हर तरफ बिखरी पड़ी थीं लाशें ही लाशें, खौफनाक मंजर देख…
हर तरफ बिखरी पड़ी थीं लाशें ही लाशें, खौफनाक मंजर देख दहल गए लोग… हम भी घर में आए अन्य रिश्तेदारों को विदा कर रहे थे। करीब साढ़े सात बजे फोन से हादसे की सूचना मिली। सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। मैंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों को कार्यक्रम समाप्त करने की कहते हुए घर से निकल लिया।
हाथरस। उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में भीषण सड़क हादसे में 17 लोगों की मौत हो गई। इनमें चार बच्चे भी शामिल थे। आगरा- हाथरस मार्ग पर रोडवेज बस और सवारियों से भरे छोटे मालवाहक वाहन के बीच आमने- सामने की हुई टक्कर में सात बच्चों समेत 18 लोग घायल भी हुए हैं। इनमें से छह की हालत गंभीर है, जिन्हें इलाज के लिए बड़े अस्पतालों में भेजा गया है। रोडवेज बस में सवार सभी लोग सुरक्षित हैं। जानकारी के मुताबिक, हादसा शुक्रवार शाम करीब छह बजे हाथरस के थाना चंदपा इलाके में नगला भुस बाईपास कपूरा चौराहे के पास हुआ।
बताया जा रहा है कि सवारियों से भरे मालवाहक वाहन को गलत तरीके से एक वाहन ने ओवरटेक किया। चालक ने बचने की कोशिश की लेकिन बारिश से सड़क गीली होने के कारण अनियंत्रित होकर वह रोडवेज से टकरा गया। ये सभी लोग हाथरस के गांव मुकुंदखेड़ा निवासी राजुद्दीन की दादी के चालीसवें में शामिल होने के बाद सेमरा (आगरा) लौट रहे थे। टक्कर इतनी भीषण थी कि मालवाहक वाहन के परखच्चे उड़ गए। इसमें 35 लोग सवार थे। टक्कर के बाद लोग उछलकर सड़क किनारे झाड़ियों में जाकर गिर गए। हादसे के बाद जमा हुए लोगों ने फंसे लोगों को बाहर निकाला। लोग खून से सने थे। इनमें महिलाएं और बच्चे भी थे। सबसे ज्यादा उन्हीं की हालत खराब थी।
लोगों ने पुलिस को सूचना दी। घायलों को जिला अस्पताल भिजवाया, जहां डॉक्टरों ने 17 को मृत घोषित कर दिया। मरने वालों में 16 आगरा के खंदौली थाना क्षेत्र के गांव सेमरा के रहने वाले थे, जबकि एक फिरोजाबाद जनपद का निवासी था। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर दुख जताया। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में लिखा, सड़क दुर्घटना में हुई जनहानि अत्यंत दुखद है। मेरी संवेदनाएं मृतकों के शोक संतप्त परिजनों के साथ हैं। घायलों का समुचित उपचार कराने के लिए निर्देश दिए हैं।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, माल वाहक वाहन में करीब 35 लोग सवार थे। हादसा इतना भयावह था कि हर ओर लाशें बिखरी पड़ी थीं। लोग खून से लथपथ थे। खुद को बचाने के लिए गुहार लगा रहे थे।पीएम नरेंद्र मोदी ने हादसे पर दुख जताते हुए कहा कि यह बेहद पीड़ादायक है। परिजनों को खोने वालों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं।प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा कोष से मृतकों के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। वहीं, प्रदेश सरकार ने भी मृतकों के आश्रितों को दो लाख रुपये और घायलों को 50-50 हजार की सहायता देने की घोषणा की है।
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एक ही खानदान के लोगों की मौत से सैमरा में मातम छा गया। हादसे की जानकारी जिसे हुई, वही सकते में आ गया। सैमरा के घरों में चूल्हे नहीं जले और पूरी रात गांव के लोग मृतकों के परिजन को ढांढस बंधाते रहे। पड़ोसी वसीम खान ने बताया कि गांव में करीब 8000 की आबादी है। पांचों भाइयों का परिवार गांव से ही किराए पर मैक्स गाड़ी करके चालीसा में गया था। पूरा गांव एकजुट होकर मृतकों के परिजन को सांत्वना दे रहा था। बस्ती में शव लाने से पहले पुलिसकर्मियों को स्थान खोजने की कवायद करनी पड़ी। यहां 16 शव आने थे। बस्ती में पहले पंचायत घर की जमीन को देखा गया। इसके बाद बस्ती के स्कूल पर शव एकत्रित करने का निर्णय लिया गया। पुलिस ने स्कूल के अंदर शव रखवाने का प्रयास किया लेकिन गेट का ताला नहीं खुला।
इस वजह से स्कूल परिसर के बाहर तंबू लगाकर शव रखे गए। महज दस साल के अल्फेज और 9 साल के अली जान अब कभी स्कूल नहीं जाएंगे। वह खुशी-खुशी अपने भाई-बहनों के साथ दादी के घर गए थे। बच्चे अपना बस्ता लगाकर घर से गए थे, जिससे शनिवार सुबह स्कूल जा सकें। इन मासूमों को नहीं मालूम था कि यह उनकी जिंदगी का आखिरी सफर होगा। परिवार की महिलाओं ने बताया कि दोनों बच्चों के बस्ते घर में रखे हुए हैं। अब इन को लेकर स्कूल कोई नहीं जाएगा। घर का आंगन बच्चों के बिना उजड़ गया। 17 लोगों की मौत पर कोई बवाल न हो जाए, इस आशंका के चलते हादसे के दो घंटे बाद ही शवों का पोस्टमार्टम शुरू कर दिया गया। जिला अस्पताल में हादसे के बाद भारी संख्या भीड़ जुट गई। हंगामे की भी आशंका थी, आनन फानन गंभीर रूप से घायलों को जेएन मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
स्वास्थ्य विभाग की एंबुलेंस उन्हें लेकर रवाना हो चुकी थी। इसी बीच शुक्रवार रात साढ़े आठ बजे शवों को पोस्टमार्टम शुरू कर दिया गया। शवों को आगरा भिजवाने के लिए एंबुलेंस नहीं थी, इसके चलते निजी अस्पतालों से एंबुलेंस बुलवा ली गई। मुकुंद खेड़ा निवासी राजुद्दीन ने बताया कि मेरी दादी अम्मा अंगूरी का चालीसवां था, सभी लोग सही सलामत घर से निकले थे। हम भी घर में आए अन्य रिश्तेदारों को विदा कर रहे थे। करीब साढ़े सात बजे फोन से हादसे की सूचना मिली। सुनते ही मेरे पैरों के नीचे से जमीन निकल गई। मैंने अपने परिवार के अन्य सदस्यों को कार्यक्रम समाप्त करने की कहते हुए घर से निकल लिया।