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आपके विचार

फिजूल की बातें

कहने का तात्पर्य यह है कि इस नश्वर संसार में सभी बुद्धिजीवी है, कोई भी फिजूल का, बेकार का या निकम्मा नहीं है। बस अपनी नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलने का प्रयास कीजिए और फिर देखिए आपका मन क्या कहता है और क्या सोचता हैं।  #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
प्रायः लोग कहते हैं कि अमुक व्यक्ति निकम्मा है। उसके पास कोई काम धाम नहीं है। इसलिए हर वक्त वह बेकार की, फिजूल की बातें करता रहता हैं। लेकिन आज के समय में कोई फिजूल की बातें नहीं करता है। हर व्यक्ति चिंतन शील हैं। हर बात का ज्ञान रखता है, तभी तो वह आप से तर्क वितर्क कर रहा है। हां आप उसे बेकार का निकम्मा और फिजूल का आदमी बता रहें है चूंकि आप चिंतन मनन नहीं करते है।

जिसे आप फिजूल का आदमी बता रहे हो, वही कल कह रहा था कि आज मन्दिर गया तो सभी भक्तों के सामने शर्मिंदा होना पडा। हमने पूछा ऐसा क्या हो गया तो वह तपाक से बोला, आज तो हद हो गई। प्रभु ने सभी भक्तों के सामने यह कह दिया कि रोज रोज क्या मांगने चले आते हो, कभी मिलने के लिए भी आ जाया करों। यह सुनकर हमें भी आश्चर्य हुआ कि जिसे लोग फिजूल का व्यक्ति, निकम्मा, बेकार का आदमी कहते है उससे भगवान ने किसी बहाने बात तो की। अर्थात वही असली भक्त और प्रभु का सच्चा सेवक है अन्यथा प्रभु ने हम से तो आज तक बात नहीं की।

कहते है कि रूई से भरा बोरा देखने में भारी लगता हैं, लेकिन जब हम उसे उठाते है तो वह हमें हल्का लगता है। ठीक उसी प्रकार जीवन में आई हर कठिनाइयों को इसी तरह उठा लेना चाहिए। सब कुछ समय पर और सही हो जायेगा। जब साहित्यकार लेखन कर्म करने बैठता है तो उससे पहलें वह उस विषय पर काफी चिंतन मनन करता है और फिर लिखता हैं। लेखन के दौरान उसका मन एकदम निर्मल होता है और साथ ही साथ कांच की तरह साफ।

उसकी लेखनी में निष्पक्षता, स्पष्टवादिता और ईमानदारी साफ दिखाई देती हैं। तभी तो कहते हैं कि शहद की मक्खियां शहद बनाना छोड सकती है लेकिन एक सच्चा साहित्यकार श्रेष्ठ लेखन के कर्म को कभी भी नहीं छोड सकता। एक श्रेष्ठ कलमकार की निगाह में प्रेम ही ईश्वर है और प्रेम ही पूजा है और जो प्रेम से नफरत करता है वह समाज का सबसे बडा दुश्मन है.

कहने का तात्पर्य यह है कि इस नश्वर संसार में सभी बुद्धिजीवी है, कोई भी फिजूल का, बेकार का या निकम्मा नहीं है। बस अपनी नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदलने का प्रयास कीजिए और फिर देखिए आपका मन क्या कहता है और क्या सोचता हैं।


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