
देहरादून/हरिद्वार | हरिद्वार में कांवड़ मेले का अंतिम चरण रफ्तार के चरम पर है। मात्र 12 दिनों में रिकॉर्ड 3.56 करोड़ शिवभक्त हरिद्वार पहुंचकर गंगाजल लेकर अपने गंतव्यों की ओर रवाना हो चुके हैं। मेले के अंतिम दो दिन, यानी रविवार और सोमवार को श्रद्धालुओं का सैलाब गंगाघाटों पर उमड़ा रहा। भीड़, गर्मी और यात्रा की थकावट के बीच देहरादून में एसएसपी अजय सिंह ने खुद सड़क पर उतरकर मोर्चा संभाला। एक कांवड़ यात्री के बेहोश हो जाने पर अजय सिंह ने तत्परता से उसे अस्पताल भिजवाकर मानवता का मिसाल पेश किया।
📊 आंकड़ों में कांवड़ मेला 2025
- 10 जुलाई से 21 जुलाई तक 3.56 करोड़ कांवड़ यात्री हरिद्वार पहुंचे।
- रविवार को 53 लाख और सोमवार को 55 लाख शिवभक्तों ने गंगाजल भरकर प्रस्थान किया।
- हरकी पैड़ी, सुभाष घाट, भीमगोडा जैसे घाटों पर भारी भीड़।
हरिद्वार में कांवड़ यात्रियों के स्वागत और सुगम प्रस्थान की जिम्मेदारी संभाल रहे एसएसपी प्रमेन्द्र सिंह डोभाल ने बताया कि कांवड़ मेले की समापन प्रक्रिया में अभूतपूर्व भीड़ उमड़ी है, जिसे संभालने में पुलिस और प्रशासन के हर अधिकारी दिन-रात जुटे हैं।
🚨 जब कप्तान खुद उतरे मैदान में
देहरादून के श्यामपुर फाटक क्षेत्र में ट्रेन के कारण भीषण ट्रैफिक जाम की स्थिति बन गई। यहां ड्यूटी पर तैनात पुलिसकर्मियों को सहयोग देने एसएसपी अजय सिंह स्वयं मौके पर पहुंचे। उमस और गर्मी के बीच एक मोटरसाइकिल सवार कांवड़ यात्री बेहोश हो गया। अजय सिंह ने तुरंत उसकी ओर दौड़ लगाई, प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की और उसे एम्बुलेंस में अस्पताल भिजवाया। यह दृश्य वहाँ मौजूद श्रद्धालुओं के लिए भावुक कर देने वाला था। आमतौर पर अधिकारियों को फील्ड से दूर देखने वाले नागरिकों ने जब अपने कप्तान को खुद संकट में डटे देखा, तो पूरे क्षेत्र में भरोसे और सम्मान की भावना और मजबूत हो गई।
🛣️ कांवड़ियों की दौड़: कुछ ही घंटों में तय हो रही 100-200 KM की दूरी
डाक कांवड़ यात्रा का अंतिम चरण न सिर्फ भावनात्मक और धार्मिक रूप से महत्वपूर्ण होता है, बल्कि शारीरिक रूप से भी यह सबसे कठिन माना जाता है। इसमें शिवभक्त गंगाजल लेकर बिना रुके अपने गंतव्यों की ओर दौड़ते हैं। इस बार श्रद्धालुओं का उत्साह देखते ही बनता है:
- हरिद्वार से बागपत: 180 किमी की दूरी छह घंटे में।
- हरिद्वार से गाजियाबाद: 195 किमी की दूरी सात घंटे में तय करने का लक्ष्य।
- श्रद्धालु आशीष और मोहित (गाजियाबाद): “जल भरने के बाद बिना रुके हिंडन तक दौड़ेंगे।”
- अनुज शर्मा और कपिल त्यागी (मेरठ): “हर कदम बाबा के नाम है। समय से पहले पहुंच जाएं, यही प्रयास है।”
🙏 ‘बाबा ने बुलाया है, उनकी सेवा में देर कैसी’
श्रद्धालु सुधीर कुमार (टिकरी, बागपत) ने बताया कि उनके जत्थे ने छह घंटे में हरिद्वार से बागपत पहुंचने का संकल्प लिया है। उनका विश्वास है कि भोलेनाथ की कृपा से समय पर गंतव्य तक पहुंचेंगे। हरिद्वार से लौटते शिवभक्तों की टोलियां जैसे गंगाजल लेकर नहीं, बल्कि आस्था की आग और श्रद्धा की ऊर्जा से सराबोर दिखाई देती हैं।
🛡️ प्रशासन की सजगता और कांवड़ियों की श्रद्धा
भीषण गर्मी, तेज़ धूप और असाधारण भीड़ के बावजूद पुलिस, स्वास्थ्य विभाग और स्वयंसेवकों की तत्परता ने व्यवस्था को बनाए रखा है। जहां प्रशासन सुरक्षा व्यवस्था में कोई कसर नहीं छोड़ रहा, वहीं श्रद्धालु भी अनुशासन का पालन करते हुए यात्रा पूरी कर रहे हैं।
🔚 कांवड़ मेला 2025: न सिर्फ आस्था का संगम, बल्कि अनुशासन, समर्पण और सेवा का जीवंत उदाहरण
कांवड़ मेला 2025 ने यह सिद्ध कर दिया कि जब जनआस्था, प्रशासनिक सजगता और सामूहिक संकल्प एक साथ आते हैं, तो करोड़ों की भीड़ भी एक सुसंगठित आयोजन में तब्दील हो सकती है और जब प्रशासनिक प्रमुख खुद मैदान में उतरें, तो यह संदेश साफ है— “भोलेनाथ की सेवा में कोई पीछे नहीं रहेगा।”