सागौन के पेड़ के साथ सेल्फी लेने आ रहे लोग, पांच साल पहले…
सागौन के पेड़ के साथ सेल्फी लेने आ रहे लोग, पांच साल पहले लगाए थे पौधे… नरेंद्र लोधी ने बताया दमोह मार्ग पर खेरा गांव में मुख्य मार्ग से लगी उनकी सात एकड़ जमीन है। जहां वह खेती करते हैं। पांच वर्ष पूर्व वन विभाग ने उन्हें निशुल्क 600 सागौन के पौधे दिए थे, जो उन्होंने अपने खेत की मेड़ों पर लगा दिए थे।
दमोह। दमोह जिले के तेंदूखेड़ा ब्लॉक के पांजी गांव निवासी किसान नरेंद्र लोधी का पर्यावरण के प्रति ऐसा अनोखा प्रेम है कि आज वह अन्य किसानों के लिए रोल मॉडल बन गए हैं। उन्होंने अपने खेत की मेड पर सागौन के पौधे रोपे थे, जिसमें से 400 पौधे आज पेड़ बन गए हैं। स्थानीय लोग इतनी संख्या में इन पेड़ों को देखकर रोमांचित हो रहे हैं और यहां सेल्फी लेने आ रहे हैं। नरेंद्र बताते हैं कि उन्होंने अपने बच्चों की तरह इन पौधों की परवरिश की है, जिसका नतीजा सभी के सामने है।
किसान नरेंद्र लोधी की खेती खेरा गांव में है, जहां धान की फसल बोई गई है। यहां खेतों की मेड़ों पर हरियाली के रूप में सैकड़ों कीमती सागौन के पेड़ लगे हुए हैं जो अपने आप में सुंदरता बिखेर रहे हैं। लगातार हुई बारिश के बाद खेत पानी से भर गया है और उसके चारों ओर लगे सागौन के हरे भरे पेड़ देखकर लोग यहां आकर सेल्फी और फोटो ले रहे हैं।
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नरेंद्र लोधी के खेत देखकर सभी का मन अब खेतों की मेड पर पौधरोपण करने का हो रहा है। कई किसान इस तरह पौधे लगाने का प्रयास कर रहे हैं। नरेंद्र लोधी ने बताया कि खेत की मेड़ों पर उन्होंने पांच वर्ष पहले सागौन के 600 पौधे सागौन के रोपित किए थे, जिनमें से 400 पौधे जीवित हैं, जो अब पेड़ बन गए हैं। यह पेड़ बेसकीमती होने के साथ ही गर्मियों में छाव का भी काम करते हैं। राहगीरों और आसपास के लोगों ने बताया पौधरोपण के बाद किसान ने देखभाल पूरी जिम्मेदारी से की है। इसका नतीजा आज है कि पांच साल पहले लगाए गए पौधे अब पेड़ बन गए हैं, जिनकी क़ीमत लाखों रुपये है और भविष्य में और ज्यादा होगी।
नरेंद्र लोधी ने बताया दमोह मार्ग पर खेरा गांव में मुख्य मार्ग से लगी उनकी सात एकड़ जमीन है। जहां वह खेती करते हैं। पांच वर्ष पूर्व वन विभाग ने उन्हें निशुल्क 600 सागौन के पौधे दिए थे, जो उन्होंने अपने खेत की मेड़ों पर लगा दिए थे। उन्होंने क्षेत्र के लोगों और किसानों को संदेश देते हुए कहा है कि पौधे लगाओ तो उनकी देखरेख करने का काम भी करें। उनकी देखरेख के कारण ही पौधे पेड़ के रूप में लहरा रहे हैं।