रक्षाबंधन पर 13 वर्षीय नाबालिक हुई दुष्कर्म का शिकार
रक्षाबंधन पर 13 वर्षीय नाबालिक हुई दुष्कर्म का शिकार, पुलिस ने आईपीसी की धारा 342, 363, 354, 366 ए, 376 (डी) (ए) व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यदि हम चाहें तो संक्षिप्त में उक्त धाराओं के बारे में जान सकते हैं।
मध्य प्रदेश। मध्य प्रदेश के सतना जिले से रिश्ते को तार-तार कर देने वाला मामला सामने आया है। रामनगर थाना क्षेत्र में रक्षाबंधन पर एक नाबालिग दुष्कर्म का शिकार हो गई। उसके रिश्ते के जीजा और उसके साथी ने ही बीच रास्ते में उसे दबोच लिया और गैंग रेप की कोशिश की। पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
जानकारी के मुताबिक रामनगर थाना क्षेत्र में बुधवार को रक्षाबंधन के रोज अपने भाई की कलाई में राखी सजाने की तैयारी में लगी 13 वर्षीय नाबालिग दरिंदगी का शिकार हो गई। उसके साथ रिश्ते के जीजा ने ही घिनौनी हरकत की। इस काम मे उसका साथ स्वामी कोल ने भी दिया। बताया जाता है कि बुधवार को पीड़िता अपनी एक सहेली के साथ राखी और मिठाई लेने बाजार गई थी।
लौटते वक्त एक सुनसान जगह पर 32 वर्षीय आरोपी जीजा और स्वामी कोल पिता भूरा कोल (22) ने घेर लिया। आरोपियों ने दोनों लड़कियों के साथ छेड़खानी शुरू कर दी और पकड़कर ले जाने लगे। इस दौरान मौका पाकर पीड़िता की सहेली वहां से भाग निकली, जबकि पीड़िता को पकड़कर उसका जीजा अपने साथी स्वामी के घर ले गया। वहां उसके साथ दुष्कर्म किया।
महिला को पति ने निर्वस्त्र कर पूरा गांव में घुमाया
यही घिनौनी हरकत स्वामी भी करने वाला था कि इसी बीच उसकी बहन घर पहुंच गई। इसी बीच पीड़िता वहां से भाग गई। उधर, पीड़िता की सहेली ने घर पहुंचकर उसके परिजनों को घटना की जानकारी दी तो परिजन उसकी तलाश में निकल पड़े थे। पीड़िता उन्हें रास्ते मे ही मिल गई। घटना की शिकायत रामनगर थाना में दर्ज कराई गई।
पुलिस ने आईपीसी की धारा 342, 363, 354, 366 ए, 376 (डी) (ए) व पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कर आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। यदि हम चाहें तो संक्षिप्त में उक्त धाराओं के बारे में जान सकते हैं। जिससे कि यह पता चलता है कि अपराधी को भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत उक्त धाराओं में सजा का क्या प्रावधान रखा गया है।
धारा 342 – भारतीय दंड संहिता की धारा 342 में कहा गया है कि जो कोई भी व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को गलत तरीके से कैद करेगा, उसे कारावास या जुर्माने से दंडित किया जाएगा। गलत तरीके से कैद (Wrongful Confinement) करने का मतलब होता है जानबूझकर किसी को उसकी इच्छा के विरुद्ध शारीरिक बल, धमकी, के द्वारा कैद करना।
धारा 363 – भारतीय दंड संहिता की धारा 363 के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति भारत से या किसी क़ानूनी अभिभावक की संरक्षता से किसी का अपहरण करता है तो उसे किसी एक अवधि के लिए कारावास की सजा जिसे सात वर्ष तक बढ़ाया जा सकता है, और साथ ही वह आर्थिक दंड के लिए भी उत्तरदायी होगा। सजा – सात वर्ष कारावास + आर्थिक दंड।
धारा 354 – आईपीसी की धारा 354 के तहत अपनी शीलता को अपमानित करने के इरादे से महिला को हमला या आपराधिक बल देने की सजा: यह धारा किसी भी व्यक्ति के लिए दंड का प्रावधान करती है जो किसी भी महिला के लिए आपराधिक बल का उपयोग करता है या उसका अपमान करता है, जिससे वह नाराज़ होता है या यह जानने की इच्छा रखता है कि वह वहां है उसकी विनय से नाराज़गी। फिर उस व्यक्ति को किसी भी शब्द के लिए या तो विवरण के कारावास से दंडित किया जाएगा जो एक वर्ष से कम नहीं होगा लेकिन जो पांच साल तक बढ़ सकता है, और जुर्माना करने के लिए भी उत्तरदायी होगा।
धारा 366 (A) – जो कोई अठारह वर्ष से कम आयु की अप्राप्तवय लड़की को अन्य व्यक्ति से अयुक्त संभोग करने के लिए विवश या विलुब्ध करने के आशय से या तद्द्वारा विवश या विलुब्ध किया जाएगा यह संभाव्य जानते हुए ऐसी लड़की को किसी स्थान से जाने को या कोई करने को किसी भी साधन द्वारा उत्प्रेरित करेगा, वह कारावास से जिसकी अवधि दस वर्ष तक की हो सकेगी, दण्डित किया जाएगा और जुर्माने से भी दण्डनीय होगा।
धारा 376 (D) – जहाँ एक महिला या एक से अधिक व्यक्तियों द्वारा सामूहिक बलात्कार किया जाता है या एक सामान्य इरादे से आगे की कार्यवाही की जाती है, उन व्यक्तियों में से प्रत्येक को बलात्कार का अपराध माना जाएगा और उसे एक ऐसी अवधि के लिए कठोर कारावास की सजा दी जाएगी जो कि नहीं होगी कम से कम बीस साल , लेकिन जो जीवन का विस्तार कर सकता है, जिसका अर्थ उस व्यक्ति के प्राकृतिक जीवन के शेष के लिए कारावास होगा, और जुर्माने के साथ, बशर्ते कि इस तरह का जुर्माना पीड़ित के चिकित्सा खर्च और पुनर्वास को पूरा करने के लिए उचित और उचित होगा। बशर्ते कि इस धारा के तहत लगाया गया कोई भी जुर्माना पीड़ित को भुगतान किया जाएगा। यह एक संज्ञेय अपराध है, गैर-जमानती है जो कि सत्र न्यायालय द्वारा ट्रायबल है।
धारा 376 (A) – जो कोई भी अपनी पत्नी के साथ संभोग करता है, जो अलगाव की डिक्री के तहत या उसकी सहमति के बिना किसी रिवाज या प्रथा के तहत उससे अलग रह रही है, उसे दोनों में से किसी भी विवरण के कारावास से दंडित किया जाएगा, जिसे दो साल तक बढ़ाया जा सकता है और यह भी होगा जुर्माना के लिए उत्तरदायी।
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