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परलोक सिधारे 796 किसान, मृत्युलोक के कर्ज से मुक्ति, सहकारिता विभाग के छह करोड़ 56 लाख चुकाए

अब भी 3397 किसानों के आश्रितों ने विभाग को मूलधन नहीं लौटाया है। विभाग ओटीएस योजना की समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। अगर तिथि को नहीं बढ़ाया गया तो विभाग की ओर से इनके वारिसों पर कार्रवाई की जाएगी।

ऊधम सिंह नगर। सहकारिता विभाग की वन टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) योजना का लाभ उठाते हुए जिले में 796 किसानों के वारिसों ने मूलधन वापस कर अपने पितरों को मृत्युलोक के कर्ज से मुक्त करा दिया है। विभाग ने वारिसों से छह करोड़ 56 लाख 91 हजार रुपये का मूलधन वसूल कर उनका तीन करोड़ 70 लाख 18 हजार रुपये का ब्याज माफ किया है।

जिले के 4193 किसानों ने सहकारिता विभाग से खेती-किसानी के लिए ऋण लिया था। इनकी मौत होने के बाद वारिसों पर विभाग का 40 करोड़ रुपये से भी अधिक का बकाया था। सहकारिता विभाग ने इन्हें काली सूची में शामिल कर दिया। सहकारिता विभाग की ओर से मृत किसानों के वारिसों से मूलधन वसूलने के लिए 30 नवंबर तक वन टाइम सेटलमेंट योजना लागू की गई थी। चार हजार मृत किसानों के वारिसों में से 796 ने विभाग को छह करोड़ 56 लाख रुपये का मूलधन लौटा दिया है। इसके साथ ही विभाग ने 22 लाख 69 हजार रुपये का दीगर भी वसूला है।

केस-1 : रुद्रपुर के रामनगर गांव निवासी पंकज शर्मा ने बताया कि उनके पिता ने सहकारी समिति से खेती किसानी के लिए एक लाख 71 हजार रुपये का ऋण लिया था, इसका ब्याज भी लाख रुपये में पहुंच गया था। बताया कि उनकी मृत्यु होने के बाद उन्हें ही ऋण चुकाना था, इसपर कई बार सहकारी समितियों से नोटिस मिलते रहे। बताया कि ओटीएस योजना आने के बाद 171983 मूलधन विभाग को चुका दिया गया है। इसमें एक लाख रुपये का ब्याज माफ हो गया है।

केस-2 : ओटीएस योजना के तहत मलसी में रहने वाले रघुवीर सिंह ने अपने दादा बलवीर सिंह का एक लाख रुपये कर्ज चुकाया है। बताया कि सहकारी समिति से वर्षों पहले दादा बलवीर ने खेती के लिए ऋण लिया था। किसी कारणवश वे ऋण नहीं चुका पाए, उनकी मृत्यु होने के बाद पिता शमशेर सिंह खेती-किसानी में घाटे में चले गए, बीमारी के चलते उनकी मृत्यु होने के बाद उसने सहकारी समिति का एक लाख रुपये कर्ज चुकाया, इसपर उसका एक लाख रुपये ब्याज माफ किया गया।


अब भी 3397 किसानों के आश्रितों ने विभाग को मूलधन नहीं लौटाया है। विभाग ओटीएस योजना की समय सीमा बढ़ाने पर विचार कर रहा है। अगर तिथि को नहीं बढ़ाया गया तो विभाग की ओर से इनके वारिसों पर कार्रवाई की जाएगी।

– डॉ. बीएस मनराल, सहायक निबंधक


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