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परीक्षा के समय कैसे बढ़ाएं बच्चों का मनोबल

माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के कार्य करने की निर्धारित समय सारणी इस प्रकार से बनाएं की वह नया सीखने के साथ-साथ पुराना भी सहजता से याद रख पाए,ताकि परीक्षाओं के करीब होने पर भी बच्चों को याद करने और नए सीखने में किसी प्रकार की समस्या ना हो।#आशी प्रतिभा (स्वतंत्र लेखिका), मध्य प्रदेश, ग्वालियर

अधिकांश बच्चों का परीक्षा के समय कई बार चिडचिढ़ा हो जाना, खाना पीना सब छोड़ देना इत्यादि समस्याएं सामने आती हैं, इन सब समस्याओं के चलते न तो बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और ना ढंग से वे अपनी नींद पूरी कर पाते हैं ऊपर से उनको परीक्षा में पास होने का तनाव भी रहता है।

इस तनाव से मन में डर भी उत्पन्न होता हैं कि यदि फेल हो गए तो क्या होगा जो की स्वाभाविक है परंतु इस परिस्थिति में माता-पिता का अपने बच्चों के प्रति सकारात्मक रवैया उन्हें परीक्षा के समय होने वाले तनाव से मुक्त कर सकता है आईए जानते हैं हम अपने बच्चों को कैसे तनाव मुक्त करें।

1) बच्चो द्वारा पूछे गए प्रश्नों पर उन्हें नोट करके उनका हल निकाल कर उन्हें सरलता से समझाने की कोशिश करें।

2) बार-बार पढ़ाई के विषय में ना पूछे! बल्कि उनको समय पर कार्य करने के लिए अभिप्रेरणा दे , बार-बार पूछे जाने के कारण भी बच्चों के मन में डर बैठ जाता है या वह चिढ़ जाते हैं।

3) सभी माता पिता को चाहिए कि उनके बच्चे बड़े हो या छोटे सभी को पढ़ाई के साथ-साथ अपनी रुचि के अनुसार कार्य या खेल खेलने के लिए प्रेरित करे।अधिकांश देखा गया है कि जो बच्चे अपने रुचि का कार्य करने के लिए समय निकालते हैं वह बच्चें अधिक सक्रिय होते हैं।

4) माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों के कार्य करने की निर्धारित समय सारणी इस प्रकार से बनाएं की वह नया सीखने के साथ-साथ पुराना भी सहजता से याद रख पाए,ताकि परीक्षाओं के करीब होने पर भी बच्चों को याद करने और नए सीखने में किसी प्रकार की समस्या ना हो।



5 ) बच्चें खुद से ही पढ़ने की आदत डालें।कोचिंग या अन्य माध्यम के द्वारा भी बच्चों का समय आवागमन में खराब होता हैं।

6) बच्चों की सेहत का भी ख्याल रखना बहुत जरूरी होता हैं इसीलिए ऊर्जा से भरपूर पौष्टिक आहार का विकल्प अपनाए।



7) माता-पिता ही बच्चों के अंदर आत्मविश्वास जगा सकते हैं इसीलिए बच्चों पर पास या फेल होने का दबाव न रखें। उन्हें आत्मविश्वास के साथ पढ़ाई करने की आदत डालें।

इसके अलावा अत्यधिक मोबाइल चलाने वाले छात्र-छात्राओं के मोबाइल में अविभावक लॉक भी लगा सकते ताकि हम मोबाइल चलाने की समय सीमा को धीरे-धीरे घटाते हुए ही उनके मोबाइल की आदत भी छुड़वा सकते हैं। हमें कोशिश करनी चाहिए कि परीक्षा के समय परिवार का माहौल और वातावरण हल्का हो।



माता-पिता को बच्चों के मनोरंजन का भी ख्याल रखना चाहिए। बच्चों पर मेरिट में अंक लाने का अतिरिक्त भार डालना भी गलत हैं इस प्रकार कई बार बच्चे अवसाद का शिकार भी हो जाते हैं और इस रोग से ग्रस्त न होने देने के लिए माता-पिता को चाहिए कि वह बच्चों को हमेशा सकारात्मक रूप से अभिप्रेरित करते रहें।



*मेरे द्वारा लिखा गया यह लेख अप्रकाशित एवं मौलिक स्वरचित है।


Devbhoomi Samachar

देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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