डाक टिकट हमारी राष्ट्रीय धरोहर : माथुर
डाक टिकट हमारी राष्ट्रीय धरोहर : माथुर… सुनील कुमार माथुर के संकलन में जो डाक टिकट है वे सभी उन्होंने अपने मित्रों के साथ पत्र व्यवहार के दौरान ही जमा किये है। उनका कहना है कि आज डाक सेवा का स्थान कोरियर सेवा, मोबाइल, ई मेल, व्हाट्सएप ने ले लिया जिसकी वजह से पत्र व्यवहार का सिलसिला एक तरह से बंद सा हो गया है। #कार्यालय संवाददाता
जोधपुर। व्यक्ति बडा ही अजीब प्राणी है। अगर वह मेहनत, सूझ-बूझ से काम ले और वह कुछ करने की ठान लें तो उसके लिए कुछ भी असम्भव नहीं है। बस समय पर कार्य करने की आदत होनी चाहिए। शोभावतो की ढाणी, खेमे का कुंआ, पालरोड जोधपुर निवासी सुनील कुमार माथुर ने डाक टिकटों का अनोखा व अनूठा संकलन किया है माथुर का कहना है कि डाक टिकट हमारी राष्ट्रीय धरोहर है जिसको बचाना हमारा नैतिक दायित्व है।
सुनील कुमार माथुर के संकलन में जो डाक टिकट है वे सभी उन्होंने अपने मित्रों के साथ पत्र व्यवहार के दौरान ही जमा किये है। उनका कहना है कि आज डाक सेवा का स्थान कोरियर सेवा, मोबाइल, ई मेल, व्हाट्सएप ने ले लिया जिसकी वजह से पत्र व्यवहार का सिलसिला एक तरह से बंद सा हो गया है। माथुर के संकलन में ऐसे ऐसे डाक टिकट है कि उनके नाम भी अजीब से है। ये सभी डाक टिकट भारतीय डाक टिकट है।
इनमें कूच बिहार प्रधान डाकघर, संगीत नाटक अकादमी, अमरावृर्ति की मूर्ति कला, भारतीय आयुर्विज्ञान परिषद, राष्ट्रमंडल खेल, भारतीय वायुसेना की प्लेटिनम जुबली, सत्याग्रह का अभ्युदय, मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर, वेलूर विद्रोह, वर्षाजल संचयन, 28 वां ओलम्पिक, घट पणी, अन्तर्राष्ट्रीय शांति दिवस, बाल दिवस, पवन ऊर्जा जैसे डाक टिकट है।
इसके अलावा बायोगैस, ताजमहल, पत्र पेटी, शुभकामनाएं, पद् म पंत सिंहानिया, लीख, चंदन, 62 वीं कैवलरी, चन्द्र ताल, सेला, ढोकरा, इंदिरा गांधी, पंडित जवाहरलाल नेहरू, महात्मा गांधी, डा 0 भीमराव अम्बेडकर, होमी जहांगीर भाभा, मदर टेरेसा, मुकेश, सावित्री, मुथोल हाउण्ड, रामपुर हाउण्ड जैसे अनेक डाक टिकट है जो अपनी कहानी अपनी ही जुबानी कह रहे हैं। इसके अलावा माथुर के संकलन में शासकीय डाक टिकट भी है।
डाक टिकट संकलनकर्ता सुनील कुमार माथुर का कहना है कि डाक विभाग, सामाजिक संस्थाएं, समाजसेवी संस्थाएं, जनप्रतिनिधि, राज्य सरकार हर वर्ष डाक टिकट प्रदर्शनी लगाये और उसमें डाक सामग्री संकलनकर्ताओं को निशुल्क एक एक या दो दो टेबल आवंटित करे और अपनी डाक सामग्री का आमजन में प्रदर्शन करने दे तथा हर प्रतिभागी को प्रशस्ति पत्र, स्मृति चिन्ह, श्रीफल, नकद राशि देकर व शाल ओढ़ाकर प्रोत्साहित किया जाये ताकि डाक टिकटों की यह धरोहर बची रहें।
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