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पत्रकारिता का उद्भव और विकास : एक ऐतिहासिक दृष्टि

पत्रकारिता का उद्भव और विकास : एक ऐतिहासिक दृष्टि… अंग्रेजी अखबारों के बाद भारतीय भाषाओं में भी पत्रकारिता का विकास हुआ। 1818 में बंगाली भाषा में पहला पत्र ‘दिग्दर्शन’ रामपुर से प्रकाशित हुआ, जिसने भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता की नींव रखी। इसके बाद से भारत में हिंदी, उर्दू, मराठी, गुजराती सहित… #अंकित तिवारी

पत्रकारिता का इतिहास सदियों पुराना है, जो समाज के विकास के साथ-साथ उभरती और बदलती रही है। चाहे विदेश हो या भारत, पत्रकारिता ने समाज के हर कोने में अपनी पहचान बनाई है।

विदेशी पत्रकारिता की शुरुआत – सातवीं शताब्दी में रोम की सड़कों पर पोस्टरों के माध्यम से जनता को समाचार की जानकारी दी जाती थी, जिसे आज के समय की पत्रकारिता का प्रारंभिक रूप माना जा सकता है। छपाई मशीन के आविष्कार के बाद पत्रकारिता ने जर्मनी और इंग्लैंड जैसे देशों में तेजी से विकास किया। 1626 में लंदन से ‘मैक्यूरस’ और 1666 में ‘इंग्लैंड गजट’ का प्रकाशन हुआ, जिसने समाचार पत्र के क्षेत्र में एक नई शुरुआत की।

18वीं शताब्दी में साप्ताहिक पत्रों में समाचार, विचार, और संपादकीय लेख छपने लगे, जिसमें 1711 में एडिसन द्वारा प्रकाशित ‘स्पेक्टेटर’ साप्ताहिक प्रमुख था, जिसने इंग्लैंड में बौद्धिक हलचल पैदा कर दी। 19वीं शताब्दी तक आते-आते यूरोप के समृद्ध देशों में समाचार पत्रों की एक होड़ शुरू हो गई, जिसने 20वीं सदी में बौद्धिक क्रांति की नींव रखी।

भारत में पत्रकारिता का विकास – भारत में पत्रकारिता का इतिहास अंग्रेजों के शासनकाल के दौरान प्रारंभ हुआ। 18वीं शताब्दी तक भारत के बड़े शहरों में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना हो चुकी थी, जिससे अंग्रेजी भाषा के समाचार पत्र छपने लगे थे। 1774 में बंबई और 1775 में मद्रास में प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत हुई, और 1784 में ‘बॉम्बे हेरल्ड’ और ‘बॉम्बे गजट’ जैसे समाचार पत्र प्रकाशित होने लगे।

26 जनवरी 1780 को जेम्स ऑगस्ट्स हिक्की द्वारा ‘केलकेटा जनरल एडवरटाइजर’ (बंगाल गजट) का प्रकाशन हुआ, जो भारत का पहला अंग्रेजी भाषा का समाचार पत्र था। यह अखबार अंग्रेजी शासन और ईस्ट इंडिया कंपनी की नीतियों की खुलकर आलोचना करता था, जिसके कारण हिक्की को जेल भी जाना पड़ा। इसके बावजूद, उन्होंने अपने सिद्धांतों से समझौता नहीं किया और पत्रकारिता के माध्यम से भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाई।

भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता का आरंभ – अंग्रेजी अखबारों के बाद भारतीय भाषाओं में भी पत्रकारिता का विकास हुआ। 1818 में बंगाली भाषा में पहला पत्र ‘दिग्दर्शन’ रामपुर से प्रकाशित हुआ, जिसने भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता की नींव रखी। इसके बाद से भारत में हिंदी, उर्दू, मराठी, गुजराती सहित अन्य भारतीय भाषाओं में भी समाचार पत्रों का प्रकाशन शुरू हुआ, जिसने भारतीय समाज में जागरूकता और सूचना का प्रसार किया।

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पत्रकारिता का उद्भव और विकास एक सतत प्रक्रिया रही है, जिसने समाज के विभिन्न दौरों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे विदेश हो या भारत, पत्रकारिता ने जनता की आवाज को मुखर किया और समाज में क्रांति लाने का कार्य किया।

(लेखक अंकित तिवारी , हिंदी शोधार्थी, स्वतंत्र पत्रकार,अधिवक्ता एवं पूर्व विश्वविद्यालय प्रतिनिधि है)


पत्रकारिता का उद्भव और विकास : एक ऐतिहासिक दृष्टि... अंग्रेजी अखबारों के बाद भारतीय भाषाओं में भी पत्रकारिता का विकास हुआ। 1818 में बंगाली भाषा में पहला पत्र 'दिग्दर्शन' रामपुर से प्रकाशित हुआ, जिसने भारतीय भाषाओं में पत्रकारिता की नींव रखी। इसके बाद से भारत में हिंदी, उर्दू, मराठी, गुजराती सहित... #अंकित तिवारी

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