***
उत्तराखण्ड समाचार

16 साल बाद ठण्ड का कहर, अगले 10 दिनों तक रहेगी थरथराहट

ऐसे में वैज्ञानिकों को चिंता सता रही है कि ग्लेशियर रिचार्ज न होने से गर्मी में वह तेजी से पिघलेंगे और नदियों का जलस्तर बढ़ेगा। प्रदेश के 23 वर्षों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 2006 में सबसे कम 0.5 इंच बर्फबारी हुई थी। उसके बाद 2010 में भी इतनी ही बर्फबारी हुई थी। सन् 2000 में सबसे अधिक बर्फबारी हुई थी। 

देहरादून। एक ओर प्रदेश के मैदानी इलाकों में घना कोहरा छाने से ठंड का प्रकोप जारी है, तो दूसरी ओर पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी न होने से पर्यटकों को मायूसी हाथ लग रही है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो उत्तराखंड के मौसम में ऐसा बदलाव करीब 16 साल बाद दिखा। जब सर्दियों में बर्फबारी के साथ प्री और पोस्ट मानसून की बारिश के आंकड़ों में भी कमी आई है।

दिसंबर-जनवरी में बर्फ से अटी रहने वालीं वादियाें में इस बार न के बराबर बर्फबारी हुई। हालांकि, बीते बुधवार को पर्वतीय इलाकों में साल की पहली बर्फबारी हुई तो पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों के चेहरे खिल उठे। लेकिन, आने वाले दिनों में बारिश या बर्फबारी की संभावना नहीं है। मौसम विज्ञान केंद्र की मानें तो प्रदेशभर के पर्वतीय इलाकों में दिसंबर में औसतन 3.3 इंच बर्फबारी होती है।

लेकिन, बीते साल दिसंबर में सिर्फ एक बार ही बर्फबारी हुई। जबकि मानसून के बाद और मानसून से पहले सिर्फ 10-10 फीसदी बारिश हुई। मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह ने बताया, अगले 10 दिन तक बर्फबारी की कोई संभावना नहीं है। 17 जनवरी को पर्वतीय इलाकों में हुई बर्फबारी से सामान्य तापमान में एक से तीन डिग्री की कमी दर्ज की गई है। मौसम में इस तरह का बदलाव उत्तर पश्चिमी हवाओं के तेज होने से भी देखने को मिल रहा है।

साल 2008-09 में मौसम के पैटर्न में ऐसे बदलाव देखे गए थे। मैदानी इलाकों में 24-25 जनवरी के बाद कोहरा छंटना शुरू होगा। इससे ठंड कम होने के साथ लोगों को राहत मिलेगी। फिलहाल, सुबह-शाम कोहरा छाने से सूखी ठंड से परेशानी बढ़ी है। इससे सड़क, हवाई और रेल यातायात भी प्रभावित हो रहा है। बर्फबारी न होने से ग्लेशियर रिचार्ज नहीं हो पा रहे हैं।

ऐसे में वैज्ञानिकों को चिंता सता रही है कि ग्लेशियर रिचार्ज न होने से गर्मी में वह तेजी से पिघलेंगे और नदियों का जलस्तर बढ़ेगा। प्रदेश के 23 वर्षों के रिकॉर्ड पर नजर डालें तो 2006 में सबसे कम 0.5 इंच बर्फबारी हुई थी। उसके बाद 2010 में भी इतनी ही बर्फबारी हुई थी। सन् 2000 में सबसे अधिक बर्फबारी हुई थी। इस साल 43 इंच बर्फबारी हुई है, जो कि अभी तक का रिकॉर्ड है। साल 2022 में 17 इंच बर्फबारी दर्ज की गई थी।


Advertisement… 


Advertisement… 

Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights