
देहरादून | उत्तराखंड में महिला सशक्तीकरण को लेकर एक ऐतिहासिक पहल की गई है। राज्य सरकार ने नई महिला नीति का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है, जिसका उद्देश्य महिलाओं के समग्र और सशक्त विकास के लिए सभी सरकारी विभागों के बीच समन्वय स्थापित करना है। इस नीति के तहत राज्य के 57 विभाग मिलकर काम करेंगे, ताकि महिला कल्याण की योजनाओं को प्रभावी तरीके से जमीन पर उतारा जा सके।
🔍 नीति की प्रमुख बातें:
- अब महिला कल्याण सिर्फ एक विभाग या आयोग की जिम्मेदारी नहीं होगी, बल्कि सभी विभागों की साझा जिम्मेदारी होगी।
- जेंडर बजट के 16.6% हिस्से का अधिकतम और उचित उपयोग सुनिश्चित किया जाएगा।
- सभी विभागों में जेंडर बजट सेल गठित किए जा रहे हैं।
- यह नीति स्वास्थ्य, शिक्षा, रोजगार, सुरक्षा, सामाजिक न्याय और सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में विशेष ध्यान केंद्रित करेगी।
🏛️ नई दिल्ली में हुई प्रभावशाली प्रस्तुति
हाल ही में नई दिल्ली में केंद्र सरकार द्वारा आयोजित परामर्श कार्यक्रम में देश के पांच राज्यों को अपनी महिला कल्याण योजनाओं की प्रस्तुति देने का अवसर मिला। इसमें उत्तराखंड ने अपनी राज्य महिला नीति का खाका प्रस्तुत किया।
राज्य महिला सशक्तीकरण विभाग की टीम ने बताया कि इस नीति का मूल उद्देश्य ग्रामीण और सुदूर पर्वतीय क्षेत्रों की महिलाओं के जीवन में बदलाव लाना है। साथ ही, यह नीति बालिकाओं की शिक्षा में भागीदारी बढ़ाने, महिलाओं को सुरक्षित वातावरण, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं, और रोजगार के समान अवसर प्रदान करने पर केंद्रित है।
🗨️ नीति को लेकर क्या बोले प्रमुख चेहरे
रेखा आर्या, महिला सशक्तीकरण एवं बाल कल्याण मंत्री ने कहा—
“नई राज्य महिला नीति यह सुनिश्चित करेगी कि जेंडर बजट का अधिकतम और प्रभावी उपयोग हो। यह नीति सभी विभागों में समन्वय स्थापित कर महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में नई क्रांति लाएगी। ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है, जल्द ही इसे क्रियान्वित किया जाएगा।”
कुसुम कंडवाल, राज्य महिला आयोग अध्यक्ष ने इस नीति को “महिला कल्याण का मजबूत आधार” बताते हुए कहा कि यह पहल उत्तराखंड को महिला सशक्तीकरण में अग्रणी राज्य बनाएगी।
🎯 नीति के मुख्य स्तंभ:
क्षेत्र | उद्देश्य |
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🎓 शिक्षा | लड़कियों की स्कूली और उच्च शिक्षा में भागीदारी बढ़ाना |
🏥 स्वास्थ्य | महिलाओं की स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच सुनिश्चित करना |
💼 रोजगार | समान अवसर और उद्यमिता को बढ़ावा देना |
🛡️ सुरक्षा | सुरक्षित और अनुकूल वातावरण तैयार करना |
⚖️ सामाजिक न्याय | लैंगिक समानता और न्यायिक सहायता को प्राथमिकता देना |
🧓 सामाजिक सुरक्षा | वृद्ध, विधवा और अकेली महिलाओं के लिए सहायता सुनिश्चित करना |