साहित्य लहर
बाल कविता : मेला
बच्चों ने खुशी मनाई भारी। तब घर जाने की करी तैयारी।। खुशी-खुशी घर सब बच्चे आये। मेले के किस्से मम्मी-पापा को सुनाये।। #मुकेश कुमार ऋषि वर्मा, फतेहाबाद, आगरा
चारों ओर मची है धूम।
सोनू-मोनू, चंपक रहे झूम।।
मेला लगा बड़ा सलोना।
खूब बिक रही खेल- खिलौना।।
झूला झूल रहे छोटे बच्चे।
चमक रहे हरे, नीले- पीले कंचे।।
मिलजुल कर सबने मेला देखा।
जोकर का खेल अनोखा।।
ठंडी- ठंडी आइसक्रीम का लगा ठेला।
खाने पहुंच गया बच्चों का रेला।।
बच्चों ने खुशी मनाई भारी।
तब घर जाने की करी तैयारी।।
खुशी-खुशी घर सब बच्चे आये।
मेले के किस्से मम्मी-पापा को सुनाये।।