उत्तराखण्ड समाचार

बवाल के बाद पुरोला में मुस्लिम समुदाय की 22 दुकानें खुलीं

बवाल के बाद पुरोला में मुस्लिम समुदाय की 22 दुकानें खुलीं, हमें यहां पर स्थानीय लोगों ने हमेशा सहयोग किया है। नगर में जो घटना हुई उससे उपजे विवाद को देखते हुए हम लोग कुछ दिन के लिए अपने घर गए थे। अब लौटने पर हमें स्थानीय लोगों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नजर नहीं आया।

उत्तरकाशी। पुरोला में उपजे विवाद के बाद अब हालात सामान्य हो रहे हैं। बाजार में फिर से पहले जैसी चहल-पहल है। पुलिस बैरिकेड्स हट गए हैं। शहर में तैनात अतिरिक्त पुलिसकर्मी भी लौट गए हैं। तनाव के बाद मुस्लिम समुदाय के जो लोग अपने घर-दुकानें छोड़कर चले गए थे वह भी लौटने लगे हैं। अब तक 10 लोगों के परिवार लौट आए हैं।

पुरोला में नाबालिग को भगाने के प्रयास की घटना के बाद तनाव बढ़ गया था। हिंदू संगठनों ने महापंचायत का एलान किया तो तनाव की आंच दूसरे कस्बों तक भी पहुंची। नौगांव, बड़कोट समेट पुरोला बाजार बंद हुए। पुलिस-प्रशासन हरकत में आया और धारा-144 लागू कर दी।

बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर दिया गया। जगह-जगह बैरिकेड्स लगा दिए गए। हाईकोर्ट ने भी दखल दिया और आखिर में महापंचायत नहीं हुई। अब हालात सामान्य होने पर मुस्लिम समुदाय के करीब 22 लोगों ने अपनी दुकानें खोल ली हैं। वहीं पुरोला छोड़कर गए 16 परिवारों में से 10 लौट आए हैं।

पुरोला लौट आए मुस्लिम समुदाय का कहना है कि न उन्हें बवाल से पहले कोई समस्या हुई और न अब। स्थानीय लोगों से वही प्यार और भाईचारा मिल रहा है। सैलून संचालक मो. सलीम और रेडीमेड गारमेंट के व्यापारी जुबेर और गाड़ी वाशिंग संचालक वसीम का कहना है कि हम वर्षों से यहां कारोबार कर रहे हैं।

हमें यहां पर स्थानीय लोगों ने हमेशा सहयोग किया है। नगर में जो घटना हुई उससे उपजे विवाद को देखते हुए हम लोग कुछ दिन के लिए अपने घर गए थे। अब लौटने पर हमें स्थानीय लोगों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नजर नहीं आया। वही सहयोग और भाईचारा देखने को मिल रहा है।

मो.रईस और अशरफ का कहना है कि हमारी दो पीढ़ियां पुरोला में रह चुकी हैं। हमको यहां हमेशा प्यार और सम्मान मिला है। कस्बे में शांति व्यवस्था के बाद सोहार्द का माहौल बना हुआ है।

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बवाल के बाद पुरोला में मुस्लिम समुदाय की 22 दुकानें खुलीं, हमें यहां पर स्थानीय लोगों ने हमेशा सहयोग किया है। नगर में जो घटना हुई उससे उपजे विवाद को देखते हुए हम लोग कुछ दिन के लिए अपने घर गए थे। अब लौटने पर हमें स्थानीय लोगों के व्यवहार में कोई परिवर्तन नजर नहीं आया।

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