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हादसा याद कर डबडबा रही घायल महिमा की आंखें, मां की मौत से अनजान

हादसा याद कर डबडबा रही घायल महिमा की आंखें, मां की मौत से अनजान… रात को सभी नींद के आगोश में थे। शनिवार सुबह भी हरिद्वार, ऋषिकेश से होते हुए जैसे ही पहाड़ नजर आने लगे वहां के मौसम और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मन अभिभूत हो रहा था।

रुद्रप्रयाग। ऋषिकेश-बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर रुद्रप्रयाग जिले के रैंतोली में हुए हादसे ने कई की जिंदगी बदलकर रख दी। हादसे में 15 लोगों की मौत हो गई। वहीं हादसे को याद कर घायलों की आंखें डबडबा रही हैं। पूरा शरीर दर्द से तड़प रहा है इस बीच भयावह मंजर को याद कर वह सिहर रहे हैं। जिला चिकित्सालय रुद्रप्रयाग के कोटेश्वर में भर्ती हुई महिमा त्रिपाठी भी अपनी मां स्मृति त्रिपाठी के साथ टेंपो-ट्रैवलर से तृतीय केदार तुंगनाथ जा रही थीं जो रैंतोली के पास खाई में गिर गया था। महिमा के सिर और हाथ के पंजे पर गहरी चोट आई है।

इसके साथ ही पीठ, कंधा, पैर पर गहरी खरोंचे आईं हैं। जबकि उसकी मां की मौत हो चुकी है। महिमा ने प्रयागराज से बीटेक किया है। फिलहाल वह वहीं पर इंटर्नशिप कर रही है। हादसे को याद कर नमिता की आंखें डबडबा रहीं थीं और वह बार-बार अपनी मां के बारे में पूछती रही। हालांकि अभी उन्हें नहीं बताया गया कि अब उसकी मां इस दुनिया में नहीं रहीं।  हादसे के बाद से महिमा सदमे में है। वाहन के गिरने और पत्थरों से टकराने तक मुझे पूरा होश था। वाहन सड़क पर सामान्य रफ्तार से दौड़ रहा था, लेकिन अचानक जोर की आवाज के साथ वाहन सड़क से नीचे गिरकर पलटी खाने लगा।

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इस दौरान अपने आप ही मेरी आंखें बंद हो गईं और कुछ ही पल में मैं वाहन से छिटककर झाड़ियों में अटक गई। अगले ही पल मुझे फिर से जोर की आवाज सुनाई दी, इसके बाद पता नहीं क्या हुआ। जब लोगों की आवाज सुनाई देने लगी तो मैंने उठने का प्रयास किया। लेकिन मैं झाड़ियों में फंसी थी और वहां खड़े लोगों से बचाने की गुहार लगा रही थी। कुछ लोग आए उन्होंने मुझे झाड़ी से बाहर निकाला और सुरक्षित जगह पर लिटा दिया। इस दौरान कुछ देर मेरी आंख हल्की खुली तो कई लोग इधर-उधर पड़े थे। उसके बाद मैंने अपने को अस्पताल में ही पाया।

महिमा ने बताया कि मेरी मां ने एजेंसी के माध्यम से ऑनलाइन तृतीय केदार की यात्रा के लिए टेंपो-ट्रैवलर बुक किया था। शुक्रवार को हम दोनों प्रयागराज से गुरुग्राम पहुंचे थे। वाहन में अन्य लोग भी सवार थे, जो एक-दूसरे को नहीं जानते थे। वाहन सामान्य गति से आगे बढ़ रहा था। इस बीच कुछ लोग अपनी सीट पर बैठकर अपने मोबाइल में मशगूल थे तो कुछ गाने सुन रहे थे। रात को सभी नींद के आगोश में थे। शनिवार सुबह भी हरिद्वार, ऋषिकेश से होते हुए जैसे ही पहाड़ नजर आने लगे वहां के मौसम और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मन अभिभूत हो रहा था। बीच में चाय-नाश्ता करने के लिए भी रुके थे। इसके बाद चले तो अचानक यह हादसा हो गया।


हादसा याद कर डबडबा रही घायल महिमा की आंखें, मां की मौत से अनजान... रात को सभी नींद के आगोश में थे। शनिवार सुबह भी हरिद्वार, ऋषिकेश से होते हुए जैसे ही पहाड़ नजर आने लगे वहां के मौसम और प्राकृतिक सौंदर्य को देखकर मन अभिभूत हो रहा था।

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