महिला जज ने मौत से पहले इन लोगों से की थी फोन पर बात
पड़ोस में रहने वाले लोगों के मुताबिक, शुक्रवार रात करीब 11 बजे तक महिला जज ज्योत्सना राय किसी से मोबाइल पर बात करती रहीं थीं। जिस दौरान वह मोबाइल पर बात कर रहीं थीं, उस वक्त उनके आवास से काफी तेज आवाजें आ रहीं थीं। लोगों का कहना है कि ऐसा लग रहा था कि उनकी किसी से मोबाइल पर बहसबाजी चल रही थी। आवाज से लग रहा था कि वह काफी गुस्से में थीं।
बदायूं। बदायूं की सिविल जज जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय ने अपनी मौत से पहले अपने मोबाइल फोन से कई नंबरों पर बात की थी। पुलिस तफ्तीश में वे परिजनों और उनके दोस्तों के निकले हैं। फिलहाल शहर कोतवाली पुलिस हत्या के एंगल पर जांच कर रही है। अगर इसमें साक्ष्य नहीं मिले तो मुकदमा आत्महत्या में तरमीम कर दिया जाएगा। शनिवार सुबह सिविल जज जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय का शव उनके सरकारी आवास में फंदे से लटका मिला था।
पुलिस की सूचना पर उनके परिजनों को पहुंचने के बाद ही शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया था। उनके पिता अशोक राय ने हत्या का आरोप लगाते हुए अज्ञात के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी। दूसरे दिन यानी रविवार सुबह करीब 11 बजे उनके शव का पैनल में पोस्टमार्टम कराया गया था। एसएसपी आलोक प्रियदर्शी के अनुसार पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हैंगिंग की पुष्टि हुई थी। इससे मामला आत्महत्या की ओर भी इशारा कर रहा था लेकिन कोतवाली पुलिस अभी हत्या का मामला मानते हुए विवेचना कर रही है।
बताते हैं कि पुलिस ने मामले की सच्चाई जानने के लिए महिला जज के मोबाइल नंबर की कॉल डिटेल भी निकलवाई है। जिस तरह लोगों का कहना है कि वह देर रात किसी से मोबाइल पर बात करती रहीं थीं उसका अभी कोई खुलासा नहीं हुआ है। कोतवाली पुलिस मामले की तह तक जाने की पूरी कोशिश कर रही है। एसएसपी आलोक प्रियदर्शी का कहना है कि परिवार वालों ने हत्या की एफआईआर दर्ज कराई है। इससे पहले परिवार वालों की बात सुनी जाएगी।
अगर वह कोई साक्ष्य देते हैं तो उस पर अमल किया जाएगा। उन साक्ष्यों को मुकदमे में शामिल किया जाएगा। अगर हत्या के एंगल पर कोई साक्ष्य नहीं मिलते हैं तो मुकदमे को आत्महत्या में तरमीम कर दिया जाएगा। इसमें पहले परिवार वालों से ही बात की जाएगी। पोस्टमार्टम हाउस पर डॉक्टरों के लेट पहुंचने का मामला काफी गरमा गया है। रविवार सुबह जब डॉक्टर लेट पहुंचे थे, तो उस पर जिला जज पंकज अग्रवाल ने नाराजगी व्यक्त की थी और उन्होंने कार्रवाई के लिए कहा था।
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इस संबंध में जिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. कप्तान सिंह का कहना है कि रविवार सुबह करीब 9:45 बजे पुलिस की ओर से पंचनामा मिला था। तब तीन डॉक्टरों का पैनल गठित किया गया था। सुबह करीब 11 बजे शव का पोस्टमार्टम भी करा दिया गया था। उन्हें पुलिस की ओर से ही पंचनामा लेट मिला था। इससे व्यवस्थाएं जुटाने में समय लग गया था। एक डॉक्टर उझानी और एक वजीरगंज से बुलाए गए। अभी न्यायालय की तरफ से उन्हें कार्रवाई के संबंध में कोई पत्र प्राप्त नहीं हुआ है।
जिला एवं सत्र न्यायाधीश/सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सारिका गोयल ने बताया कि दिवंगत आत्मा की शांति को न्यायालय परिसर के केंद्रीय सभागार में सुबह 10:15 बजे शोकसभा आयोजित हुई। उसमें सभी लोगों ने दो मिनट का मौन धारण किया। इस दौरान जिला जज पंकज कुमार अग्रवाल समेत जिला बार एसोसिएशन के योगेन्द्र कुमार, संदीप मिश्रा, जिला सिविल बार के सचिव अरविंद पाराशरी, कौशलेंद्र मोहन शर्मा आदि मौजूद रहे।
बदायूं में शनिवार सुबह सिविल बार के नजदीक सरकारी आवास में सिविल जज जूनियर डिवीजन ज्योत्सना राय (29) का शव फंदे से लटका मिला। कर्मचारी सुबह काम करने आवास पर पहुंचे। उन्होंने दरवाजा खटखटाया। उन्हें कई बार कॉल भी की लेकिन कोई जवाब नहीं आया। कर्मचारियों ने इसकी सूचना पर आसपास रह रहे जज और कोतवाली पुलिस को दी। पुलिस ने उनके आवास का दरवाजा तोड़ा और उनके परिवार वालों को सूचना दी।
मृतका पहले अयोध्या जिले में थी, वर्तमान में वह बदायूं जिले में तैनात थी। शनिवार सुबह सिविल जज जूनियर डिवीजन का शव उनके ही सरकारी आवास में फंदे से लटकता मिला। इसकी सूचना मिलने पर बदांयू जिला जज पंकज अग्रवाल, डीएम मनोज कुमार, एसएसपी आलोक प्रियदर्शी समेत न्यायिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। पुलिस टीम ने आवास के कमरे का दरवाजा तोड़कर शव को फंदे से उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
सुसाइड नोट के बारे में कोई अधिकारिक रूप से बयान देने को तैयार नहीं है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि महिला जज ज्योत्सना राय ने सुसाइड नोट हिंदी और अंग्रजी दोनों भाषाओं में लिखा है। हिंदी में लिखा है- ‘मेरी मौत का कोई जिम्मेदार नहीं है, तुम्हें विवेचना करनी है तो कर लेना। तुम्हें कुछ नहीं मिलेगा।’ वहीं अंग्रेजी में में ‘फीलिंग एलोन’ और ‘फीलिंग अनहैप्पी’ भी लिखा गया है। सूत्रों के अनुसार ये भी लिखा है कि मेरा अंतिम संस्कार अयोध्या में सरयू तट पर करना। हालांकि उनका सुसाइड नोट परिवार वालों के गले नहीं उतर रहा है।
न्यायालय से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर जज किस परेशानी से जूझ रहीं थीं। उन्हें क्या दिक्कत थी। उन्होंने कभी परिवार वालों या अपने साथियों से इसका जिक्र नहीं किया था। एक बात और सामने आई है कि कमरे में 2021 की एक डायरी भी मिली है, इसमें जनवरी की 29 तारीख तक के पेज फटे हुए हैं। बताते हैं कि यह पन्ने भी हाल में फाड़े गए हैं। यह भी बताया जा रहा है कि शुक्रवार रात जज ने अपनी मां से बात भी की थी और तब वह खुश बताई गई थीं। इस बात का जिक्र उनके पिता की ओर से दी गई तहरीर में भी है।
पड़ोस में रहने वाले लोगों के मुताबिक, शुक्रवार रात करीब 11 बजे तक महिला जज ज्योत्सना राय किसी से मोबाइल पर बात करती रहीं थीं। जिस दौरान वह मोबाइल पर बात कर रहीं थीं, उस वक्त उनके आवास से काफी तेज आवाजें आ रहीं थीं। लोगों का कहना है कि ऐसा लग रहा था कि उनकी किसी से मोबाइल पर बहसबाजी चल रही थी। आवाज से लग रहा था कि वह काफी गुस्से में थीं।