डांडिया नाइट्स में बहेगी संस्कृति की बयार: शिल्पी कुकरेती देहरादून
डांडिया नाइट्स में बहेगी संस्कृति की बयार: शिल्पी कुकरेती देहरादून… कार्यक्रम में विशेष आकर्षण के रूप में सर्वश्रेष्ठ पोशाक और सर्वश्रेष्ठ डांसर को सम्मानित किया जाएगा। पारंपरिक ड्रेस कोड के तहत सभी प्रतिभागियों को भारतीय पोशाक में आना अनिवार्य किया गया है। इससे न केवल त्योहार की सजीवता बनी रहेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा. #अंकित तिवारी
भारत की सांस्कृतिक धरोहर में पर्व और त्योहारों का विशेष स्थान है, और नवरात्रि इन्हीं में से एक ऐसा उत्सव है जो पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों के दौरान शक्ति की उपासना और विविध लोक कलाओं का प्रदर्शन होता है, जिसमें गरबा और डांडिया विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। इन्हीं सांस्कृतिक विरासतों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से फर्स्ट स्टेप डांस स्टूडियो इस वर्ष नवरात्रि के अवसर पर एक विशेष आयोजन, डांडिया नाइट्स, प्रस्तुत करने जा रहा है।
यह रंगारंग कार्यक्रम 5 अक्टूबर 2024 को आयोजित होगा और इसकी आयोजक ‘ क़्वीन ऑफ केक्स,रिदम क़्वीन ,क्राफ्ट क़्वीन’ आदि नाम से मशहूर शिल्पी कुकरेती हैं। शिल्पी कुकरेती ने बताया कि इस आयोजन का उद्देश्य भारतीय सभ्यता और संस्कृति को बढ़ावा देना है, ताकि नई पीढ़ी भी अपने पारंपरिक मूल्यों से जुड़ी रह सके। उन्होंने कहा, “हमारे भारतीय त्योहारों में डांडिया का विशेष महत्व है, और इस प्रकार के आयोजन से हम अपनी सांस्कृतिक धरोहर को आगे बढ़ा सकते हैं।”
कार्यक्रम में विशेष आकर्षण के रूप में सर्वश्रेष्ठ पोशाक और सर्वश्रेष्ठ डांसर को सम्मानित किया जाएगा। पारंपरिक ड्रेस कोड के तहत सभी प्रतिभागियों को भारतीय पोशाक में आना अनिवार्य किया गया है। इससे न केवल त्योहार की सजीवता बनी रहेगी, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि सभी लोग हमारी संस्कृति से गहराई से जुड़ें।
यह कार्यक्रम नवरात्रि के उत्सव को धूमधाम से मनाने का एक अनूठा प्रयास है, जहां संगीत, नृत्य और पारंपरिक पहनावे के माध्यम से लोग अपनी संस्कृति के प्रति आदर व्यक्त करेंगे। शहर के लोगों में इस कार्यक्रम को लेकर जबरदस्त उत्साह देखने को मिल रहा है, और उम्मीद की जा रही है कि बड़ी संख्या में लोग इस आयोजन में भाग लेंगे। डांडिया नाइट्स सिर्फ एक नृत्य कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं को जीवंत करने का एक माध्यम बन चुका है।
तीन पीढ़ियां, एक परंपरा: शिक्षा और सृजन की यात्रा