
🌟🌟🌟
यह लेख क्रिसमस और नए साल के मौके पर घर पर 21 दिन में अंगूर की वाइन बनाने की सरल और सुरक्षित विधि बताता है। इसमें साफ-सफाई, फर्मेंटेशन, छानने और स्टोर करने की पूरी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया गया है।
- घर पर अंगूर की वाइन बनाने की आसान विधि
- 21 दिन में तैयार करें स्वादिष्ट होममेड वाइन
- फर्मेंटेशन से स्टोरेज तक वाइन बनाने की पूरी प्रक्रिया
- त्योहारों के लिए घर की बनी वाइन का खास नुस्खा
क्रिसमस और नए साल का मौसम खुशियों, मेल-मिलाप और खास स्वादों का होता है। इस दौरान केक, कुकीज़ और तरह-तरह के पकवानों के साथ वाइन का चलन भी तेजी से बढ़ता है। आमतौर पर लोग बाजार से महंगी वाइन खरीदते हैं, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि अंगूर की स्वादिष्ट और सुगंधित वाइन घर पर भी आसानी से बनाई जा सकती है। सही विधि, थोड़े धैर्य और साफ-सफाई का ध्यान रखकर आप केवल 21 दिनों में अपनी खुद की होममेड वाइन तैयार कर सकते हैं, जिसका स्वाद और संतोष दोनों ही बाजार की वाइन से अलग होता है। घर पर वाइन बनाना सिर्फ एक रेसिपी नहीं, बल्कि एक प्राकृतिक प्रक्रिया है, जिसमें फर्मेंटेशन सबसे अहम भूमिका निभाता है।
अंगूरों में मौजूद प्राकृतिक शर्करा और यीस्ट मिलकर धीरे-धीरे अल्कोहल में बदलती है। यही कारण है कि वाइन बनाते समय किसी भी तरह की जल्दबाजी या लापरवाही से बचना जरूरी होता है। खासतौर पर क्रिसमस और नए साल जैसे त्योहारों के लिए यदि आप कुछ अलग और खास करना चाहते हैं, तो घर की बनी वाइन एक बेहतरीन विकल्प बन सकती है। वाइन बनाने की शुरुआत से पहले सबसे जरूरी है साफ-सफाई। अंगूर हों या बर्तन, किसी भी तरह की नमी, गंदगी या फंगस पूरी मेहनत पर पानी फेर सकती है। अंगूरों को पहले बेकिंग सोडा और सिरके के घोल में लगभग 10 मिनट तक भिगोकर रखना बेहतर माना जाता है, ताकि सतह पर मौजूद केमिकल या बैक्टीरिया हट जाएं। इसके बाद उन्हें साफ पानी से धोकर धूप में अच्छी तरह सुखा लेना चाहिए।
जब अंगूर पूरी तरह सूख जाएं, तब उन्हें एक बड़े और साफ कांच के जार में डालें। जार इतना बड़ा होना चाहिए कि मिश्रण केवल तीन-चौथाई हिस्से तक ही भरे, क्योंकि फर्मेंटेशन के दौरान बुलबुले और गैस बनने के लिए जगह जरूरी होती है। अब इसमें चीनी डालें, जो फर्मेंटेशन के लिए ईंधन का काम करती है। साथ ही दालचीनी, लौंग, इलायची और गेहूं जैसे साबुत मसालों को एक मलमल की पोटली में बांधकर जार में डालें। ये मसाले वाइन को हल्की खुशबू और संतुलित स्वाद देते हैं। इसके बाद अंगूरों के ऊपर यीस्ट छिड़कें। यीस्ट वही तत्व है, जो शर्करा को अल्कोहल में बदलने की प्रक्रिया शुरू करता है। अब उबला हुआ और पूरी तरह ठंडा किया हुआ पानी इतना डालें कि अंगूर पूरी तरह डूब जाएं। एक साफ और सूखे लकड़ी के चम्मच से मिश्रण को हल्के हाथ से मिलाएं, ताकि सभी सामग्री अच्छी तरह एकसार हो जाए।
जार को बंद करते समय ढक्कन कसकर नहीं लगाना चाहिए। इसके बजाय जार के मुंह को मलमल के कपड़े से ढककर ढीला रखें, ताकि फर्मेंटेशन के दौरान बनने वाली गैस बाहर निकल सके और थोड़ी हवा अंदर जाती रहे। जार को किसी ठंडी, सूखी और अंधेरी जगह पर रख दें। अगले 21 दिनों तक यही जार वाइन बनने की प्रयोगशाला बन जाता है। इन 21 दिनों में हर दूसरे दिन जार खोलकर मिश्रण को साफ, सूखे लकड़ी के चम्मच से धीरे-धीरे हिलाना जरूरी होता है। इस दौरान यदि मिश्रण में छोटे-छोटे बुलबुले बनते दिखाई दें, तो यह इस बात का संकेत है कि फर्मेंटेशन सही दिशा में चल रहा है। जैसे-जैसे दिन बीतते हैं, वाइन की खुशबू और रंग में बदलाव आने लगता है, जो इस प्राकृतिक प्रक्रिया की पहचान है।
21 दिन पूरे होने के बाद वाइन को छानने और स्टोर करने की प्रक्रिया शुरू होती है। सबसे पहले जार से मसालों और गेहूं वाली मलमल की पोटली निकाल लें। इसके बाद पूरे मिश्रण को एक साफ बड़े बर्तन में मलमल या पतले सूती कपड़े की मदद से छानें, ताकि अंगूर के छिलके और गूदा अलग हो जाएं। कपड़े में बचे ठोस हिस्से को हल्के हाथ से दबाकर पूरा रस निकाल लेना चाहिए, क्योंकि यही रस वाइन का असली आधार होता है। छाने हुए लिक्विड को अब एक दूसरे साफ जार या बोतल में डालें और इस बार कॉफी फिल्टर पेपर या बहुत बारीक छलनी का उपयोग करें। इसके बाद वाइन को 2–3 दिन तक बिना हिलाए शांत जगह पर रख दें। इस दौरान वाइन के नीचे बारीक तलछट जम जाती है, जिससे ऊपर का लिक्विड और ज्यादा साफ हो जाता है।
अंतिम चरण में वाइन को धीरे-धीरे दूसरे साफ और स्टरलाइज्ड बोतलों में भरें। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि नीचे जमी तलछट बोतलों में न जाए। बोतलों को टाइट कॉर्क या ढक्कन से बंद करें और ठंडी, अंधेरी जगह पर स्टोर कर दें। तकनीकी रूप से वाइन इस समय पीने योग्य होती है, लेकिन यदि इसे कुछ हफ्तों या महीनों तक स्टोर किया जाए, तो इसका स्वाद और भी गहराता चला जाता है। घर पर बनी अंगूर की वाइन न केवल स्वाद में बेहतर होती है, बल्कि इसमें मिलावट या अनावश्यक केमिकल की चिंता भी नहीं रहती। क्रिसमस और नए साल जैसे खास मौकों पर जब आप अपने मेहमानों को खुद बनाई वाइन परोसते हैं, तो यह अनुभव साधारण जश्न को भी यादगार बना देता है। सही तरीके और थोड़े धैर्य के साथ यह प्रक्रिया न सिर्फ सफल होती है, बल्कि वाइन बनाने का आत्मविश्वास भी बढ़ाती है।








