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साहित्य लहर

लघुकथा : अलविदा

लघुकथा : अलविदा… वह जन्म जन्मांतर के ऐसे रिश्ते नातों को भगवान की कृपा और उनका अनुग्रह मानता है। प्रेम एक खुशी है। अमित ने राधा को कहा कि वह सबसे सच्चा प्रेम पाना चाहता है। ऐसे किसी भी रिश्ते को झुठला पाना उसके लिए असंभव है। #राजीव कुमार झा

गर्मी के मौसम में शहर के इस हरे भरे बाग में दोपहर को जब पेड़ों की झुरमुट से मीठी हवा बहने लगती है तो यहां बैठे प्रेमी युगलों के बेचैन मन को सुकून मिलता है। पीले फूलों से लदे अमलतास के पेड़ के नीचे बैठी राधा अपने ब्वॉयफ्रेंड अमित के साथ काफी देर से यहां बैठी थी। उसे काफी अच्छा लग रहा था। पिछले दो तीन महीने से उसका अमित से प्रेम प्रसंग चल रहा था। वह अमित को ज्यादा नहीं जानती थी लेकिन उसकी तरह से वह भी दिल्ली का ही पुराना बाशिंदा था।

राधा और अमित का घर एक दूसरे के घर से काफी दूर था। राधा बदरपुर की रहने वाली थी तो अमित का घर कृष्णा नगर में स्थित था। इन दोनों की मुलाकात मुनिरका के उस मॉल में हुई थी जहां कैश काउंटर पर ये दोनों काम किया करते थे। थोड़े समय के बाद राधा ने ज्यादा वेतन मिलने पर किसी नर्सिंग होम की नौकरी को ज्वाइन कर लिया था लेकिन अमित से उसकी बातचीत चलती रहती थी। अक्सर इस पार्क में इनका मिलना जुलना भी होता रहता था।

राधा को अमित से कोई शिकायत नहीं थी और उसके जैसे दोस्त को पाकर वह खुश थी। कुछ दिन पहले अमित ने एक दिन दोपहर में राधा को किसी अच्छे गेस्ट हाउस में भी दोपहर में बुलाया था और यहां प्यार की दरिया में वह जब भटक रही थी तो उसे ऐसा लगा था कि सचमुच अमित ही उसका एकमात्र जीवन साथी हो सकता है लेकिन यह उसका एक सपना था और अमित के ऐसे ही रिश्ते और भी दो तीन लड़कियों से थे।

इसके बाबजूद राधा को अमित अच्छा लगता था और वह अक्सर ऐसा सोचती थी कि मानो वह उसकी सच्ची प्रेमिका हो और अमित के अन्य लड़कियों से बाकी सारे प्रेम झूठे हों। अमित के उन रिश्तों को प्रेम नहीं वासना समझती थी और कभी भी अमित को वह अपने दिल से अलग नहीं कर पाती थी। आज पार्क में खूब बारिश हुई थी और मूसलाधार वर्षा से बचने के लिए वे दोनों किसी शेड्स में आकर कुछ देर बैठे रहे थे और फिर अमित ने राधा को कहा था कि प्यार की राहों पर चलना शादी विवाह की बातों और इसके झंझटों में फंसने की बात नहीं है।

वह जन्म जन्मांतर के ऐसे रिश्ते नातों को भगवान की कृपा और उनका अनुग्रह मानता है। प्रेम एक खुशी है। अमित ने राधा को कहा कि वह सबसे सच्चा प्रेम पाना चाहता है। ऐसे किसी भी रिश्ते को झुठला पाना उसके लिए असंभव है। राधा ने अपने घर के लोगों को अमित के बारे में कुछ भी नही बताया था और वह जानती थी कि दोस्ती के आगे आज इस शहर में लोगों की जिंदगी में कुछ भी बाकी नहीं बचा है।

शादी के बाद भी यहां औरत मर्द अपनी दोस्ती को कायम रखते हैं और सचमुच जिंदगी के खालीपन को भरकर ही कोई खुशी यहां पाई जा सकती है। अमित के जीवन की इन बातों को सुनकर मन ही मन वह हंसने लगी और उसने सोचा कि अगली बार किसी दोपहर जब अमित उसे गेस्ट हाउस में कभी फिर बुलाएगा तो वह उस दरम्यान उसे दो चपत लगाकर कोई सवाल पूछेगी और उससे कोई माकूल जवाब नहीं मिलने पर अलविदा कहकर घर लौट आयेगी।

बरसात के मौसम में सतर्कता जरूरी


लघुकथा : अलविदा... वह जन्म जन्मांतर के ऐसे रिश्ते नातों को भगवान की कृपा और उनका अनुग्रह मानता है। प्रेम एक खुशी है। अमित ने राधा को कहा कि वह सबसे सच्चा प्रेम पाना चाहता है। ऐसे किसी भी रिश्ते को झुठला पाना उसके लिए असंभव है। #राजीव कुमार झा

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