***
धर्म-संस्कृति

प्राचीन संस्कृति का विरासत रामशिला

त्रेतायुग में भगवान् राम रामशिला पहाड़ के श्रृंखला पर ऋणमोचन-पापमोचन शिवलिंग की स्थापना की।शैव धर्म स्थल  के रूप में माना जाता है.। पिंडदानी लोग अपने पूर्वज के पिंड दान करते है। भगवान राम ने लक्ष्मण और सीता के साथ गया धाम के उत्तरी सिरे पर अवस्थित पर्वत के शिखर पर विश्राम किया था. शिखर पर उन्होंने  रामेश्वर या  पातालेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना और पूजन किया। #सत्येन्द्र कुमार पाठक, अरवल, बिहार

विश्व की प्राचीन धरातल और विंध्य पर्वत माला का कीकट प्रदेश की राजधानी और  बुध नंदन राजा गय द्वरा स्थापित गया का राम शिला भारतीय संस्कृति का धरोहर है। असुर संस्कृति के पोषक गयासुर ने गया के चतुर्दिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान रहा है।यहां पितरों का निवास,ब्रह्माजी,भगवान विष्णु तथा भगवान शिव का प्रिय स्थल है। गया कि सभी पहाड़ियां विभिन्न देव को समर्पित है।

ब्रह्मा जी को ब्रह्मयोनि पर्वत पर प्रकृति और पुरुष का समन्वय, तथा ब्रह्मयोनि की उच्च श्रृंखला पर ब्रह्मा जी की मूर्तियां, फल्गु नदी के किनारे विष्णु पर्वत पर भगवान विष्णु का चरण, यमराज और धर्मराज को समर्पित प्रेतशीला,,भगवान शिव को समर्पित शिवशिला, माता मंगला गौरी को समर्पित भष्मगिरि पर्वत, किरातों को समर्पित कटारी पहाड़ और भगवान राम को समर्पित राम शिला है। पर्वतों से घिरा और गुप्त गंगा ( फल्गु नदी ) के तट पर गया है। त्रेतायुग में भगवान राम अपने पूर्वजों को मुक्ति और मोक्ष दिलाने हेतु परिवार सहित गया आने पर निवास किए थे वह स्थल राम गया या राम शिला के नाम से ख्याति मिला है।यहां जल कुंड का निर्माण कराया जिसे रामसरोवर के नाम विख्यात है।

रामशिला की श्रृंखला पर भगवान  राम द्वारा शिवलिंग की स्थापना और राम कुंड का निर्माण कराया गया।रामशिला पहाड़ के तलहट्टी में  दुर्लभ स्फटिक शिवलिंगस्थापित है।रामशिला पहाड़ के ऊपर 20 सीढ़ी चढ़ने पर  श्रीराम मंदिर है. यहाँ पर श्री जगमोहन के चरण-चिन्ह बना बना है. मंदिर के दक्षिण में बरामदे में दो-तीन प्राचीन मूर्तियां है. रामशिला पहाड़ के तलहट्टी स्थापित मंदिर में, जहां देश का तीसरा स्फटिक शिवलिंग विराजमान है. पहला स्फटिक शिवलिंग रामेश्वरम में, दूसरा जम्मू के रघुनाथ मंदिर और तीसरा रामशिला स्थित स्फटिक शिवलिंग मंदिर में है.

मंदिर में करीब एक फीट ऊंचे और इतना ही वृत्ताकार शिवलिंग जो काफी दुर्लभ है. स्फटिक शिवलिंग के अंदर नाग की आकृति अभी तक रहस्य और विस्मयकारी बनी हुई है. स्फटिक रेत एवं ग्रेनाइट का मुख्य घटक है. पृथ्वी के धरातल पर क्वार्ट्ज दूसरा सर्वाधिक पाया जाने वाला खनिज है। रामशिला पहाड़ी में बने मंदिर में भगवान श्री गणेश जी के मूंगा की पांच फीट उंचा भव्य प्रतिमा है. यह बहुत ही दुर्लभ मूर्ति है और भारत वर्ष में बहुत ही कम देखने को मिलता है और बहुत ही कीमती है. त्रेता युग मे भगवान राम अपने पिता दशरथ जी की मृत्यु के बाद भगवान राम ने फल्गु तट पर पिण्डदान किया और उसके बाद यहाँ आ कर रामशिला पहाड़ के ठीक सामने सड़क के पार रामकुंड में भगवान राम ने स्नान कर रामशिला वेदी पर पिता राजा दशरथ को पिंड दिया था।

त्रेतायुग में भगवान् राम रामशिला पहाड़ के श्रृंखला पर ऋणमोचन-पापमोचन शिवलिंग की स्थापना की।शैव धर्म स्थल  के रूप में माना जाता है.। पिंडदानी लोग अपने पूर्वज के पिंड दान करते है। भगवान राम ने लक्ष्मण और सीता के साथ गया धाम के उत्तरी सिरे पर अवस्थित पर्वत के शिखर पर विश्राम किया था. शिखर पर उन्होंने  रामेश्वर या  पातालेश्वर महादेव शिवलिंग की स्थापना और पूजन किया। यहां पिंडदान करने से पूर्वज सीधे स्वर्गलोक जाते हैं. रामकुंड में पिंडदान करने से पितरों को मोक्ष मिलता है।रामशिला पहाड़ के उपर उसके आस पास बहुत पुराने कई मूर्ति स्थापित है और उसमें कुछ नए भी है.



यह सन १०४१ में मुख्यतः बना है। रामशिला पहाड़ पर पातालेश्वर महादेव मंदिर से गया शहर का सुन्दर एवं मनोरम दृश्य दिखाई पड़ता है. रामशिला एक प्रसिद्ध धर्म तीर्थ है.रामशिला पहाड़ की ऊंचाई ७१५ फीट है. पहाड़ पर बने पातालेश्वर शिव और राम लक्ष्मण मंदिर दर्शनीय है.  साथ ही वासुकीनाथ भी अपने अलौकिक रूप में नजर आते है. यहां पूजा-अर्चना करने से काल सर्प और असामयिक मृत्यु का भय दूर हो जाता है.। शिव मंदिर का निर्माण टिकारी राज अम्बिका शरण सिंह द्वारा टिकारी राज के कोर्ट ऑफ वर्ड्स के समय, गया शहर के पहसी में प्रवास के दौरान, सन १८८६ ई. में  कराया था.



उन्होंने रामशिला पहाड़ पर पातालेश्वर महादेव मंदिर जाने के लिए सीढियों का पुनर्द्धार किया गया था।रामशिला में अवस्थित शिवलिंग शीतलता का प्रतीक है।सावन में लगती है भीड़ रामशिला स्थित शिवलिंग पर दूध चढ़ाने से मन को चंद्रमा के समान शीतलता मिलती है. इसके अलावा बाबा भोलनाथ भक्तों के हर प्रकार के कष्ट को दूर कर देते हैं। वेदों और पुराणों तथा ज्योतिष शास्त्र के अनुसार रामशिला पर अवस्थित स्फटिक शिवलिंग का दर्शन और पूजन करने से मंकी शांति,चतुर्दिक विकास तथा चंद्रमा,सूर्य,और शुक्र ग्रह मिल कर ऊर्जा का संचार और भगवान शिव की कृपा होती रहती है साथ ही सभी ग्रह का प्रभाव विकास की ओर ले जाता है।




Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
Verified by MonsterInsights