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मंतव्य : देश की आजादी और हिन्दुओं के खिलाफ आतंक

वे भूल जाते हैं कि अपने दादा परदादा की धरती पर वह आतंक फैलाते हैं और मुंबई के निहत्थों पर गोलियां चलाते हैं। मुसलमानों ने इस देश की पावन धरती को अपने बाप की जागीर के रूप में देखा और मंदिरों को तोड़- तोड़ कर यहां मस्जिदों को बनवाया और तलवार की जोर पर हिंदुओं से भी अंजान पढ़वाया। #राजीव कुमार झा

देश की आजादी और विभाजन के बाद पाकिस्तान बनने से उस क्षेत्र में हिंदुओं के खिलाफ आतंक फैला दिया गया और इसी के साथ लाखों लोग पाकिस्तान से भारत चल पड़े। आज कम से कम यहां ये लोग इज्जत से रहते हैं। क्या सारी दुनिया इस नजारे को नहीं देख रही थी और देश के विभाजन से जुड़े सवाल नेहरू-जिन्ना के अलावा तत्कालीन ब्रिटिश सरकार से कोई नहीं पूछ रहा था? जिन्ना का पाकिस्तान की मांग का आंदोलन इस्लामी जेहाद ही था और देश की जनता अब कश्मीर के नाम पर इस जेहाद से हर हालत में मुक्ति पाना चाहती है।

पाकिस्तान का कश्मीर को लेकर हजार साल तक लड़ने का आह्वान निरर्थक है और कश्मीर घाटी में हिन्दुओं खासकर कश्मीरी पंडित अगर नहीं रहेंगे तो आतंकवादी भी वहां नहीं रह पाएंगे। सेना आतंकवाद के समूल सफाए की नीति पर मजबूती से काम करे। सुप्रीम कोर्ट के द्वारा धारा 370 की समाप्ति को लेकर आये फैसले से कश्मीर में चुनाव होने तक केन्द्र सरकार को आतंकवाद उन्मूलन पर ध्यान केंद्रित करना होगा।

पाकिस्तान का निर्माण जैसे ही हुआ वैसे ही वहां अमरीका की घटिया राजनीति शुरू हो गई लेकिन पाकिस्तान के अफगानिस्तान समर्थित आतंकवाद की चपेट में आने के बाद उसकी आंखें खुलीं। भारत को 1971 में पाकिस्तान के साथ युद्ध में विजय के बाद उसको भारतीय भू भाग घोषित कर देना चाहिए था। यह देश हमारे भूभाग पर स्थित देश है।

भारत आजादी के बाद ब्रिटिश सरकार के द्वारा पारित भारत स्वतंत्रता अधिनियम 1947 के अंतर्गत पाकिस्तान के अस्तित्व को स्वीकार करने वाले देश के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य वैश्विक मंचों पर अपनी उपस्थिति दर्ज करता रहा है लेकिन इससे बाहर आने की जरूरत है। पाकिस्तान के मुसलमान काफी नासमझ हैं और उनको अपना पुराना देश भारत याद भी नहीं आता।

वे भूल जाते हैं कि अपने दादा परदादा की धरती पर वह आतंक फैलाते हैं और मुंबई के निहत्थों पर गोलियां चलाते हैं। मुसलमानों ने इस देश की पावन धरती को अपने बाप की जागीर के रूप में देखा और मंदिरों को तोड़- तोड़ कर यहां मस्जिदों को बनवाया और तलवार की जोर पर हिंदुओं से भी अंजान पढ़वाया। शिवाजी ने इन लोगों को सबक सिखाया था। वे औरंगजेब की कैद से होशियारी से निकल गये थे और स्वतंत्र मराठा राज्य की स्थापना भारत में की ।


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