नक्सल क्षेत्र की बेटी बीएसएफ की ट्रेनिंग लेकर गांव में लौटी, भव्य स्वागत

कई स्थानों पर लोगों ने उसे चंदन के तिलक लगाकर और आरती उतारें एवं मिठाइयां खिलाया। सीमा सुरक्षा बल की ट्रेनिंग से लौटी पुनम ने सोचा भी नहीं था कि गांव में उसके स्वागत की भव्य तैयारियां की गई है। #संवाददाता अशोक शर्मा
गया, बिहार। इमामगंज गया जिले के जिस इलाके में कभी नक्सलियों की बंदूके गरजा करती थी। अब वहां की बेटियां देश की रक्षा योगदान दे रही है। गया जिले के इमामगंज प्रखंड क्षेत्र भी नक्सल प्रभावित क्षेत्र में से एक है। लेकिन पहली बार यहां की बहादुर बेटियों ने वह कर दिखाया है, जिस माहौल को तैयार करने के लिए सरकारें लाखों करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं। वहीं इस इलाके के कई बेटियों ने बीएसएफ, आईटीबीपी, अग्नि वीर और बिहार पुलिस में एक साथ चयन हुआ है।
अब यह सब बहादुर बेटियां देश की सेवा के लिए प्रशिक्षण प्राप्त कर मर मिटने के लिए तैयार है। हम बात कर रहे हैं इमामगंज प्रखंड अंतर्गत मझौली पंचायत के तेलवारी गांव के रहने वाली पूनम कुमारी की जो पूनम ने अपने सफलता के दम पर बीएसएफ में चाइनीस हुई है। जब पूनम मध्य प्रदेश के ग्वालियर से बीएसएफ में फौज की ट्रेनिंग लेकर इमामगंज लौटी तो सबसे पहले उसको इमामगंज मंजीत फिजिकल अकैडमी में अकादमी के निर्देश मंजीत कुमार के द्वारा उसे भव्य स्वागत किया गया।
इस दौरान मुख्य अतिथि छकरबंधा पंचायत के मुखिया श्याम सुंदर प्रसाद और ट्रेनर रिटायर आर्मी राजीव कुमार मौजूद थे। इसके बाद जब पुन यहां से अपने गांव तिलवारी लौटी तो वहां के स्थानीय मुखिया समेत पूरे गांव वालों के द्वारा गाजे-बाजे और डीजे की धुन पर भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान पूनम के स्वागत में पूरा गांव उमड़ पड़ा। लोग जगह-जगह पर पहली बार गांव से निकली फौजी बेटी के स्वागत के लिए फूलों की माला और आरती उतारते नजर आए।
कई स्थानों पर लोगों ने उसे चंदन के तिलक लगाकर और आरती उतारें एवं मिठाइयां खिलाया। सीमा सुरक्षा बल की ट्रेनिंग से लौटी पुनम ने सोचा भी नहीं था कि गांव में उसके स्वागत की भव्य तैयारियां की गई है। बता दे कि पूनम एक गरीब परिवार की बेटी है और उसके पिता चेन्नई में गार्ड की नौकरी करते हैं जबकि मां खेतिहर मजदूर हैं। जब वह फौज में सिलेक्शन के बाद ट्रेनिंग लेकर लौटी तो गांव वाले ने कार पर तिरंगे झंडे के साथ बिठाकर उसकेसाथ पूरे गाजियाबाद के साथ गांव में उसका जुलूस निकाला गया।
इतना ही नहीं, लोगों ने फुल हार से स्वागत किया और पैर भी छुए। गांव वालों का प्रेम देखकर पुनम की आंखों में आंसू आ गए। जब पूनम अपने घर पहुंची तो बड़े बुजुर्गों से आशीर्वाद लेने के बाद मां पिता को अपना टोपी पहना कर सेल्यूट किया और आशीर्वाद लिया। इस दौरान पूनम की मां आरती उतारी और चंदन रोड़ी से से तिलककर मिठाइयां खिलाया। इस दौरान अपनी बेटी के गर्भ को देख वह भी अपने आप को आशु रोक नहीं पाए वह भी भावुक हो गए। वहीं पूनम ने अपनी सफलता का श्रेय अपनी माता-पिता और चाचा के साथ मनजीत फिजिकल अकादमी के निर्देशक मंजीत कुमार को दिया हैं।
पूनम बताती है कि मैं रोज अपने घर से साइकिल चला कर इमामगंज 12 किलोमीटर की दूरी तय फिजिकल की ट्रेनिंग के लिए मंजीत फिजिकल अकैडमी जाया करते थे। परिवार को दो शाम का खाना भी ठीक नहीं नसीब होता है। लेकिन आज मैं किसी प्रकार संघर्ष कर इस मुकाम तक पहुंची हूं। पूनम ने सबसे पहले अपने गांव की प्रवेश को बदलने की बात कही। पूनम कहती है कि हमारे जैसे कई बेटियां अपने घर की तहरीर को पार कर सीमा सुरक्षा के लिए जाए।
मैं उनसे कहूंगा कि आप भी कुशल छात्र हैं सिर्फ मेहनत कीजिए सफलता आपके पीछे खुद चल कर आएगा। वही पूनम के पिता राजेश राम ने बताया कि मैं चेन्नई में गार्ड की नौकरी करता हूं किसी तरह कर्ज उधार लेकर अपनी बेटी को इस मुकाम तक पहुंचाने का काम किया हुं। आज बेटी सीमा सुरक्षा के लिए तैनात हो गई है हमें बहुत अपने आप में गर्व है। उन्होंने बताया कि पूनम बचपन से ही पढ़ने में कुशल और शिष्टाचार छात्रा थी।
उसको इस मुकाम तक पहुंचाने के लिए मैं बहुत मेहनत किया हूं, और जो हमारे अन्य बच्चे हैं उनको भी पढ़ रहे हैं उन्हें भी एक अच्छा और कुशल अवसर बनाएंगे। वही पूनम के मां ललिता देवी बताती है कि पूनम को पढ़ने के लिए हम लोगों खेती मजदूरी कर उसको इस मुकाम तक पहुंचाएं हैं। हम चाहेंगे और पूनम से कहें कि तुम अच्छे से देश की सुरक्षा के लिए सीमा की सुरक्षा करते रहना। आगे मेरा सपना है कि पूनम की तरह ही और हमारे बच्चे पढ़ लिख कर आगे बढ़े।