दिन-प्रतिदिन दरिंदे बढ़ रहे चिंतन का विषय

आज वक्त आ गया है कि नारी अपना आत्मविश्वास बढाये और अपने मन का डर बाहर निकालें व ऐसे दरिंदों से लडने, उनसे मुकाबला करने का साहस जुटायें। आखिर कब तक अपनी देह की रक्षा करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहोगी। #सुनील कुमार माथुर, जोधपुर, राजस्थान
हम कहने को भले ही सभ्य समाज में रहने का दंभ भरते हैं लेकिन इस सभ्य कहे जाने वाले समाज में नारी देह से खिलवाड़ करने वाले दरिंदों की संख्या दिन-प्रतिदिन बढती ही जा रही हैं जो एक चिंता की बात हैं। एक ओर देश भर में नारी अपने हुनर का जलवा दिखा रही हैं और हर क्षेत्र में पुरूषों के संग कंधे से कंधा मिलाकर राष्ट्र की सेवा कर रही है, वही दूसरी ओर वह अपने आपकों असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
समाज में नारी के जिस्म को नोचने वाले व उनकी देह का शोषण करने वालें दरिंदों की आज संख्या बढती ही जा रही हैं, चूंकि उन्हें राजनेताओं, धन्नासेठों व असामाजिक तत्वों का संरक्षण प्राप्त है यहीं वजह है कि आज की नारी अपने आपकों असुरक्षित महसूस कर रही हैं।
स्कूल, कालेज, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन, बसों, ट्रेनों, बाजारों, मंदिरों, धार्मिक स्थलों, पार्को, मेलों, कार्य स्थलों, समाज व राष्ट्र में कहीं भी अपने को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रही हैं। और तो और अब वह अपने घर में भी दरिंदों के जुल्म सहन कर रही हैं। आये दिन समाचार पत्रों में नारी के देह शोषण व बलात्कार के समाचार प्रकाशित हो रहें हैं जिन्हें पढ कर सिर शर्म से झुक जाता हैं।
आज वक्त आ गया है कि नारी अपना आत्मविश्वास बढाये और अपने मन का डर बाहर निकालें व ऐसे दरिंदों से लडने, उनसे मुकाबला करने का साहस जुटायें। आखिर कब तक अपनी देह की रक्षा करने के लिए दूसरों पर निर्भर रहोगी। साहस के साथ कदम उठाइये और इन दरिंदो का डटकर मुकाबला करें। तभी इनकी हरकतों व गंदी निगाहों पर अंकुश लग सकेगा अन्यथा इन दरिंदो की हरकतें व हौसलें बढते ही चले जायेंगे।
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