वज्जिका भाषाई का रूप बज्जिका का सोलह संस्कार गीत
वज्जिका भाषाई का रूप बज्जिका का सोलह संस्कार गीत… पारम्परिक संस्कार आ संस्कृति पीछे छुटे जिस परम्परा को पुरखों ने संजोग कर रखा आज भुला दिए गए हैं।। वज्जिकंचल की परम्परागत संस्कार संस्कृति से अवगत कराने में शिष्टाचार मानवता के वास्तविक रूप संस्कार गीत में उजागर किया है। #सत्येन्द्र कुमार पाठक
बज्जिकांचल में विकसित सोलह संस्कार गीत की रूप रेखा स्वंर्णिम कला केंद्र की अध्यक्षा डॉ. उषा श्रीवास्तव द्वारा रचित बज्जिका का सोलह संस्कार गीत है। डॉ उषा श्रीवास्तव ने बज्जिकाँचल की पुरातन सांस्कृतिक में समवेशित सोलह संस्कार गीत की प्रतुति कर संस्कार-गीत पुस्तक प्रकाशित की गई है।
पचास-साठ वर्ष पूर्व आज के माहौल में संस्कार-गीत प्रचलन है। संस्कार गीत की खोज पूर्ण है। संस्कार-गीत में बज्जिकांचल की सभ्यता, संस्कार एवं संस्कृति के रक्षक और शोधपरक जिंदगी के स्तर में सुधार है। यांत्रिक विकास आ सूचना क्रान्ति के आधुनिक समय में दूरदर्शन आ चलभास सब को मोहित किया है।
पारम्परिक संस्कार आ संस्कृति पीछे छुटे जिस परम्परा को पुरखों ने संजोग कर रखा आज भुला दिए गए हैं।। वज्जिकंचल की परम्परागत संस्कार संस्कृति से अवगत कराने में शिष्टाचार मानवता के वास्तविक रूप संस्कार गीत में उजागर किया है। वज्जिकांचल की बज्जिका मातृभाषा के ज्ञान प्राप्त का संस्कार गीत में संस्कृति के खजाना भरा पड़ा है।
पुस्तक का नाम – वज्जिका के सोलह संस्कार गीत
लेखिका – उषा श्रीवास्तव
प्रकाशक – शतरंग प्रकाशन, लखनऊ, उत्तरप्रदेश
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