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धर्म-संस्कृति

राम नवमी : भक्ति और कला का संगम

रामनवमी का पर्व भक्ति और कला का संगम है। सुदर्शन पटनायक की रामलला की मूर्ति इस तथ्य का प्रमाण है। हमें भी इस पावन अवसर पर भगवान राम की पूजा करनी चाहिए और उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।  #अंकित तिवारी

रामनवमी का पावन पर्व भक्तों के लिए अत्यंत हर्ष और उल्लास का अवसर है। इस वर्ष राम नवमी का उत्सव और भी विशेष हो गया है, क्योंकि सैंड आर्टिस्ट सुदर्शन पटनायक ने पुरी तट पर भगवान राम की 20 फीट ऊंची रेत की मूर्ति बनाकर एक अद्भुत कलाकृति का प्रदर्शन किया है। यह मूर्ति सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है और लोगों को भक्ति और कला का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है।

सुदर्शन पटनायक अपनी रेत कला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध हैं और उन्होंने कई बार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते हैं। रामनवमी के अवसर पर भगवान राम की मूर्ति बनाकर उन्होंने अपनी कला का उपयोग भक्ति को व्यक्त करने के लिए किया है। यह मूर्ति भगवान राम की भव्यता और दिव्यता को दर्शाती है और लोगों को प्रेरणा देती है।

रामनवमी का पर्व भगवान राम के जन्म का उत्सव है। भगवान राम को मर्यादा पुरुषोत्तम माना जाता है और उनके जीवन से हमें सदाचार, त्याग और कर्तव्यनिष्ठा के पाठ मिलते हैं। रामनवमी के अवसर पर लोग भगवान राम की पूजा करते हैं, रामकथा का पाठ करते हैं और विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

सुदर्शन पटनायक की रामलला की मूर्ति रामनवमी के उत्सव को और भी भव्य बना रही है। यह मूर्ति हमें कला और भक्ति की शक्ति का एहसास दिलाती है और हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने जीवन में सदाचार और कर्तव्यनिष्ठा के मार्ग पर चलें।

रामनवमी का पर्व भक्ति और कला का संगम है। सुदर्शन पटनायक की रामलला की मूर्ति इस तथ्य का प्रमाण है। हमें भी इस पावन अवसर पर भगवान राम की पूजा करनी चाहिए और उनके जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए। साथ ही, हमें कला और संस्कृति को भी बढ़ावा देना चाहिए।

 

(इस लेख के लेखक अंकित तिवारी, शोधार्थी,अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि हैं)


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