
सत्येन्द्र कुमार पाठक
परिवार, मानव समाज की आधारशिला है। यह न केवल अपने सदस्यों को भावनात्मक सुरक्षा और सहारा प्रदान करता है, बल्कि एक स्वस्थ और मजबूत समाज के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यक्ति के शैक्षिक विकास और सामाजिक कौशल को आकार देने में परिवार का योगदान अविस्मरणीय है। परिवार के इसी महत्व को रेखांकित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 15 मई को विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस मनाया जाता है। इस दिवस का मुख्य उद्देश्य वैश्विक स्तर पर पारिवारिक संरचनाओं को प्रभावित करने वाले विभिन्न प्रकार के संघर्षों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस की नींव वर्ष 1989 में रखी गई थी, जब पहली बार संयुक्त राष्ट्र में इस विशेष दिन को मनाने का प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया। इसके पश्चात 1993 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक संकल्प पारित कर 15 मई को आधिकारिक तौर पर अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस के रूप में घोषित किया। वर्ष 1994 को अंतर्राष्ट्रीय परिवार वर्ष के रूप में भी मनाया गया, जिसका उद्देश्य पारिवारिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाना, परिवारों को प्रभावित करने वाले सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय बदलावों के बारे में जानकारी प्रसारित करना और पारिवारिक इकाइयों के महत्व को बढ़ावा देना था।
यह दिवस समाज में परिवारों की महत्वपूर्ण भूमिका की याद दिलाता है, उनकी विविधता का सम्मान करता है और उनके सामने आने वाली चुनौतियों को स्वीकार करता है। यह जागरूकता बढ़ाने, पारिवारिक मुद्दों पर जानकारी साझा करने और मजबूत परिवारों को समर्थन देने वाली नीतियों को प्रोत्साहित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है। यह दिन हमें यह भी याद दिलाता है कि मजबूत परिवार, मजबूत समुदाय और अंततः एक सशक्त राष्ट्र का निर्माण करते हैं। इस अवसर पर दुनिया भर में सेमिनार, कार्यशालाएं, सांस्कृतिक कार्यक्रम और सामाजिक गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं, जिनका उद्देश्य परिवारों को सशक्त बनाना होता है। यह दिवस संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों जैसे गरीबी उन्मूलन, स्वास्थ्य, शिक्षा, लैंगिक समानता, और सामाजिक समावेश से भी गहराई से जुड़ा हुआ है।
कोविड-19 महामारी के दौरान परिवारों ने मानसिक और सामाजिक समर्थन के रूप में जो भूमिका निभाई, उसने इस संस्था के अटूट बंधन की महत्ता को और स्पष्ट किया।
परिवार दिवस का वैश्विक स्वरूप
अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस को कई देशों में सार्वजनिक अवकाश के रूप में भी मनाया जाता है, जैसे:
- अंगोला, उरुग्वे, नामीबिया, वानुअतु – 25 या 26 दिसंबर
- वियतनाम – 28 जून
- कनाडा – फरवरी का तीसरा सोमवार
- संयुक्त राज्य अमेरिका (एरिज़ोना, नेवादा) – अगस्त का पहला रविवार या थैंक्सगिविंग के बाद का दिन
- ऑस्ट्रेलिया – पहले फैमिली और कम्युनिटी डे, अब सुलह दिवस
- थाईलैंड – सोंगक्रान का दूसरा दिन
इन विभिन्न तिथियों से स्पष्ट होता है कि विश्वभर में परिवार के महत्व को विभिन्न रूपों में स्वीकार किया गया है।
भारतीय संस्कृति में परिवार का महत्व
भारतीय समाज में परिवार न केवल भावनात्मक सुरक्षा का केंद्र है, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक मूल्यों का संवाहक भी है। पारंपरिक संयुक्त परिवार प्रणाली, जहाँ कई पीढ़ियाँ एक साथ रहती हैं, आपसी सहयोग, समर्थन और साझा जिम्मेदारी की भावना को पुष्ट करती है।
हालांकि, आधुनिकता और शहरीकरण के चलते एकल परिवारों का चलन बढ़ा है, फिर भी पारिवारिक बंधन और पारस्परिक सहयोग की भावना आज भी जीवित है।
भारतीय परिवार बच्चों के पालन-पोषण, शिक्षा और नैतिक मूल्यों के हस्तांतरण में केंद्रीय भूमिका निभाता है। यह व्यक्ति को आत्मविश्वास, सामाजिकता और पहचान प्रदान करता है, जो जीवन की यात्रा के लिए आधार बनते हैं।
परिवार के विविध आयाम
- भावनात्मक सुरक्षा: परिवार वह स्थान है जहाँ व्यक्ति निःसंकोच होकर अपने सुख-दुख साझा करता है।
- सामाजिकरण का केंद्र: यह बच्चों के लिए पहली पाठशाला होता है, जहाँ वे व्यवहार, सहानुभूति, ज़िम्मेदारी और संस्कार सीखते हैं।
- शिक्षा और प्रेरणा: माता-पिता का मार्गदर्शन बच्चों के शैक्षिक जीवन को दिशा देता है।
- आर्थिक सहयोग: परिवार संकट में सुरक्षा कवच बनता है – बेरोजगारी, बीमारी आदि में सहारा देता है।
- स्वास्थ्य पर प्रभाव: अध्ययन बताते हैं कि परिवारिक सहयोग मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है, तनाव कम करता है, और दीर्घायु में योगदान देता है।
वर्तमान चुनौतियाँ और समाधान
आज परिवार आर्थिक दबाव, कार्य-जीवन असंतुलन, सामाजिक परिवर्तन और तकनीकी हस्तक्षेप के कारण कई जटिलताओं से गुजर रहा है। तलाक की दर में वृद्धि, एकल-अभिभावक परिवार, बुजुर्गों की उपेक्षा जैसे मुद्दों से निपटने हेतु नीतिगत सहयोग, परामर्श सेवाओं और सामुदायिक सहभागिता आवश्यक है।
निष्कर्ष
परिवार केवल रिश्तों का समूह नहीं, बल्कि समाज की आत्मा है। यह प्रेम, सहयोग, विश्वास और परंपरा का वह आधार है जिस पर मानव सभ्यता टिकी हुई है। अंतर्राष्ट्रीय परिवार दिवस हमें यह स्मरण कराता है कि समाज को सशक्त, समावेशी और मानवतावादी बनाने के लिए हमें परिवार नामक संस्था को सहेजना, सम्मान देना और उसकी विविधता को स्वीकार करना होगा।
परिवार ही जीवन का सार है और समाज की अटूट नींव है।