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डिजिटल अरेस्ट : डिजिटल युग का खतरनाक धोखा

डिजिटल अरेस्ट : डिजिटल युग का खतरनाक धोखा…  डिजिटल अरेस्ट जैसे घोटालों के खिलाफ लड़ाई केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास की मांग करता है। हमें खुद को और अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करना होगा और जागरूकता फैलानी होगी। #अंकित तिवारी

डिजिटल युग ने हमारी जिंदगी को अभूतपूर्व सुविधा और गति दी है। इंटरनेट के विस्तार और तकनीकी प्रगति के साथ, कई कार्यों को आसान और तीव्र बना दिया गया है। हालांकि, हर उजाले के साथ एक अंधेरा पक्ष भी आता है। इसी तकनीकी युग ने साइबर अपराधियों को भी नई संभावनाएं प्रदान की हैं, जो निर्दोष लोगों को धोखा देने और डराने के लिए आधुनिक तरीकों का उपयोग कर रहे हैं। हाल के दिनों में, “डिजिटल अरेस्ट” जैसे घोटाले ने लोगों के बीच डर और चिंता की लहर पैदा कर दी है।

डिजिटल अरेस्ट क्या है? : डिजिटल अरेस्ट एक धोखाधड़ी है, जिसमें साइबर अपराधी खुद को कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारी के रूप में पेश करते हैं। वे अपने शिकार को डराने और उनसे पैसे वसूलने के लिए विभिन्न तकनीकों का उपयोग करते हैं। आमतौर पर यह घोटाला किसी सरकारी एजेंसी जैसे पुलिस, सीबीआई, या किसी अन्य कानून प्रवर्तन संगठन के प्रतिनिधि के रूप में पेश किए गए किसी व्यक्ति के अनचाहे फोन या वीडियो कॉल से शुरू होता है।

इन कॉल्स के दौरान, ठग अपने लक्ष्यों पर झूठे आरोप लगाते हैं, गिरफ्तारी की धमकी देते हैं, और उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हैं। उन्हें धमकाया जाता है कि अगर वे मांग की गई राशि नहीं चुकाते हैं, तो उन्हें गंभीर कानूनी परिणामों का सामना करना पड़ेगा। कुछ सामान्य बहाने जो इन घोटालेबाजों द्वारा इस्तेमाल किए जाते हैं, उनमें पार्सल घोटाला, परिवार के सदस्यों की संलिप्तता, या आधार कार्ड और फोन नंबर का दुरुपयोग शामिल हैं।

कैसे करें बचाव? : इस घोटाले से खुद को बचाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए जा सकते हैं :-

  • अनचाहे कॉल्स से सावधान रहें: अगर आपको किसी अनजान नंबर से कॉल आती है और वह व्यक्ति खुद को सरकारी एजेंसी का प्रतिनिधि बताता है, तो तुरंत सतर्क हो जाएं।
  • जानकारी सत्यापित करें: कोई भी कार्रवाई करने से पहले, जानकारी की सत्यता की पुष्टि करें। संबंधित एजेंसी की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर फोन नंबर की जांच करें या उनसे सीधे संपर्क करें।
  • व्यक्तिगत जानकारी साझा न करें: सरकारी अधिकारी कभी भी फोन पर आपकी व्यक्तिगत या वित्तीय जानकारी नहीं मांगते हैं। इसलिए, ऐसी किसी भी मांग को तुरंत खारिज कर दें।
  • शांत रहें: घबराएं नहीं। अपराधियों का मुख्य उद्देश्य आपको डरा कर आपकी प्रतिक्रिया का फायदा उठाना है। अपने भावनाओं को काबू में रखें और संयम बनाए रखें।
  • खुद को शिक्षित करें: साइबर अपराध और घोटालों के बारे में जानकारी रखें। समय-समय पर मीडिया और सरकारी एजेंसियों द्वारा जारी की गई सलाहों का पालन करें।
  • घोटाले की रिपोर्ट करें: अगर आपको डिजिटल अरेस्ट जैसी किसी गतिविधि का सामना करना पड़ता है, तो इसे तुरंत संबंधित एजेंसी को रिपोर्ट करें। आपकी जानकारी अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में मदद कर सकती है।

निष्कर्ष : डिजिटल अरेस्ट जैसे घोटालों के खिलाफ लड़ाई केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास की मांग करता है। हमें खुद को और अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करना होगा और जागरूकता फैलानी होगी। याद रखें, किसी भी कानूनी कार्यवाही के लिए आपको पहले सूचना दी जाती है और कभी भी इस प्रकार के माध्यम से पैसे की मांग नहीं की जाती। सतर्कता ही सुरक्षा की पहली शर्त है। साइबर अपराधियों के इस बढ़ते खतरे से निपटने के लिए जागरूक रहें, सतर्क रहें, और किसी भी तरह के संदिग्ध संपर्क की रिपोर्ट करने से हिचकिचाएं नहीं।

कानून प्रवर्तन एजेंसियां डिजिटल अरेस्ट जैसे घोटालों से निपटने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रही हैं, लेकिन रोकथाम और जागरूकता ही ऐसे खतरों से बचने का सबसे कारगर तरीका है। इसलिए, अपने आपको और अपने प्रियजनों को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक सावधानियां बरतें और इस घोटाले के बारे में जागरूक रहें।

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डिजिटल अरेस्ट : डिजिटल युग का खतरनाक धोखा...  डिजिटल अरेस्ट जैसे घोटालों के खिलाफ लड़ाई केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक प्रयास की मांग करता है। हमें खुद को और अपने आसपास के लोगों को शिक्षित करना होगा और जागरूकता फैलानी होगी। #अंकित तिवारी

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देवभूमि समाचार में इंटरनेट के माध्यम से पत्रकार और लेखकों की लेखनी को समाचार के रूप में जनता के सामने प्रकाशित एवं प्रसारित किया जा रहा है।

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