
– सुनील कुमार माथुर
(स्वतंत्र लेखक व पत्रकार) 33 वर्धमान नगर, शोभावतों की ढाणी, खेमे का कुआं, पाल रोड, जोधपुर, राजस्थान
प्रातःकाल व्हाट्सएप पर सुप्रभात के साथ-साथ प्रेरणादायक, ज्ञानवर्धक और शिक्षाप्रद महापुरुषों के विचार पढ़ने को मिलते हैं, जिन्हें पढ़ने के बाद मन व मस्तिष्क को अपार शांति मिलती है। इसलिए इन्हें केवल पढ़ना ही नहीं, बल्कि जीवन में आत्मसात करने का प्रयास करना चाहिए।
यदि आपकी साहित्य सृजन में रुचि है, तो आप इन वाक्यों को अपनी डायरी या नोटबुक में लिखकर शब्दों व भाषा का अच्छा-खासा संकलन तैयार कर सकते हैं। लेखन के समय इन वाक्यों को उन महापुरुषों के नाम के साथ इस्तेमाल करने से आपकी लेखनी में रोचकता और प्रामाणिकता दोनों आ जाएंगी।
मन – एक छोटा शब्द, बड़ी सीख
ऐसा ही एक विचार “मन” शब्द से संबंधित मिला।
मन, एक छोटा-सा शब्द होते हुए भी बहुत गहराई रखता है।
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यदि “मन” के आगे “न” जोड़ दिया जाए, तो “नमन” बन जाता है।
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यदि “मन” के पीछे “न” जोड़ दिया जाए, तो “मनन” बन जाता है।
और जब हम नमन और मनन करते रहते हैं, तो जीवन की तमाम समस्याओं का समाधान अपने-आप मिलने लगता है।
मन का भटकाव और नियंत्रण
यह मन ही तो है जो दिनभर भटकता रहता है।
कई बार हम अपने घर, ऑफिस या किसी कार्यक्रम में शारीरिक रूप से उपस्थित होते हैं, लेकिन मन कहीं और होता है —
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कभी कल्पना लोक में
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कभी विदेशों की सैर में
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तो कभी किसी आलीशान होटल में स्वादिष्ट व्यंजनों की कल्पना में।
यानी कि हम कहीं और होते हैं और मन कहीं और।
मन की पवित्रता और विचारों की श्रेष्ठता
यदि मन साफ और शांत है, तो उसमें श्रेष्ठ विचारों का प्रवाह स्वतः होता है। ऐसे में जब भी आप किसी से चर्चा करेंगे, वह संवाद सार्थक होगा, और परिणाम भी सकारात्मक निकलेंगे। इसलिए मन को नकारात्मकता से दूर रखें और उसमें सकारात्मकता का वास होने दें।
अवगुणों से सावधान
क्रोध, लोभ, लालच, चिड़चिड़ापन, हिंसा जैसे अवगुण शांति को पनपने नहीं देते। जहां ये गुण पनपते हैं, वहां व्यक्ति बुराइयों के दलदल में फंसकर जीवन को नरक जैसा बना लेता है।
कहा भी गया है:
“मन के हारे हार है और मन के जीते जीत।”
इसलिए सदा अच्छा सोचें, क्योंकि बुरा सोचने वाले दुनिया में बहुत लोग हैं।
भरोसे की पूंजी और श्रेष्ठ व्यवहार
आज के ऑनलाइन युग में आपकी भाषा और व्यवहार ही आपकी पहचान है। हर कार्य में गुणवत्ता और पारदर्शिता अनिवार्य है।
जनता का विश्वास ही आपकी सबसे बड़ी पूंजी है।
धैर्य रखें और निरंतर प्रयास करते रहें।
शुरुआत में समय लग सकता है, लेकिन अगर आप ईमानदारी, सेवा और गुणवत्ता से काम करते हैं तो लोग आपके साथ जुड़ेंगे और आपका साथ कभी नहीं छोड़ेंगे।
शांति से जीवन जीएं
अंततः यही कहूंगा:
“शांति के साथ सबके संग मिलकर रहिए, और हंसते-मुस्कुराते जीवन व्यतीत कीजिए।”
Nice article