताकि आगामी कार्यों की स्पष्ट रूपरेखा तैयार हो सके और उनके क्रियान्वयन में किसी प्रकार की बाधा न आए। मुख्य सचिव आनंद बर्धन ने स्पष्ट किया कि वे विभाग जो कार्बन क्रेडिट का लाभ उठा सकते हैं, वे शीघ्र इसके लिए अपने क्रियान्वयन योजना तैयार करें और संबंधित विवरण प्रस्तुत करें। उन्होंने यह भी कहा कि यह प्रयास पर्यावरणीय उत्तरदायित्व और सतत विकास की दिशा में राज्य को अग्रणी बना सकता है।
बैठक में उपस्थित रहे राज्य के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी
इस अहम बैठक में प्रदेश के विभिन्न विभागों के प्रमुख सचिव, सचिव और वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे। प्रमुख सचिव आर. के. सुधांशु, एल. एल. फैनई, शैलेश बगोली, रविनाथ रमन, डॉ. पंकज कुमार पांडेय, दिलीप जावलकर, डॉ. रंजीत कुमार सिन्हा, डॉ. श्रीधर बाबू अद्यंकी, चंद्रेश यादव, डॉ. आर. राजेश कुमार, एस. एन. पांडेय, दीपेंद्र कुमार चौधरी, दीपक कुमार, वी. षणमुगम, विनोद कुमार सुमन, सी. रविशंकर, रणवीर सिंह चौहान, नीरज खैरवाल, युगल किशोर पंत, धीराज सिंह गबर्याल और अपर सचिव विजय कुमार जोगदंडे सहित अन्य संबंधित अधिकारी बैठक में सम्मिलित हुए।
निष्कर्ष: प्रशासनिक प्रतिबद्धता और उत्तरदायित्व की मिसाल
मुख्य सचिव की यह बैठक न केवल प्रशासनिक दृष्टिकोण से अहम रही, बल्कि यह राज्य की विकास योजनाओं को गति देने और विभागों के भीतर समन्वय बढ़ाने की दिशा में एक मजबूत कदम साबित हुई। तकनीक, नवाचार, पारदर्शिता और पर्यावरण के संतुलन को ध्यान में रखते हुए जो दिशा-निर्देश दिए गए हैं, वे आने वाले समय में उत्तराखंड को प्रशासनिक और विकासात्मक दृष्टि से नई ऊँचाइयों तक पहुंचा सकते हैं।